लिपि और वर्णमाला (Script & Alphabet)
भाषा का लिखित
रूप लिपि और वर्णमाला पर आधारित होता है। इन दोनों का प्रयोग लेखन में प्रयुक्त
वर्णों के विशिष्ट समूह के लिए होता है, किंतु इनका अर्थ भिन्न है। लिपि लेखन की पद्धति है, जबकि वर्णमाला उस भाषा के वर्णों का व्यवस्थित समूह
है। दोनों ही भाषा के लिखित स्वरूप की आधारशिला हैं।
(क) लिपि (Script)
किसी भाषा को
लिखने की संपूर्ण प्रणाली लिपि कहलाती है। दूसरे शब्दों में यह दृश्य संकेतों की
वह पद्धति है जिसके माध्यम से बोली गई भाषा को लिखा जाता है। किसी एक लिपि का
प्रयोग एक से अधिक भाषाओं के लिए भी होता है।
उदाहरण:
देवनागरी लिपि – हिंदी, संस्कृत, मराठी, नेपाली आदि के लिए
रोमन लिपि – अंग्रेज़ी, फ्रेंच, जर्मन आदि के लिए
गुरुमुखी, तमिल, बंगाली, उर्दू (नस्तालिक) – अन्य भाषाओं के लिए
इसी प्रकार एक ही
भाषा को विभिन्न लिपियों में लिखा जा सकता है, जैसे- हिंदी को देवनागरी और रोमन दोनों में लिखा जा
सकता है।
(ख) वर्णमाला (Alphabet)
किसी भाषा विशेष
में प्रयुक्त ध्वनियों के लिए निश्चित वर्णों का सुव्यवस्थित संकलन वर्णमाला है।
इसमें उस भाषा के स्वरों और व्यंजनों को अभिव्यक्त करने वाले वर्ण क्रमिक रूप से
रहते हैं।
उदाहरण : हिंदी
की वर्णमाला-
स्वर (13): अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
व्यंजन (33): क
से ह तक
नोट : संयुक्ताक्षर और मात्राएँ भी वर्णमाला का हिस्सा मानी जाती हैं।
लिपि और वर्णमाला
में अंतर
प्रत्येक भाषा की
अपनी अलग वर्णमाला होती है, लेकिन एक ही लिपि में कई भाषाओं की वर्णमालाएँ लिखी जा सकती हैं। उदाहरण के
लिए देवनागरी में ही हिंदी, संस्कृत, मराठी, नेपाली आदि की वर्णमाला
भिन्न हो सकती है, लेकिन लिपि एक ही होती है।
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