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Sunday, June 8, 2025

लिपिविज्ञान, पुरालेखविज्ञान और लेखिमविज्ञान

 लिपिविज्ञान, पुरालेखविज्ञान और लेखिमविज्ञान 

लिपिविज्ञान (Graphology)

लिपिविज्ञान (Graphology) वह शास्त्र है, जिसमें लिपियों की व्यवस्था, लिपिचिह्नों की प्रणाली एवं लिपि के उदभव तथा विकास आदि का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में यह लिपि के अध्ययन का शास्त्र है। अंग्रेजी में इसके Graphology तथा Graphemics दो नाम दिए जाते हैं। इसमें अध्ययन की मूल इकाई वर्ण या लिपिचिह्न’ (Grapheme) होती है।

पुरालेखविज्ञान (Epigraphy)

पुरालेखविज्ञान (Epigraphy) एक शाखा है जो प्राचीन लेखों (inscriptions) के अध्ययन से संबंधित है। यह शास्त्र मुख्य रूप से उन अभिलेखों (inscriptions) का विश्लेषण करता है जो पत्थर, धातु, मिट्टी, भोजपत्र या अन्य किसी माध्यम पर खुदे या लिखे होते हैं।

पुरालेखविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र :

§  लिपि का अध्ययन किस लिपि में लेख अंकित है (जैसे ब्राह्मी, खरोष्ठी, नागरी आदि)।

§  भाषा का अध्ययन लेख किस भाषा में है (संस्कृत, प्राकृत, पालि, तमिल आदि)।

§  तिथि निर्धारण लेख कब का है, इसमें प्रयुक्त कालगणना प्रणाली क्या है।

§  ऐतिहासिक सामग्री शासकों, राज्यों, प्रशासन, समाज, धर्म आदि के बारे में क्या जानकारी मिलती है।

§  प्राकृतिक स्थिति लेख कहाँ से प्राप्त हुआ है और वहाँ की भौगोलिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि क्या है।

लेखिमविज्ञान (Paleography)

लेखिमविज्ञान एक शास्त्र है जो प्राचीन हस्तलिपियों (manuscripts) तथा उनके लिखने की शैली, लिपि, विकासक्रम, और समय के साथ उनके रूपांतरण का अध्ययन करता है। यह लिपिविज्ञान से जुड़ा हुआ तो है, लेकिन दोनों में महत्वपूर्ण अंतर है।

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