दुभाषिया कर्म (Interpreter's Work)
"दुभाषिया कर्म" का शाब्दिक अर्थ है—
‘दुभाषिए (दो भाषाएँ जानने वाला
व्यक्ति) द्वारा किया गया कार्य, यानी अनुवाद या संवाद-संपर्क का कार्य’। दो ऐसे पक्ष
जो एक दूसरे की भाषा नहीं समझते, के बीच भाषायी सेतु की भूमिका निभाना दुभाषिया कर्म है। इस
कार्य को ‘आशु अनुवाद’, ‘निर्वचन’ एवं ‘तत्काल भाषांतरण’ (Interpretation) कहते हैं। एक दुभाषिया द्वारा ‘किसी बात को
तुरंत एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपांतरित किया जाता है। यह कार्य वाचिक रूप से
किया जाता है।
प्रमुख क्षेत्र :
बैठक या सम्मेलन में दो भाषाओं के वक्ताओं के बीच वार्तालाप
कराना
दस्तावेज़ों का तात्कालिक अनुवाद
कानूनी या राजनयिक वार्ताओं में सहयोग
सीमा सुरक्षा या युद्ध के समय शत्रु भाषा को समझना और उत्तर
देना
न्यायालय में एक विदेशी अभियुक्त के लिए कार्य करना । आदि।
एक योग्य दुभाषिया बनने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण में शामिल
होते हैं:
सफल दुभाषिए की विशेषताएँ :
§ भाषा-प्रवीणता: कम से कम दो भाषाओं में उत्कृष्ट समझ (सुनना,
बोलना, पढ़ना, लिखना)।
§ अनुवाद कौशल: आशु अनुवाद (Simultaneous
/ Consecutive Interpreting) का
अभ्यास।विशेष शब्दावली ज्ञान: चिकित्सा, कानूनी, कूटनीतिक या व्यावसायिक क्षेत्रों की शब्दावली का ज्ञान।
§ सांस्कृतिक समझ: दोनों भाषाओं की संस्कृति,
बोलचाल की शैली, भाव, और संकेतों की पहचान।
§ तकनीकी प्रशिक्षण: हेडफोन,
माइक्रोफोन, और अनुवाद सॉफ़्टवेयर आदि का प्रयोग।
जिम्मेदारियाँ (Responsibilities):
एक दुभाषिया का कार्य केवल अनुवाद करना नहीं होता,
बल्कि उसमें यह सब शामिल होता है:
§ सटीक और निष्पक्ष अनुवाद करना: भावार्थ को बनाए रखते हुए
बिना अपनी राय मिलाए बोलना।
§ सुनना और समझना: दोनों पक्षों की भाषा और भाव-भंगिमा को
ध्यान से ग्रहण करना।
§ गोपनीयता बनाए रखना: संवेदनशील जानकारियों को किसी से साझा
न करना।
§ समयबद्धता: तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित करना।
§
एकाग्रता
और स्मृति क्षमता: विशेषतः आशु अनुवाद में,
बातों को याद रखना आवश्यक होता है।
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