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Tuesday, August 20, 2024

भाषा और प्रिंट मीडिया (Language and Print Media)

 भाषा और प्रिंट मीडिया (Language and Print Media)

लिखित अथवा छपे हुए माध्यम से सूचनाओं के प्रसार के सभी माध्यमों को सामूहिक रूप से प्रिंट मीडिया के अंतर्गत रखा जाता है।  इसमें समाचार पत्र तो मुख्य है ही, जो दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, अथवा मासिक हो सकता है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की पत्रिकाएं, कॉमिक्स, सूचनापरक पुस्तकें, पंपलेट, प्रतियोगी पत्रिकाओं आदि सब भी आ जाते हैं।

प्रिंट मीडिया की भाषा सुगठित और स्पष्ट होती है। इसकी संरचना इस प्रकार की होती है कि पाठक को सीधे-सीधे सूचना का संप्रेषण कर सके तथा आवश्यक प्रभाव भी उत्पन्न कर सके।

भाषा और प्रिंट मीडिया के संदर्भ में निम्नलिखित बिंदु दर्शनीय हैं- 

1. भाषा और शैली (Language and Style)

 इसके अंतर्गत यह देखा जाता है कि समाचार अथवा लेख की भाषा किस प्रकार की (formal, informal, persuasive, neutral आदि) है तथा वह पाठकों पर किस प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करती है। इसमें समाचार लेखन में प्रयुक्त शब्दावली और वाक्य रचना दोनों ध्यात्व्य होती है।   

  प्रिंट मीडिया हेतु समाचार या लेख लेखन में शैली की भी महत्वपूर्ण भूमिका होता है। इसके लिए लेखक द्वारा विविध प्रकार की युक्तियों का प्रयोग किया जाता है, जैसे- metaphors, similes, hyperbole आदि का प्रयोग करते हुए पाठकों पर विविध प्रकार के प्रभाव उत्पन्न करना।

 2. कथ्य (Content)

 कथ्य समाचार या लेख का संदेश होता है, जिसे लेखक संप्रेषित करना चाहता है।   

3. प्रस्तुति संरचना (Framing)

 इसमें हम देखते हैं कि अपने संदेश को प्रेषित करने के लिए लेखक द्वारा किस प्रकार की संरचना का प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए किस प्रकार के शीर्षक और उपशीर्षक का प्रयोग किया गया है तथा पाठ संरचना कैसी है। एक ही समाचार को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है। यदि सकारात्मक तरीके से प्रस्तुति संरचना रखी जाती है तो पाठक पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, किंतु यदि प्रस्तुति संरचना नकारात्मक हो तो उसका प्रभाव नकारात्मक होगा । अतः प्रिंट मीडिया में समाचार लेखन या प्रस्तुति के संदर्भ में प्रस्तुति संरचना बहुत महत्व रखती है।

4. प्रविष्टि चयन (Register Selection)

भाषा व्यवहार के विविध क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाली प्रक्षेत्र आधारित शब्दावली या तकनीकी शब्दावली को उसकी प्रविष्टि (register) कहते हैं। समाचार लेखन में भी इसी प्रकार की विशिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। किसी समाचार या मीडिया लेख के लेखन में किस प्रकार की प्रविष्टियों का चयन किया गया है, यह उसकी पाठ संरचना और प्रस्तुति में अंतर उत्पन्न करता है।

5. पाठ और दृश्य सामग्री का एकीकरण (Text and Visual Integration)

   किसी लेख, समाचार अथवा पाठ को समाचार पत्र या पत्रिका में कहां पर और किस प्रकार से रखना है? यह भी ध्यान रखने वाली बात होती है। प्रिंट मीडिया के लेख का प्रकार्य इस दृष्टि से भी प्रभावित होता है कि पाठ की संरचना और प्रस्तुति कैसी है, जैसे- उसे कौन से पृष्ठ पर रखा गया है?, पृष्ठ में ऊपर है अथवा नीचे है, कितनी साइज का है और उसमें किस प्रकार के चित्रों का प्रयोग किया गया है। इन सभी के अनुरूपता का ध्यान रखना ही पाठ और दृश्य सामग्री का एकीकरण कहलाता है। इसमें मुख्य रूप से दो बातें आती हैं –

§  Text-Image Relationship

§  Layout and Design

6. प्रोक्ति विश्लेषण (Discourse Analysis)

   प्रिंट मीडिया का प्रत्येक लेख या समाचार अपने आप में एक प्रोक्ति होता है अथवा किसी प्रोक्ति की के किसी पक्ष विशेष की प्रस्तुति होता है। अतः इसमें प्रोक्ति विश्लेषण एक अनिवार्य घटक है। इसके अंतर्गत मुख्य रूप से दो बातों का ध्यान रखा जाता है-

(क) वर्णनपरक तकनीकी (Narrative Techniques): इसका संबंध पाठ की संरचना और प्रस्तुति की प्रणाली से है, जो सैद्धांतिक प्रोक्ति विश्लेषण से संबंधित है।

(ख) भाषा और विचारधारा (Language and Ideology) : इसमें यह देखते हैं कि मीडिया किस प्रकार से सामाजिक विचारधाराओं और सत्ता संरचना को प्रस्तुत या प्रतिदर्शित करती है। इसका संबंध अनुपयुक्त प्रोक्ति विश्लेषण से है। 

7. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ (Historical and Cultural Context)

प्रिंट मीडिया की भाषा के संदर्भ में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ भी महत्वपूर्ण होते हैं। प्रिंट मीडिया की भाषा में संबंधित समाज की समाज-सांस्कृतिक अवस्था का भी बोध होता है। साथ ही यदि प्रिंट मीडिया को विभिन्न काल बिंदुओं पर क्रमिक रूप से देखा जाए तो भाषा के ऐतिहासिक विकास की झलक भी उसमें दिखाई पड़ती है। 

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