विशेष- व्याख्यान
विषय- भाषा शिक्षण में त्रुटि विश्लेषण
वक्ता- प्रोफेसर उमाशंकर उपाध्याय
संकलन- गुलशन कुमार, एम.फिल भाषा प्रौद्योगिकी
भाषा शिक्षण
भाषा शिक्षण में एक शिक्षक होता है तथा दूसरा विद्यार्थी होता है और इसके अलावा वह भाषा होती है जो सिखाई जाती है। शिक्षण का वर्गीकरण किया जाता है मातृभाषा शिक्षण या अन्य भाषा शिक्षण मदर लैंग्वेज एंड अदर लैंग्वेज टीचिंग बच्चा मातृभाषा स्वतः सीख लेता है। स्कूल जाने की अवस्था आने तक मातृभाषा शिक्षण में बच्चा मात्र दो कौशल- सुनना एवं बोलना के माध्यम से भाषा को सुनकर समझना एवं बोलना सीख लेता है। भाषा के अन्य दो कौशल हैं- पढ़ना एवं लिखना इसका काम मातृभाषा शिक्षण के अंतर्गत विशेष रूप से किया जाता है इसका मुख्य काम अक्षर का ज्ञान करना होता है। वाचन की कला सीखना, अक्षर लेखन एवं लेखन कला का विकास करना। यह मातृभाषा शिक्षण में सिखाया जाता है। इसके दो भेद हैं-
द्वितीय भाषा शिक्षण और
विदेशी भाषा शिक्षण
आज अंग्रेजी विदेशी भाषा नहीं है यह भारत में आज द्वितीय भाषा के रूप में है विदेशी भाषा चाइनीस, जैपनीज, रुसियन आदि हैं। व्यक्ति जितनी अधिक उम्र भाषा सीखता है, जानता है वह उनके व्यक्तित्व तथा कैरियर के लिए लाभकारी होता है। इससे व्यक्ति अधिक सक्षम एवं जीवन दृष्टि अधिक व्यापक होती है।
मातृभाषा शिक्षण
बालक जो घर पर बोलता एवं सीखता है वही भाषा स्कूल में नहीं सिखायी जाती है स्कूल में मानक स्टैंडर्ड भाषा सिखाई जाती है। भाषा कहने पर मन में मानक भाषा का ही रूप लेती है जो भाषा बोली घर में सुनते एवं बोलते हैं वही भाषा स्कूल में सिखाई जाए तो सीखने में अधिक दिक्कतें/परेशानी नहीं होंगी। इस प्रकार का अवसर बहुत कम आता है कि जो भाषा घर में बोलते हैं वही स्कूल में औपचारिक शिक्षा हो क्योंकि वहां मानक रूप सिखाए जाते हैं। पढ़ते समय मानक बोली और मानक भाषा में जो अंतर होता है वह अंतर सीखने में कठिनाइयां उत्पन्न करती हैं। सीखने की प्रक्रिया में व्यक्ति त्रुटि करता है। त्रुटियाँ सीखने की प्रक्रिया का अनिवार्य चरण है। यह एक प्रकार की सीढ़ी का काम करती है इसके द्वारा और ऊपर चढ़ते हैं और अधिक सीखते हैं त्रुटियाँ करना गलत नहीं है। त्रुटि अधिगम प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है।
त्रुटि क्यों होती है?
त्रुटि करते समय ही व्यक्ति लक्ष्य भाषा, मातृभाषा, द्वितीय भाषा, अन्य भाषा तथा विदेशी भाषा तक पहुंचने के लिए त्रुटियों से होकर गुजरना पड़ता है। त्रुटि विश्लेषण Chomsky जेनरेटिव ग्रामर का परिणाम है। उसके बाद का विकास Chomsky कहते हैं एक ग्रामर का विकास किया है। घर में जो बोली जाती है उसका घर में इंटरलॉक किया जाता है अब समझने लगे एवं बोलने लगे। स्कूल में जो पढ़ रहे हैं जो मातृभाषा या प्रथम भाषा के नाम पर उनका ग्रामर अलग है उसका उच्चारण, वाक्य विन्यास और शब्दावली भिन्न होती है। इसका मतलब यह है कि आप अपने मन को एक व्याकरण से दूसरे व्याकरण की ओर ले जा रहे हैं। Chomsky ने कहा कि भाषा का मामला मनोविज्ञान का मामला (कोग्नेटिव साइकोलॉजी) है।
प्रत्येक आदमी चाहता है प्रयत्न लाघव या शॉर्टकट क्योंकि एक भाषा हम जानते हैं। Chomsky के अनुसार जो नियम या व्याकरण आप पहले से जानते हैं वह द्वितीय भाषा एवं अन्य भाषा सीखते समय काम नहीं करेगा।
विषय- भाषा शिक्षण में त्रुटि विश्लेषण
वक्ता- प्रोफेसर उमाशंकर उपाध्याय
संकलन- गुलशन कुमार, एम.फिल भाषा प्रौद्योगिकी
भाषा शिक्षण
भाषा शिक्षण में एक शिक्षक होता है तथा दूसरा विद्यार्थी होता है और इसके अलावा वह भाषा होती है जो सिखाई जाती है। शिक्षण का वर्गीकरण किया जाता है मातृभाषा शिक्षण या अन्य भाषा शिक्षण मदर लैंग्वेज एंड अदर लैंग्वेज टीचिंग बच्चा मातृभाषा स्वतः सीख लेता है। स्कूल जाने की अवस्था आने तक मातृभाषा शिक्षण में बच्चा मात्र दो कौशल- सुनना एवं बोलना के माध्यम से भाषा को सुनकर समझना एवं बोलना सीख लेता है। भाषा के अन्य दो कौशल हैं- पढ़ना एवं लिखना इसका काम मातृभाषा शिक्षण के अंतर्गत विशेष रूप से किया जाता है इसका मुख्य काम अक्षर का ज्ञान करना होता है। वाचन की कला सीखना, अक्षर लेखन एवं लेखन कला का विकास करना। यह मातृभाषा शिक्षण में सिखाया जाता है। इसके दो भेद हैं-
द्वितीय भाषा शिक्षण और
विदेशी भाषा शिक्षण
आज अंग्रेजी विदेशी भाषा नहीं है यह भारत में आज द्वितीय भाषा के रूप में है विदेशी भाषा चाइनीस, जैपनीज, रुसियन आदि हैं। व्यक्ति जितनी अधिक उम्र भाषा सीखता है, जानता है वह उनके व्यक्तित्व तथा कैरियर के लिए लाभकारी होता है। इससे व्यक्ति अधिक सक्षम एवं जीवन दृष्टि अधिक व्यापक होती है।
मातृभाषा शिक्षण
बालक जो घर पर बोलता एवं सीखता है वही भाषा स्कूल में नहीं सिखायी जाती है स्कूल में मानक स्टैंडर्ड भाषा सिखाई जाती है। भाषा कहने पर मन में मानक भाषा का ही रूप लेती है जो भाषा बोली घर में सुनते एवं बोलते हैं वही भाषा स्कूल में सिखाई जाए तो सीखने में अधिक दिक्कतें/परेशानी नहीं होंगी। इस प्रकार का अवसर बहुत कम आता है कि जो भाषा घर में बोलते हैं वही स्कूल में औपचारिक शिक्षा हो क्योंकि वहां मानक रूप सिखाए जाते हैं। पढ़ते समय मानक बोली और मानक भाषा में जो अंतर होता है वह अंतर सीखने में कठिनाइयां उत्पन्न करती हैं। सीखने की प्रक्रिया में व्यक्ति त्रुटि करता है। त्रुटियाँ सीखने की प्रक्रिया का अनिवार्य चरण है। यह एक प्रकार की सीढ़ी का काम करती है इसके द्वारा और ऊपर चढ़ते हैं और अधिक सीखते हैं त्रुटियाँ करना गलत नहीं है। त्रुटि अधिगम प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है।
त्रुटि क्यों होती है?
त्रुटि करते समय ही व्यक्ति लक्ष्य भाषा, मातृभाषा, द्वितीय भाषा, अन्य भाषा तथा विदेशी भाषा तक पहुंचने के लिए त्रुटियों से होकर गुजरना पड़ता है। त्रुटि विश्लेषण Chomsky जेनरेटिव ग्रामर का परिणाम है। उसके बाद का विकास Chomsky कहते हैं एक ग्रामर का विकास किया है। घर में जो बोली जाती है उसका घर में इंटरलॉक किया जाता है अब समझने लगे एवं बोलने लगे। स्कूल में जो पढ़ रहे हैं जो मातृभाषा या प्रथम भाषा के नाम पर उनका ग्रामर अलग है उसका उच्चारण, वाक्य विन्यास और शब्दावली भिन्न होती है। इसका मतलब यह है कि आप अपने मन को एक व्याकरण से दूसरे व्याकरण की ओर ले जा रहे हैं। Chomsky ने कहा कि भाषा का मामला मनोविज्ञान का मामला (कोग्नेटिव साइकोलॉजी) है।
प्रत्येक आदमी चाहता है प्रयत्न लाघव या शॉर्टकट क्योंकि एक भाषा हम जानते हैं। Chomsky के अनुसार जो नियम या व्याकरण आप पहले से जानते हैं वह द्वितीय भाषा एवं अन्य भाषा सीखते समय काम नहीं करेगा।
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