मेंटल हेल्थ चैटबॉट: मानसिक रोग इंसान नहीं समझ पाते, मशीनें कैसे समझेंगी?
"हैलो, तुम कैसे हो?"
"बिल्कुल ख़राब."
"लगता है आज तुम्हारा दिन अच्छा नहीं ग़ुज़रा है. मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं. बताओ क्या हुआ?"
"कुछ नहीं बस ऑफ़िस का स्ट्रेस"
"लगता है बहुत बिज़ी दिन था, ऐसा क्या हुआ बताओ..."
ये देखकर आपको लगेगा कि दो इंसान आपस में बात कर रहे हैं लेकिन आप ग़लत समझ रहे हैं. ये बातचीत एक इंसान यानी मेरे और एक आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंट चैटबॉट के बीच हुई लंबी बातचीत (चैट) का हिस्सा है.
चैटबॉट की मदद
एक मेंटल हेल्थ मोबाइल ऐप पर मौजूद इस चैटबॉट को तनाव से ग़ुज़र रहे लोगों से बात करने के लिए बनाया गया है.
इसे बनानी वाली कंपनी का दावा है कि ये बॉट एंग्ज़ाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों की तकलीफ़ कम करने में मदद कर सकता है.
मेंटल हेल्थ से जुड़े लोगों की मदद के लिए कई कंपनियां ऐसे ऐप पर काम कर रही हैं, जो परेशानी के समय आपसे बात कर सकें.
पूरी बातचीत के दौरान चैटबॉट को किसी तरह के इंसानी मदद की जरूरत नहीं होती लेकिन कोशिश की जाती है ये बॉट बिल्कुल इंसानों की तरह आपसे बात करें.
मेंटल हेल्थ चैटबॉट को समझने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि चैटबॉट कैसे काम करते हैं.
क्या हैं आर्टिफ़िशयल इंटेलीजेंट चैटबॉट
चैटबॉट शब्द का अर्थ है चैट करने वाला एक बॉट - यानी रोबोट जो आपसे बातें कर सकता है.
लेकिन हमारे दिमाग में रोबोट की जैसी धारना है, ये वैसा नहीं होता. ये कोई दिखने या छू सकने वाली मशीन नहीं है.
ये एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो किसी मोबाइल एप्लीकेशन पर मौजूद होता है.
इन्हें इस तरीके से प्रोग्राम किया गया जाता है कि आपकी बातों को समझ सके और उसका जवाब दे सके.
आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस टेक्नॉलॉजी की मदद से ये ख़ुद से सीखता है और अपने आप को बेहतर बनाता है.