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Sunday, June 8, 2025

ब्राह्मी से देवनागरी का विकास (Development of Devanagari from Brahmi)

 

ब्राह्मी से देवनागरी का विकास (Development of Devanagari from Brahmi)

ब्राह्मी से देवनागरी लिपि का विकास*भारतीय लिपियों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और लंबी प्रक्रिया रही है। यह विकास लगभग दो सहस्राब्दियों में अनेक चरणों से गुजरा, जिसमें लिपि का रूप, संरचना, लेखन शैली और सौंदर्यशास्त्र में धीरे-धीरे परिवर्तन होते गए। ब्राह्मी से देवनागरी विकास के प्रमुख चरण इस प्रकार हैं-

1. ब्राह्मी लिपि (तीसरी शताब्दी ई.पू.)

§  भारत की सबसे पुरानी प्रमाणिक लिपि।

§  अक्षर अधिकतर कोणीय, सरल और बिना शिरोरेखा के होते थे।

2. गुप्त लिपि (4–6ठी शताब्दी)

§  ब्राह्मी से अधिक वक्राकार और कलात्मक।

§  कुछ अक्षरों में गोलाई आने लगी थी।

§  लेखन में धीरे-धीरे लचीलापन और सजावट बढ़ी।

3. नागरी लिपि (7वीं–10वीं शताब्दी)

§  गुप्त लिपि से उत्पन्न।

§  शिरोरेखा (मुख्य रेखा) का प्रयोग आरंभ हुआ।

§  अक्षर अधिक स्थिर, स्पष्ट और सीधा दिखने लगा।

4. देवनागरी लिपि (11वीं शताब्दी से वर्तमान)

§  पूर्ण रूप से परिपक्व लिपि, जिसमें शिरोरेखा स्थाई बन गई।

§  अक्षरों में संतुलन, सुंदरता और पहचान की सरलता।

§  सभी स्वर, व्यंजन, संयुक्ताक्षर, मात्रा, विराम चिह्नों का सुनियोजित स्वरूप।



चित्र स्रोत : https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%80_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AA%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%81


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