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Sunday, June 8, 2025

गुरुमुखी लिपि (Gurmukhi Script)

गुरुमुखी लिपि(Gurmukhi Script)

गुरुमुखी लिपि (Gurmukhi Lipi) एक प्रमुख लिपि है जिसका प्रयोग मुख्य रूप से पंजाबी भाषा को लिखने के लिए किया जाता है। यह लिपि खासतौर पर सिख धर्म और उसके धार्मिक ग्रंथों जैसे कि गुरु ग्रंथ साहिब को लिखने के लिए महत्वपूर्ण है।

 गुरुमुखी लिपि के बारे में मुख्य तथ्य:

उत्पत्ति: गुरुमुखी लिपि का विकास 16वीं शताब्दी में गुरु अंगद देव जी ने किया था। इसका उद्देश्य सिखों के लिए एक सरल और समान लेखन प्रणाली प्रदान करना था।

नाम का अर्थ: 'गुरुमुखी' का शाब्दिक अर्थ है — ‘गुरु के मुख से निकली हुई’। इसका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है।

लिपि का प्रकार: यह एक अबुगिदा (abugida) लिपि है, जिसका मतलब है कि हर व्यंजन में एक अंतर्निहित स्वर ('') जुड़ा होता है, जिसे विशेष चिह्नों के माध्यम से बदला जा सकता है।

अक्षर: इसमें मूल रूप से 35 अक्षर होते हैं, जिन्हें ਪੈਂਤੀ (Paintee) कहा जाता है। इनके अलावा कुछ अतिरिक्त अक्षर और निशान भी हैं जो विदेशी ध्वनियों और ध्वनि भिन्नताओं को दर्शाते हैं।

लिखने की दिशा: यह लिपि बाएं से दाएं लिखी जाती है। 








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