डॉ. धनजी प्रसाद
सहायक
प्रोफेसर, भाषा प्रौद्योगिकी
म.गा.अं.हिं.वि., वर्धा, ई-मेल
: dhpr.langtech@gmail.com
(2015) ‘हिंदी आ भोजपुरी में सर्वनाम आ परसर्ग’ (पृ. 85-87). समकालीन भोजपुरी साहित्य (विश्व भोजपुरी सम्मेलन के तिमाही मुखपत्र). अंक : 33, प्रधान सं. अरुणेश नीरन, अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सचिवालय (राष्ट्रीय इकाई) देवरिया, उ.प्र. ।
(2015) ‘हिंदी आ भोजपुरी में सर्वनाम आ परसर्ग’ (पृ. 85-87). समकालीन भोजपुरी साहित्य (विश्व भोजपुरी सम्मेलन के तिमाही मुखपत्र). अंक : 33, प्रधान सं. अरुणेश नीरन, अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सचिवालय (राष्ट्रीय इकाई) देवरिया, उ.प्र. ।
भोजपुरी के हिंदी के एगो बोली मानल गइल बा। ओइसे त एगो भासाबैग्यानिक खातिर बोली आ भासा में कवनो अंतर ना होला, लेकिन राजनीतिक आ संबैधानिक दिरिस्टि से भोजपुरी के एगो बोलिए क रूप में देखल जाला। कुछ बिद्वान एह कुल भसवन के ‘जनपदीय भासा’ भी कहले बानी। खैर, हिंदी अउर भोजपुरी में ध्वनि आ भासा संरचना क दिरिस्टि से कई गो समानता देखे के मिलेला। वइसे त भोजपुरी के भासा संरचना पर अभी कवनो बहुत बड़वर काम नइखे भइल, लेकिन तब्बो धीरे-धीरे कई को काम निकल के आ रहल बा। कवनों भी भासा में संग्या, सर्वनाम, क्रिया, बिसेसन, क्रियाबिसेसन आदि होखेला। एहनी में से संग्या, सर्वनाम, क्रिया अउर बिसेसन के मुक्त बर्ग (open set) कहल गइल बा। मुक्त बर्ग क मतलब होला कि एह बर्ग में हजारों/लाखों क संख्या में सब्द होला, अउर ओकरा में बढ़े क भी संभावना बनल रहेला। बकियन के सीमित बर्ग (close set) कहल गइल। एहनी में सब्द क संख्या बहुते कम होला आ नाया सब्द जोड़ाए क कवनो संभावना ना रहेला। सर्वनाम, परसर्ग, सहायक क्रिया, संयोजक वगैरह एकरा में आवेला। हम अपना एक आलेख में ‘सर्वनाम आ परसर्ग’ क चरचा कर रहल बानी।
सर्वनाम : सर्वनाम ओह सब्दन के कहल जाला, जवना क परयोग संग्या क जगह पर होला। दूसर सब्दन में एकरा के कहल जा सकत बा कि सर्वनाम केहु क नाम लेहले बिना बोलावे खातिर परयोग होखे वाला सब्द हवन स। बातचीत में बोले वाला आ सुने वाला अउर जेकरा बारे में बात हो रहल बा ऊ, तीनों के धेयान में रखके सर्वनाम खातिर तीन गो वर्ग बनावल बा, जेवना के ‘पुरुस’ कहल जाला। एन्हनी के बारे में नीचे दिहल जा रहल बा :
(क) प्रथम पुरुस : एहमें ऊ सब्द आवेला, जवन बोलेवाला (बक्ता) खातिर परयोग होला, जइसे : हम, हमनीकss|
(ख) मध्यम पुरुस : एहमें ऊ सब्द आवेला, जवन सुनेवाला (स्रोता) खातिर परयोग होला, जइसे : तू, तोहनीकss, रउँवा|
(ग) अन्य पुरुस : एहमे बकिया सब तीसर के ब्यक्त करे वाला शब्द आवेला, जइसे : ऊ, ओहनीकss।
तीनों पुरुसन में हिंदी आ भोजपुरी में अलग-अलग सर्वनामन क परयोग होला। इहाँ नीचे हम दुनो भासावन क सर्वनामन क तुलनात्मक सूची दे रहल बानी :
पुरुस
|
हिंदी
|
भोजपुरी
|
प्रथम पुरुस
|
मैं
|
हम
|
हम लोग
|
हमनीकS, हमहनकS
|
|
मध्यम पुरुस
|
तू
|
तू
|
तुम
|
तू
|
|
तुम लोग
|
तोहनीकS, तोहनकS
|
|
आप
|
रउँवा/आप
|
|
अन्य पुरुस
|
वह
|
ऊ
|
वे लोग
|
उन्हनीकS, उन्हनकS
|
|
वे लोग (आदर)
|
उहाँ सब के
|
एह टेबल में देखल जा सकत बा कि केतरे भोजपुरी में हिंदीए क सब्द नियर लेकिन हिंदी से अलगा सब्द क सर्वनाम के रूप में परयोग होला। एमे एगो खास बात कहल जा सकत बा कि भोजपुरी में बहुबचन सर्वनाम खातिर भी अलग से सबद बाड़नस, लेकिन हिंदी में ओकरा खातिर खाली ‘लोग’ सब्द अलगा से जोड़ लिहल जाला।
परसर्ग : परसर्ग हिंदी में एगो बिसेस सब्दवर्ग ह, जेवन संग्या क बाद आके ओकर संबंध वाक्य क दूसर सब्दन (बिसेस रूप से क्रिया) से अस्थापित करेला। बहुत बिद्वान लोग एकरा के बिभक्ति चिन्ह भी कहले बानींजा। हिंदी के आरंभिक बिद्वान लोग बिसेस रूप से एके बिभक्ति चिन्ह कहले बा। किशोरीदास वाजपेयी जी त कहले हईं कि ई ‘परसर्ग’ नाव क का नया झंझट पएदाहो रहल बा। लेकिन धीरे-धीरे आधुनिक बिद्वान लोगन एह बात पर सहमत बानी कि एइसन सब्दन के परसर्गे कहल जाए। आज क जमाना भासाबिग्यान क बा। ढेर भासाबैग्यानिक लो एके परसर्ग मानिए लेले बा, हमरो मत ईहे बा कि एके परसर्ग कहल जाव। हिंदी नियर भोजपुरियो में परसर्ग क परयोग होला। एहसे दूनों में होखे वाला परयोगन के आमने-सामने रख के देखे चाहीं। हम हिंदी के परसर्ग आ भोजपुरी के परसर्गन क तुलनात्मक सूची हम नीचे दे रहल बानी :
हिंदी परसर्ग
|
उदाहरण वाक्य
|
भोजपुरी परसर्ग
|
उदाहरण वाक्य
|
ने
|
उस लड़की ने खाना खाया।
|
....
|
ऊ लइकी खाना खइलस।
|
को
|
उस लड़की को खाना खिलाओ।
|
के
|
ओ लइकी के खाना खियाव।
|
से
|
आम चाकू से काटकर लाओ।
|
से
|
आम छुड़ा से काटके लियाव।
|
का
की
के
|
पानी का बोलत दो।
पेड़ की पत्ती हरी है।
लड़कों के नाम लिखो।
|
क
क
क
|
पानी क बोतल द।
फेड़ क पतई हरियर बा।
लइकन क नाव लिख।
|
में
|
बोतल में पानी है।
|
में
|
बोतल में पानी बा।
|
पर
|
मेज पर किताबें हैं।
|
प
|
मेज प किताब बा।
|
ए तुलनात्मक सूची में देखल जा सकत बा कि हिंदी के ‘ने’ खातिर भोजपुरी में कुछवु ना लागेला। ‘को’ खातिर ‘के’, ‘का/की/के’ खातिर ‘क’ आ ‘पर’ खातिर ‘प’ आवेला। बकिया परसर्ग (से, में) दूनों भासा में एकही बा।
सर्वनाम आ परसर्ग क योग : परसर्ग का प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम दूनों के बाद होला। हिंदी में जब ई संज्ञा क बाद लगेला त सब्द से अलगा लिखल जाला, लेकिन जब सर्वनाम क बाद आवेला त मिलाके लिखल जाला। हमरा समझ से दूनों में अलग-अलग लिखल जाए त ढेर ठीक रही लेकिन जदि अभि ई नियम चल रहल बा त भोजपुरियो खातिर ईहे नियम मान लिहल ठीक बा। एह हिसाब से देखल जाव त जब सर्वनाम क सँघे परसर्ग लागेला त सब्द क रूप बदल जाला। केवन सर्वनाम में केवन परसर्ग जोड़ला प का परिवरतन होला, क्रम से नीचे दिहल जा रहल बा:
सर्वनाम + को: ‘को’ परसर्ग के कर्म कारक से संबंधित मानल गइल बा। ओइसे ‘को’ परसर्ग से अउरियो कई परकार क संबंध बेयक्त होखेला। जब ए परसर्ग क परयोग सर्वनामन सँघे होला, त कई गो रूप बदल जाला। एके नीचे देखल जा सकत बा:
हिंदी
|
भोजपुरी
|
मुझे, मुझको
|
हमके, हमराके
|
हमें, हमको
|
हमनीके, हमहनके
|
तुझे, तुझको
|
तोके, तोराके, तोरा
|
तुम्हें, तुमको
|
तोहके, तोहराके, तोहरा
|
तुम लोगों को
|
तोहनके, तोहनीके
|
आपको
|
रऊँवाके, रावाँके, रउराके
|
आप लोगों को
|
रावाँ साभेके, रउरा सभके
|
उसे, उसको
|
ओके, ओहके, ओकराके
|
उनको, उन्हें (सम्मान)
|
उनकाके, उनके
|
उनको, उन्हें (बहु.)
|
उन्हनींके, उन्हनके, उनहनके ओहनीके
|
उन लोगों को (सम्मान)
|
ऊहाँ सभे के
|
सर्वनाम + से : ‘से’ परसर्ग के करण कारक आ अपादान कारक के संबंध से जोड़ल गइल बा। एहू के परयोग जब सर्वनामन सँघे होला त अलग-अलग परकार के सब्द निर्मित होलें, जइसे :
हिंदी
|
भोजपुरी
|
मुझसे
|
हमसे, हमरासे
|
हमसे
|
हमनीसे, हमहनसे
|
तुझसे
|
तोसे, तोरासे
|
तुमसे
|
तोहसे, तोहरासे
|
तुम लोगों से
|
तोहनसे, तोहनीसे
|
आपसे
|
रऊँवासे, रावाँसे, रउरासे
|
आप लोगों से
|
रावाँ साभेसे, रउरा सभसे
|
उससे
|
ओसे, ओहसे, ओकरासे
|
उनसे (सम्मान)
|
उनकासे, उनसे
|
उनसे (बहु.)
|
उन्हनींसे, उन्हनसे, उनहन से, ओहनीसे
|
उन लोगों से (सम्मान)
|
ऊहाँ सभे से
|
सर्वनाम + का : ‘का’ परसर्ग के संबंधवाची परसर्ग कहल गइल बा । ए परसर्ग में खास बात ई बा कि हिंदी में लिंग आ बचन क हिसाब से एकरा में दू परकार का परिवर्तन – ‘की’ आ ‘के’ होला। भोजपुरी में एकरा खातिर ‘क’ परसर्ग आवेला। लेकिन जब एकर परयोग सर्वनामन सँघे होला त ‘क’ लउकेला ना, बल्कि ओकरा जगह दोसर-दोसर सब्द निर्मित हो जालनस। हिंदिओ में ई अंतर देखल जा सकत बा, जइसे :
हिंदी
|
भोजपुरी
|
मेरा, मेरी, मेरे
|
हमार
|
हमारा, हमारी, हमारे
|
हमहमनक, हमनीक
|
तेरा, तेरी, तेरे
|
तोर
|
तुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे
|
तोहार
|
तुम लोगों का/की/के
|
तोहनीक
|
आपका, आपकी, आपके
|
राउर
|
आप लोगों का/की/के
|
रावाँ साभेके
|
उसका, उसकी, उसके
|
ओकर
|
उनका, उनकी, उनके (सम्मान)
|
उनकर
|
उनका, उनकी, उनके (बहु.)
|
उन्हनींक, ओहनीक
|
उन लोगों का/की/के (सम्मान)
|
ऊहाँ सभे के
|
सर्वनाम + में : ‘में’ परसर्ग के अधिकरन कारक से जोड़ल गइल बा। एहू के परयोग जब सर्वनामन सँघे होला त अलग परकार के सब्द निर्मित होलें, जइसे :
हिंदी
|
भोजपुरी
|
मुझमें
|
हमरामें
|
हममें
|
हमनीमें, हमहनमें
|
तुझमें
|
तोरामें
|
तुममें
|
तोहरामें
|
तुम लोगों में
|
तोहनमें, तोहनीमें
|
आपमें
|
रऊँवामें, रावाँमें, रउरामें
|
आप लोगों में
|
रावाँ साभेमें, रउरा सभमें
|
उसमें
|
ओमें, ओहमें, ओकरामें
|
उनमें (सम्मान)
|
उनकामें
|
उनमें (बहु.)
|
उन्हनींमें, उन्हनमें, उनहन में, ओहनीमें
|
उन लोगों में (सम्मान)
|
ऊहाँ सभे में
|
सर्वनाम + पर : ‘पर’ परसर्ग के अधिकरन कारक से जोड़ल गइल बा। हिंदी के ‘पर’ खातिर भोजपुरी में ‘प’ लागेला। एहू के परयोग सर्वनामन सँघे कइला प अलग परकार के सब्द निर्मित होलें, जइसे :
हिंदी
|
भोजपुरी
|
मुझपर
|
हमराप
|
हमपर
|
हमनीप, हमहनप
|
तुझपर
|
तोराप
|
तुमपर
|
तोहराप
|
तुम लोगों पर
|
तोहनप, तोहनीप
|
आपपर
|
रऊँवाप, रावाँप, रउराप
|
आप लोगों पर
|
रावाँ साभेप, रउरा सभप
|
उसपर
|
ओप, ओहप, ओकराप
|
उनपर (सम्मान)
|
उनकाप
|
उनपर (बहु.)
|
उन्हनींप, उन्हनप, उनहन प, ओहनीप
|
उन लोगों पर (सम्मान)
|
ऊहाँ सभे प
|
अब देखल जा सकत बा कि हिंदी आ भोजपुरी में ढेर अंतर नइखे। बहुत हद तक समानता मिलेला। लेकिन तब्बो ढेर सब्द आ सब्दरूप अइसन बाड़ें, जवन हिंदी से अलग बाड़ें। सब्दरूप निरमान के नियम भी भोजपुरी में अलगा बा। एहसे भोजपुरी जाने खातिर ओकराके अलग से पढ़े के परी। ओइसे त अभी भोजपुरी के कवनों ठीक-ठाक बेयाकरन बन नइखे पाइल। लेकिन तब तक अइसनें आलेख भी लिखत रहल जाई त बाद में जे भी भोजपुरी के बेयाकरन बनावे चली, ओकरा के बड़ा आराम हो जाई। एह कुल के मिला लेहला से कम मेहनत में ढेर लिखल जा सकत बा। अइसनें कई गो भासा संबंधी चीज बा जवना प छोटि-छोटि आलेख लिखल जा सकत बा, जैसे – नकारात्मक रूप कइसे बनेला, परस्नवाचक सब्दन में का अंतर बा वगैर-वगैर।
डाॅ साहब रऊबा बहुते निमन या ज्ञानवर्धक जानकारी देहले बानी।बहुते आभार रऊबा के।
ReplyDeleteरउवा के जियरा क कोनइचा तक से धन्यवाद।
ReplyDeleteA shirorekha free,cursive Kaithi script was lost in 1894 may be due to pressure from Devanagari pundits. Bhojapurii language doesn't have Hindi's है in the sentence.
ReplyDeleteWhy not revive Bhojapuri script?
Kaithi alphabets for Bhojpuri
https://www.omniglot.com/writing/bhojpuri.htm
Bhojapurii transliteration scheme.
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ए ऐ ओ औ ऍ ऑ अः
क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म
य र ल ळ व ह श ष स
क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ ऱ ऴ
अं आं इं ईं उं ऊं एं ऐं ओं औं
अँ आँ इँ ईँ उँ ऊँ एँ ऐँ ओँ औँ
અ આ ઇ ઈ ઉ ઊ ઋ ૠ એ ઐ ઓ ઔ ઍ ઑ અઃ
ક ખ ગ ઘ ઙ ચ છ જ ઝ ઞ
ટ ઠ ડ ઢ ણ ત થ દ ધ ન પ ફ બ ભ મ
ય ર લ ળ વ હ શ ષ સ
ક઼ ખ઼ ગ઼ જ઼ ડ઼ ઢ઼ ફ઼ ર઼ ળ઼
અં આં ઇં ઈં ઉં ઊં એં ઐં ૐ ઔં
અઁ આઁ ઇઁ ઈઁ ઉઁ ઊઁ એઁ ઐઁ ૐ ઔઁ.........India's simplest Gujanagari script
a ā i ī u ū ṛ ṝ e ai o au ă ŏ aḥ
ka kha ga gha ṅa cha chha ja jha ña
ṭa ṭha ḍa ḍha ṇa ta tha da dha na pa pha ba bha ma
ya ra la ḷ a va ha sha ṣa sa
ḳ a ḳha g̣a j̣a d̤a d̤ha f̣a ṛa l̤a
ȧ ā̇ ï ī̇ u̇ ū̇ ė aï ȯ au̇
a̐ ā̐ i̐ ī̐ u̐ ū̐ e̐ ai̐ o̐ au̐........Roman Diacritics
Thanks for your valuable suggestion.
Deleteइस जानकारी के लिए आपका धन्यवाद। भोजपुरी से संबंधित कोई आलेख या ज्ञानवर्धक सामग्री आपके पास हो तो, ब्लॉग पर लगाने के लिए आप प्रेषित कर सकते हैं।
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