वह शब्द जो वाक्य में किसी शब्द या पदबंध का संबंध अन्य शब्दों के साथ स्थापित
करता है, परसर्ग कहलाता है। यह वाक्य की क्रिया
और अन्य पदबंधों के बीच अर्थपूर्ण संबंध स्थापित करता है। परसर्ग का उपयोग संज्ञा,
सर्वनाम या अन्य शब्दों के साथ किया जाता है।
परसर्ग की
परिभाषा
वह अव्यय जो संज्ञा या सर्वनाम के साथ मिलकर वाक्य
में अन्य शब्दों के साथ उनका संबंध स्थापित करता है, उसे परसर्ग कहते हैं।
उदाहरण:
- राम अपने बेटे के स्कूल गया।
- पुस्तक में चाबी रखी है।
- वह कार से बाहर गया।
परसर्ग के
प्रकार
परसर्ग के मुख्यतः दो प्रकार हैं-
1. कारक सूचक परसर्ग
जो वाक्य की क्रिया
के साथ किसी संज्ञा या सर्वनाम पदबंध का संबंध व्यक्त करता है। उदाहरण :
§ राम ने कहा।
§ सीता ने उसको देखा ।
2. संबंध सूचक परसर्ग
जो वाक्य के एक से अधिक पदों या पदबंधों (संज्ञा, सर्वनाम विशेषण आदि) के बीच संबंध व्यक्त करता है।
उदाहरण:
§ राम का घर।
§ गीता की पुस्तक।
परसर्ग के प्रयोग
और उदाहरण :
परसर्ग |
अर्थ और
उपयोग |
उदाहरण |
ने |
कर्ता संबंध (भूतकालिक सकर्मक क्रिया के साथ) |
राम ने पुस्तक पढ़ी। |
को |
कर्म संबंध कर्ता संबंध (अनुभवपरक वाक्य में) |
राम ने मोहन को देखा। मोहन को बुखार है। |
से |
साधन, स्थान, कारण, समय का बोध
करना |
वह दिल्ली से आया। |
का, की, के |
संबंध या स्वामित्व व्यक्त करना |
यह राम का घर है। |
में |
स्थान या समय का बोध करना |
वह कमरे में है। |
पर |
स्थान या विषय का संकेत |
किताब मेज पर है। |
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