अनुवाद और अनुसृजन (Translation and Transcreation)
‘अनुवाद और अनुसृजन’ दोनों शब्द एक भाषा की सामग्री को दूसरी भाषा में प्रस्तुत करते
हैं, किंतु इन दोनों के उद्देश्य,
प्रक्रिया और सृजनात्मकता की सीमा में अंतर होता है। एक
भाषा में लिखे गए मूल (original) पाठ को दूसरी भाषा में यथासंभव उसी भाव और आशय के साथ
प्रस्तुत करना ‘अनुवाद’ होता है। इसका उद्देश्य मूल रचना के कथ्य (content) को
नई भाषा में पहुँचाना होता है। अतः इसमें अनुवादक द्वारा मूल लेखक के मूल विचारों,
शैली और अर्थ को बनाए रखने का पूरा प्रयास किया जाता है।
मूल रचना से प्रेरणा लेकर नई भाषा और सांस्कृतिक संदर्भ में
पुनः रचना करना, जिसमें स्थानीयता, सांस्कृतिक उपयुक्तता और रचनात्मक बदलाव सम्मिलित किए जा सकते
हैं, अनुसृजन कहलाता है। इसका उद्देश्य रचना की मूल भावना को
रखते हुए नए पाठकों या दर्शकों के अनुसार पुनः प्रस्तुत करना होता है। अतः इसमें सृजनात्मक
तथा संवाद को प्रभावी बनाने के लिए वाक्य और पाठ में अंतर करने की सुविधा रहती है।
उमर खैय्याम की रूबाइयों का फिट्जेराल्ड द्वारा अंग्रेजी
में अनुवाद तथा फिट्जेराल्ड की अनूदित कृति का हरिवंशराय बच्चन द्वारा हिंदी में ‘मधुशाला’ के रूप में अनुवाद अनुसृजन के उदाहरण हैं। इसी प्रकार शेक्सपियर
के ‘Romeo
and Juliet’ से प्रेरित हिंदी
फ़िल्म ‘गोलियों की रासलीला –
रामलीला’ को भी देखा जा सकता है।
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