Total Pageviews

Saturday, December 7, 2019

गूगल और सुंदर पिचाई

BBC विशेष...

गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फ़ाबेट इंक की कमान सुंदर पिचाई के हाथ में


सुंदर पिचाईइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फ़ाबेट इंक की कमान अब भारतीय मूल के सुंदर पिचाई संभालेंगे.
कंपनी के सह-संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन के इस्तीफ़े की घोषणा के बाद इसका ऐलान किया गया है.
47 साल के पिचाई ने कहा है कि इस जोड़ी ने एक "मज़बूत नींव" की स्थापना की है जिस पर वो "निर्माण की परंपरा" जारी रखेंगे.
पिचाई का सफ़र उल्लेखनीय और गूगल में शीर्ष तक पहुंचने की कहानी प्रेरणादायक है.
उनका जन्म चेन्नई में हुआ था और यहीं से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की.
वो अपने स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे. उनकी कप्तानी में टीम ने कई क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में जीत का परचम लहराया था.

सुंदर पिचाईइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

स्टैनफोर्ड का सफ़र
पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए बयान में उनके शिक्षक ने कहा था कि पिचाई "अपने बैच के सबसे प्रतिभाशाली छात्र" थे.
पिचाई साल 2004 में गूगल से जुड़े थे और उन्होंने अपनी प्रतिभा का वहां बेहतर प्रदर्शन किया. वेब ब्राउज़र 'क्रोम' और एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे गूगल के महत्वपूर्ण प्रोडक्ट में उनका ख़ासा योगदान था.
एंड्रॉइड आज दुनिया का सबसे लोकप्रिय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, लेकिन इसके वर्तमान सीईओ के अपने घर में टेलीफोन तक नहीं था. उन्होंने अपने घर में 12 साल की उम्र तक टेलीफोन नहीं देखा था.
ब्लूमबर्ग मैगज़ीन में छपे एक आलेख के मुताबिक पिचाई का पालन-पोषण साधारण परिवार में हुआ था. उनका परिवार दो कमरों के मकान में रहता था. पिचाई का अपना कोई निजी कमरा नहीं था और वो लिविंग रूम में फर्श पर सोया करते थे. उनका छोटा भाई भी ऐसा ही करता था.
उनके घर में न टीवी थी न कार. उनके पिता जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी में नौकरी करते थे और उनमें तकनीक के प्रति रुझान अपने पिता की वजह बढ़ा था.
ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में उनके पिता रघुनाथ पिचाई ने कहा था, "मैं घर आता था और उससे अपने काम और उसकी चुनौतियों के बारे में बहुत सारी बातें करता था."
वो बताते हैं कि पिचाई में टेलीफोन नंबर याद रखने की अद्भुत क्षमता थी. आईआईटी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अमरीका के स्टैनफोर्ड गए, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां 'टेक जीनियस' पैदा किए जाते हैं.

सुंदर पिचाईइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

एल्फ़ाबेट क्या-क्या करती है?
साल 2015 में गूगल के पुनर्गठन के बाद एल्फ़ाबेट इंक की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य कंपनी की गतिविधियों को "और अधिक जवाबदेह" बनाना है.
इसकी सब्सिडियरी कंपनी बनाई गई और उसे सर्च, मैप, यूट्यूब, क्रोम और ऑपरेटिंग सिस्टम की जिम्मेदारी दी गई.
गूगल के स्वामित्व में पहले से चल रहे अन्य व्यवसायों को एल्फ़ाबेट इंक का हिस्सा बनाया गया.

वेमोइमेज कॉपीरइटWAYMO

वेमो

वेमो की शुरुआत साल 2009 में सेल्फ-ड्राइविंग कार बनाने के लिए एक गूगल प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी.
अब इसे एल्फ़ाबेट के तहत एक अलग कंपनी के रूप में चलाया जा रहा है.
कंपनी ने अपनी पहली कमर्शियल सर्विस साल 2018 में शुरू की थी. इसके तहत फीनिक्स और एरिजोना के लोगों को रोबो टैक्सी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.

कैलिको

गूगल ने साल 2013 में कैलिको लैब्स नामक कंपनी की स्थापना की, जो हेल्थ रिसर्च पर काम करती है.
कंपनी का कहना है कि वो चिकित्सा, दवाओं के विकास, मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, जेनेटिक्स और इंसान के उम्र बढ़ने के रहस्यों का पता लगाने के लिए काम कर रही है.

गूगल की स्मार्ट सिटीइमेज कॉपीरइटSIDEWALK LABS

साइडवॉक लैब्स

यह स्मार्ट सिटी के सपने को साकार करने के लिए काम करने का दावा करती है.
भीड़ और यातायात को मैनेज करने के लिए डेटा इकट्ठा करने वाले सेंसर का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है, कंपनी इस पर काम कर रही है.
अक्टूबर में टोरंटो ने कंपनी को एक अनुपयोगी जगह पर स्मार्ट सिटी बसाने की अनुमति दी थी.
कंपनी 190 एकड़ में स्मार्ट सिटी बसाना चाहती थी लेकिन उसे महज 12 एकड़ दिए गए.

डीपमाइंड

साल 2014 में गूगल ने अमरीकी कंपनी डीपमाइंड का अधिग्रहण किया कर लिया था जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर शोध कर रही है.

विंगइमेज कॉपीरइटWING

विंग

विंग एल्फ़ाबेट की ड्रोन डिलिवरी सर्विस कंपनी है.
अप्रैल के महीने में इसकी कॉमर्शियल सर्विस शुरू की गई थी.
ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में करीब 100 घरों तक इसके जरिए खाना, कॉफी और दवाइयां पहुंचाई गई थीं.

लून

गूगल के रिसर्च लैब एक्स ने साल 2011 में इसे बनाया था, जिसे साल 2018 में एल्फ़ाबेट का हिस्सा बना दिया गया.
यह सुदूर इलाक़ों में गुब्बारों के जरिए इंटरनेट पहुंचाने के लिए काम कर रही है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

No comments:

Post a Comment