अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न उत्तर
अपठित गद्यांश
के आधार पर प्रश्न उत्तर का उद्देश्य विद्यार्थियों में पाठ के स्तर पर समझ विकसित
करना होता है। इससे शिक्षक और विद्यार्थी जान पाते हैं कि किसी पाठ को अर्थ की दृष्टि
से वे कितना समझ पा रहे हैं। इसके लिए विद्यार्थी को गद्यांश को पहले एक-दो बार ध्यान
से पढ़ना चाहिए, फिर प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए। गद्यांश के नीचे दिए जाने
वाले प्रश्नों के उत्तर पाठ में ही छुपे रहते हैं।
उदाहरण
01 : (उत्तर सहित)
शिक्षा मानव
जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण भी करती
है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति सही और गलत में अंतर करना सीखता है और समाज में
एक जागरूक नागरिक की भूमिका निभाता है। प्राचीन काल से ही शिक्षा का महत्वपूर्ण
स्थान रहा है, लेकिन आज के
समय में यह और भी आवश्यक हो गई है। अच्छी शिक्षा से व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है और
अपने परिवार, समाज और देश की प्रगति में योगदान देता है। इसलिए, हर व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलना चाहिए
ताकि वह अपने जीवन को सफल बना सके और समाज को आगे बढ़ाने में सहायक हो सके।
प्रश्न-उत्तर:
प्रश्न
1: शिक्षा का
महत्व क्या है?
उत्तर: शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान प्रदान करती है, उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करती है, और उसे समाज में एक जागरूक नागरिक बनने में मदद करती है।
प्रश्न
2: शिक्षा के
माध्यम से व्यक्ति क्या सीखता है?
उत्तर: शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति सही और गलत में अंतर करना, आत्मनिर्भर बनना और समाज की प्रगति में योगदान देना सीखता
है।
प्रश्न
3: प्राचीन काल
से शिक्षा को क्यों महत्वपूर्ण माना गया है?
उत्तर: प्राचीन काल से शिक्षा को इसलिए महत्वपूर्ण माना गया है
क्योंकि यह व्यक्ति के बौद्धिक और नैतिक विकास में सहायता करती है और समाज को
उन्नत बनाती है।
प्रश्न
4: शिक्षा का
व्यक्ति और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है और समाज की उन्नति
में सहायक होती है। इससे देश की प्रगति भी संभव होती है।
प्रश्न
5: हर व्यक्ति के
लिए शिक्षा क्यों आवश्यक है?
उत्तर: हर व्यक्ति के लिए शिक्षा आवश्यक है ताकि वह अपने जीवन को
सफल बना सके और समाज तथा देश की प्रगति में योगदान दे सके।
उदाहरण
02 (केवल प्रश्न सहित) :
एक गाँव में
एक ईमानदार लकड़हारा रहता था। वह जंगल से लकड़ियाँ काटकर उन्हें बेचकर अपना जीवन
यापन करता था। एक दिन वह नदी किनारे एक पेड़ पर लकड़ी काट रहा था कि अचानक उसकी
कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। वह बहुत दुखी हुआ और भगवान से प्रार्थना करने लगा।
उसकी सच्ची
प्रार्थना सुनकर नदी से एक जलदेवी प्रकट हुईं। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?" और उसे सोने
की कुल्हाड़ी दिखाई। लकड़हारे ने ईमानदारी से उत्तर दिया, "नहीं, यह मेरी
कुल्हाड़ी नहीं है।" फिर देवी ने
चाँदी की कुल्हाड़ी दिखाई, लेकिन
लकड़हारे ने फिर मना कर दिया। अंत में, देवी ने लोहे
की कुल्हाड़ी दिखाई, तो लकड़हारे
ने खुशी-खुशी कहा, "हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है!"
लकड़हारे की
ईमानदारी से प्रसन्न होकर देवी ने उसे तीनों कुल्हाड़ियाँ उपहार में दे दीं।
लकड़हारा बहुत खुश हुआ और अपने घर लौट आया। इस तरह, उसकी
ईमानदारी ने उसे सम्मान और समृद्धि दिलाई।
प्रश्न-उत्तर:
प्रश्न
1: लकड़हारा अपना
जीवनयापन कैसे करता था?
प्रश्न
2: लकड़हारे की
कुल्हाड़ी कहाँ गिर गई थी?
प्रश्न
3: जलदेवी ने
लकड़हारे को कौन-कौन सी कुल्हाड़ियाँ दिखाईं?
प्रश्न
4: लकड़हारे ने
कौन-सी कुल्हाड़ी अपनी बताई?
प्रश्न
5: जलदेवी ने
लकड़हारे को क्या इनाम दिया?
प्रश्न
6: इस कहानी से
हमें क्या शिक्षा मिलती है?
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