अरबी लिपि (Arabic Script)
अरबी लिपि एक
प्राचीन लिपि है। इसकी उत्पत्ति नबाती लिपि से (लगभग 4थी शताब्दी ई.) मानी गई है।
इसमें लेखन की दिशा दाएँ से बाएँ होती है। अरबी में सभी अक्षर अक्सर एक-दूसरे से
जुड़े होते हैं। इसमें मात्राएँ (vowel marks) मुख्यतः उच्चारण संकेत (अक्षरों के ऊपर/नीचे चिह्न) के रूप में प्रयुक्त होती
हैं। इस लिपि में अक्षरों के चार रूप होते हैं: अकेला (Isolated), शुरू में (Initial), बीच में (Medial) और अंत में (Final)। अरबी लिपि में अरबी, उर्दू, फारसी, पश्तो, सिंधी, कश्मीरी, कुर्दी, बलोच, पंजाबी (शाहमुखी) आदि
भाषाएँ लिखी जाती हैं।
अरबी वर्णमाला
में 28 मूल वर्ण (जैसे: أ، ب، ت، ث، ج...) हैं। इसमें स्वर (vowels) दर्शाने के लिए हरकत (diacritics) का प्रयोग करते हैं, जैसे- َ (फतह – ‘a’), ِ (कस्र – ‘i’), ُ (दम्म – ‘u’) आदि। इसमें एक ही अक्षर के 3–4 रूप भी देखे जा सकते हैं, जो वाक्य में स्थान के अनुसार: प्रारंभिक, मध्य, अंतिम, पृथक के आधार पर
भिन्न होते हैं ।
अरबी के मूल वर्ण
(28):
अरबी अक्षर |
नाम |
देवनागरी में ध्वनि |
ا |
अलिफ |
अ/आ |
ب |
बा |
ब |
ت |
ता |
त |
ث |
स़ा |
स |
ج |
जीम |
ज |
ح |
हा |
ह (गले से) |
خ |
खा |
ख़ |
د |
दाल |
द |
ذ |
ज़ाल |
ज़ |
ر |
रा |
र |
ز |
ज़ाय |
ज़ |
س |
सीन |
स |
ش |
शीन |
श |
ص |
साद |
स (गंभीर) |
ض |
ज़ाद |
द/ज़ |
ط |
ता |
ट (गंभीर) |
ظ |
ज़ा |
ज़ (गंभीर) |
ع |
अइन |
अ (गले से) |
غ |
ग़ैन |
ग़ |
ف |
फ़ा |
फ |
ق |
क़ाफ़ |
क़ |
ك |
काफ़ |
क |
ل |
लाम |
ल |
م |
मीन |
म |
ن |
नून |
न |
هـ |
हा |
ह |
و |
वाव |
व/ऊ |
ي |
या |
य/ई |
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