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- 30. SCONLI-12 (2018)
- 31. भाषाविज्ञान : शोध (Linguistics : Research)
- 32. EPG भाषाविज्ञान
- 33. विमर्श (Discussion)
- 34. लिंक सूची (Link List)
- 35. अन्य (Others)
Tuesday, April 28, 2020
हिंदी में विभक्ति और परसर्ग
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Friday, April 24, 2020
हिंदी में लिंग निर्धारण : एक व्यावहारिक दृष्टि
हिंदी
में लिंग निर्धारण : एक व्यावहारिक दृष्टि
डॉ.
अनिल कुमार पाण्डेय
महात्मा
गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
प्रत्येक भाषा में लिंग व्यवस्था का स्वरूप
बहुत ही व्यवस्थित व नियमपरक होना चाहिए | क्योंकि वाक्यगत संरचनाओं में लिंग का
अपना महत्व होता है | कुछ भाषाओं लिंग का प्रभाव क्रिया पर नहीं पड़ता तो कुछ में
कर्ता आदि पर, परन्तु अधिकांश भाषाओं में वाक्यविन्यासी स्तर पर लिंग का प्रभाव
स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है | प्रत्येक भाषा में लिंगों की संख्या
भिन्न-भिन्न हैं | जहाँ संस्कृत में पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसक लिंग है, अंग्रेजी
में पुल्लिंग स्त्रीलिंग व नपुंसक लिंग तीन-तीन लिंग की व्यवस्था दी गयी है वहीँ
हिंदी में दो ही लिंग पुल्लिंग व स्त्रीलिंग की व्यवस्था है | अन्य भाषाओं के इन
लिंगों की व्यवस्था में जो तीसरे प्रकार का लिंग (नपुंसक लिंग) है उसे इन्हें
दोनों कोटियों में रखा गया है | अब सवाल यह है कि किसको कहाँ रखा गया है | उसका
अपना कोई सिद्धांत भी नहीं है कि अमुक सिद्धांत के आधार पर इन्हें अलग- अलग रखा जा
सके | सजीव शब्दों का तो लिंग निर्धारण आसानी से किया जा सकता है, जैसे – पुरुष-महिला,
राजा-रानी, माता-पिता, गाय-बैल, हाथी-हाथिनी, घोड़ा-घोड़ी, नर पक्षी, मादा पक्षी, नर
कीट, मादा कीट आदि |
हिंदी
में पशु व पक्षी वाचक कुछ जाति वाचक शब्दों को पुल्लिंग व स्त्रीलिंग की कोटि में
रखा गया है जैसे – पुल्लिंग-कौआ, खटमल, सारस, चिता, उल्लू, केंचुआ, भेड़िया आदि |
स्त्रीलिंग-कोयल,
छिपकली, लोमड़ी, दीमक, चील, मैना, गिलहरी, तितली, मक्खी आदि |
उपर्युक्त पुल्लिंग वर्ग के शब्दों को यदि
स्त्रीलिंग के रूप में प्रयुक्त करना हो तो उस शब्द के पूर्व ‘मादा’ शब्द जोड़ना होगा
(मादा उल्लू-मादा कौआ तथा स्त्रीलिंग वर्ग के शब्दों को यदि पुल्लुंग के रूप
प्रयुक्त करना हो तो उस शब्द के पूर्व नर शब्द जोड़ना होगा (नर कौआ, नर छिपकली) |
सर्वनामों
में लिंग का निर्धारण संदर्भ से किया जाता है | वह, यह, हम, मैं, तुम, आप आदि
सर्वनाम शब्दों का लिंग निर्धारण संदर्भ से ही किया जा सकता है | उदहारण के लिए –
वह
आ रहा है/ आ रही है |
तुम
आ जाओ | (यहाँ संदर्भ से ही निर्धारित किया जा सकता है कि आने वाला पुरुष लिंग है
अथवा स्त्री लिंग) |
तुम
कब जाओगे ?
तुम
कब आओगी ?
आप
कौन हैं?
मैं
आ रहा हूँ/ आ रहीं हूँ |
वह
लड़का है / वह लड़की है |
ऊपर
दिए गये उदाहरणों में सर्वनामों का प्रयोग दोनों लिंगों में किया जा सकता है परंतु
इनके स्थान पर यदि संज्ञा शब्द का प्रयोग करेंगे तब वहाँ पुरूषवाची संज्ञा व
स्त्रीवाची संज्ञा का प्रयोग अलग-अलग होगा जैसे –
लड़का
आ रहा है |
लड़की
आ रही है |
श्याम
आ जाओ |
राधा
आ जाओ |
राम
लड़का है |
सीता
लड़की है |
सजीव
शब्दों में भी कुछ ऐसे वाक्य प्रयोग किए जाते हैं जो पुरुष व स्त्री दोनों के वाचक
होते हैं परंतु उन्हें या तो पुल्लिंग की कोटि में रखा गया है अथवा स्त्रीलिंग की
कोटि में |
पुल्लिंग-मनुष्य,
मानव, पशु, अभिभावक, औलाद, समाज, पक्षी, विद्यार्थी | स्त्रीलिंग-संतान, भीड़,
चिड़िया, मक्खी |
पशु
वर्ग में अधिकाशत: शब्द के पुल्लिंग व स्त्रीलिंग रूप मिलते हैं यथा- गाय-बैल,
घोड़ा-घोड़ी, हाथी-हाथिनी, ऊंट-ऊंटनी, कुत्ता-कुतिया, बाघ-बाघिन, शेर-शेरनी आदि |
परंतु समस्याएँ वहाँ आती हैं जहाँ निर्जीव
अथवा अमूर्त शब्दों के लिंग का निर्धारण करना हो | इसके अलावा मानव अथवा
पशु-पक्षियों के शरीर के लिंग निर्धारण की जब बात हो तो वहाँ भी समस्याएँ खासकर
अहिन्दी भाषी के लिए आती हैं |
प्रस्तुत आलेख का उद्देश्य है कि अहिन्दी भाषी
शिक्षार्थियों के साथ हिंदी भाषाई शिक्षार्थियों के लिए लिंग निर्धारण के कुछ
व्यावहारिक पक्ष प्रस्तुत किये जाएं जिससे कुछ हद तक उस संदर्भ में आने वाली
समस्याओं से छुटकारा मिल सके | चाहे हिंदी भाषी हो या अहिन्दी भी शिक्षार्थी लिंग
निर्धारण की अपेक्षा सरल होता है उनके लिए हिंदी संज्ञाओं के बहुवचन रूप बनाना |
उदाहरण के लिए –
कुर्सी से कुर्सियां, मेज से मेजें, घोड़ा से
घोड़े, लड़का से लड़के, लड़की से लड़कियाँ, चिड़िया से चिड़ियाँ, भावना से भावनाएँ,
पुस्तक से पुस्तकें, संकल्पनाएँ, आदतें, सीमाएँ, कथाएँ आदि | भाषा-भाषाएँ,
आशा-आशाएँ, वासना-वासनाएँ, दिशा-दिशाएँ, पत्रिका-पत्रिकाएँ, रेखा-रेखाएँ,
संरचना-संरचनाएँ |
उपर्युक्त उदाहरणों को देखने से एक बात जो
सामने आती है वह यह कि जितनी भी स्त्रीवाची संज्ञाएँ हैं, बहुवचन रूप बनने पर
उसमें ‘एँ’ अथवा ‘याँ’ प्रत्यय जुड़ते हैं जबकि पुरूषवाची संज्ञाओं में ‘ए’ अथवा
शून्य | शून्य से तात्पर्य है कोई परिवर्तन नहीं होता | शून्य प्रत्यय पुरूषवाची
एवं स्त्रीवाची दोनों प्रकार के शब्दों में लग सकते हैं | परन्तु पुरूषवाची शब्दों
में शून्य प्रत्यय लगने की संभावनाएँ बहुत अधिक हैं जबकि स्त्रीवाची शब्दों में
बहुत कम |
अधिकांश वैयाकरणों ने ई अथवा इ कारांत शब्दों
को स्त्रीवाची माना है | इ (हृस्व इ) ईकारांतशब्द सभी स्त्रीवाची हो सकते हैं
(सजीव को छोड़कर) परंतु ई (दीर्घ ई) कारांत सभी शब्द स्त्रीवाची हो आवश्यक नहीं |
उदाहरण के लिए ईकारांतशब्द –परिस्थिति, प्रकृति, विधि, लिपि, गति, संस्कृति,
सिद्धि, स्थिति, आकृति, पूर्ति, परिस्थिति, शक्ति, पुष्टि, व्यक्ति, उक्ति, रूचि,
त्रुटी, राशि, हानि, जाति, ख्याति, ध्वनि आदि ईकारांतशब्द स्त्रीवाची हैं |
अपवाद
रूप में कवि पुल्लिंग है कवियित्री स्त्रीलिंग, जो सजीव हैं | मणि पुल्लिंग है |
ये शब्द संस्कृत के हैं वहाँ भी पुल्लिंग है |
ईकारांत शब्द-स्त्रीवाची-इकाई, शैली, आवादी,
मनमानी, हिंदी, तलहटी, ऊँचाई, लम्बाई चौड़ाई, गहराई, दूरी खाड़ी, चेतावनी, सामग्री,
गाड़ी, साड़ी, टाई, कड़ाई, चाभी, नाभी, गद्दी, सर्दी |
ईकारांत पुरूषवाची शब्द- पानी, दही, पक्षी,
विद्यार्थी, पटवारी, आदमी, चौधरी, नाशपाती, दफ्तरी |
अब विशेषण शब्द से भाववाचक ‘ता’ अन्त प्रत्यय
से युक्त भाववाचक संज्ञाओं को देखें-कुशलता, बहुलता, तीव्रता, आधुनिकता,
राष्ट्रीयता, स्वतंत्रता, मानवता, आवश्यकता, दीर्घता, पशुता, नम्रता, नग्नता,
निरंतरता, प्रभुता, योग्यता, सहायता, एकता, विशेषता, जनता, भारतीयता, उग्रता,
पशुता, अगराजकता, महानता, सुन्दरता, कृतज्ञता, अज्ञानता | दरिद्रता, शीघ्रता,
नम्रता, रम्यता, मान्यता, आद्रता, सदस्यता, मध्यस्थता, दुष्टता, श्रेष्टता,
सत्यता, मित्रता, वक्रता, सूक्ष्मता, शुभ्रता, सभ्यता |
उपर्युक्त सभी भाववाचक संज्ञाएँ स्त्रीलिंग
शब्द हैं | हिंदी में ‘ता’ प्रत्यय स्त्री का वाचक है जबकि ‘त्व’ प्रत्यय पुरुष का
| जिस संज्ञा शब्द के अंत में ये प्रत्यय जुड़ेंगे, उसी के अनुरूप लिंग का निर्धारण
होगा | जैसे ‘सुन्दरता’ जहाँ स्त्रीवाची शब्द है भीं ‘सौन्दर्य’ पुरूषवाची |
‘निजता’ जहाँ स्त्रीवाची शब्द हैं वहीँ ‘निजत्व’ पुरूषवाची शब्द | ‘गंभीरता’ जहाँ
स्त्रीवाची शब्द है वहीँ गाम्भीर्य पुरूषवाची |
इसी
प्रकार अन्य उदाहरण दृष्टव्य हैं –
पुरूषवाची
शब्द
अस्तित्व,
मातृत्व, भातृत्व, कर्तृत्व, एकत्व, कृतित्व, द्वित्व, प्रभुत्व पुरूषत्व, पितृत्व
आदि |
हिंदी में कुछ अव्यय भी स्त्रीवाची एवं कुछ पुरूषवाची
होते हैं | उनके पूर्व कुछ परसर्ग (संबंधकारक) जुड़कर पदबंध की रचना करते हैं
| यथा- (स्त्रीवाची) – की ओर- की खातिर-
की तरफ – की भाँति |
पुरूषवाची-के
वजाय, -के बाद, -के पहले, -के बदले, -के लिए |
आकारांत
शब्द बहुधा स्त्रीवाची होते हैं, जिनका बहुवचन रूप बनने पर ‘एँ’ प्रत्यय जुड़ता है
| जिसका उल्लेख पहले भी किया जा चुका है, यथा- दिशा, भावना, आशा, प्रशंसा, वासना,
निराशा, प्रक्रिया, सभा, संख्या, रखा, संरचना, क्रिया, आत्मा, हवा, भाषा, सुविधा
आदि | परन्तु कुछ आकारांत शब्द पुल्लिंग भी होते हैं परन्तु बहुवचन रूप बनने पर एँ
अथवा याँ नहीं लगते जैसे –चकवा, पत्ता, कत्था, रूतबा, कटघरा, मट्ठा, बाजरा, हिजड़ा
इनके बहुवचन रूप में ‘ए’ जुड़ेगा | चकवे, पत्ते, कत्थे, रूतवे, मट्ठा, बाजरे, हिजड़े
आदि |
कुछ प्रसंगों से हम किसी शब्दों का लिंग
निर्धारण कर सकने में सफल हो सकते हैं | जैसे किसी वाक्य में ‘की’ परसर्ग का
प्रयोग हुआ है तो उसके बाद का पद अथवा शब्द स्त्रीवाची होगा | उदाहरण के लिए –
उनकी कहानी मैंने सुनी है | में ‘की’ परसर्ग के बाद पद ‘कहानी’ स्त्रीलिंग है |
इसी प्रकार हम पाते हैं कि परसर्ग ‘की’ ‘री’ (मेरी) ‘नी’ (अपनी) परसर्ग के अब्द के
शब्द स्त्रीलिंग होते हैं | इसी प्रकार का, के परसर्ग के बाद का शब्द पुल्लिंग
होता है | परंतु प्रश्न उठता है कि यह निर्धारण संदर्भगत अथवा वाक्यगत है जो पाठक
अथवा प्रयोक्ता के सम्मुख है | परंतु यदि हिंदी प्रयोक्ता को किसी शब्द का लिंग
निर्धारण करना हो तो कैसे करें ?
हिंदी में जहाँ रूप पुल्लिंग है वहीं उसका
पर्याय शब्द आत्मा स्त्रीलिंग | जहाँ ‘पवन’ शब्द पुल्लिंग है वहीँ ‘हवा’ स्त्रीलिंग
| जहाँ ‘मौसम’ पुल्लिंग है वहीँ ‘ऋतु’ स्त्रीलिंग | जहाँ ‘नयन’ पुल्लिंग है वहीँ
‘आँख’ स्त्रीलिंग |
जिस प्रकार प्राय: विशेषण शब्दों में ‘ता’
प्रत्यय जुड़कर भाववाचक संज्ञा बनते हैं जो पहले दिया जा चुका है उसी प्रकार ‘आवट’
व ‘आहट’ प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़कर भाववाचक संज्ञा बनाते हैं जैसे – आवट-
सजावट, लिखावट, रूकावट, मिलावट, बनावट, गिरावट आदि |
आहट
– हकलाहट, घबराहट, चिल्लाहट, जगमगाहट, मुस्कराहट आदि |
इसी
प्रकार – इमा प्रत्यय युक्त शब्द गरिमा, लालिमा, कालिमा, महिमा, हरितिमा आदि संज्ञाएँ
स्त्रीवाची हैं |
उपर्युक्त
इस प्रकार की सभी भाववाचक स्त्रीलिंग होती हैं |
परंतु
‘पा’ व ‘पन’ प्रत्ययों के युग से बनने वाली भाववाचक संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं
जैसे –
-पा-बुढ़ापा,
मोटापा आदि
-पन
– बचपन, पागलपन, बड़प्पन, छुटपन आदि |
हिंदी में सर्वनाम वह, यह, मैं, तुम, हम, आप
आदि सभी स्वयं कोई लिंग व्यक्त नहीं करते परंतु वाक्य में प्रयुक्त होने पर विधेय
क्रिया अथवा पूरक द्वारा इनका निर्धारण होता है कि ये स्त्रीलिंग हैं या पुल्लिंग
जैसे –
वह
लड़का है | (पूरक द्वारा)
वह
लड़की है | (पूरक द्वारा)
वह
जा रहा है | (क्रिया द्वारा)
वह
जा रही है | (क्रिया पूरक)
परन्तु वर्तमान कालिक स्थिति बोधक सहायक
क्रिया अथवा कप्यूला क्रिया है, हैं द्वारा सर्वनाम के लिंग का निर्धारण नहीं हो
पाता | हाँ, भूतकालिक अथवा संभावनार्थक सहायक क्रिया अथवा भविष्यवाची काल चिह्नक
सहायक क्रिया के द्वारा लिंग की पहचान हो सकती है जैसे –
वह
दिल्ली में है
वे
दिल्ली में हैं लिंग बाधित
वह
दिल्ली में थी
वे
दिल्ली में थीं स्त्रीवाची
वह
दिल्ली में होगी
वे
दिल्ली में होंगी स्त्रीवाची
सामासिक
शब्द के पूर्व पद के लिंग के अनुसार ही विशेषण पदों में परिवर्तन होता है |
क्योंकि पूर्वपद ही उसके निकट होता है –
स्कूल
के लड़के लड़कियां मेरे साले, सालियाँ
उनकी
बेटी बेटे
परंतु क्रिया पद द्वितीय पद के लिंग के अनुसार
रूपांतरित होता है क्योंकि द्वितीय पद क्रिया के निकट का पद है – स्कूल के लड़के
लड़कियाँ जा चुकी हैं | ( में लड़कियाँ जो द्वितीय पद है उसके अनुसार क्रिया का
प्रयोग स्त्रिलिंग में हो रहा है |
मेरे
साले सालियाँ आयी हैं | सालियाँ के अनुसार आयी हैं |
उनकी
बेटी बेटे चले गये | ‘बेटे’ के अनुसार चले गये |
प्रस्तुत आलेख के द्वारा व्यावहारिक रूप से इस
समस्या का समाधान ढूढ़ने का प्रयास किया गया है | व्यावहारिक रूप इसलिए कहना
उपयुक्त है कि इसे सिद्धांत नहीं कह सकते क्योंकि सिद्धांत तो सिद्ध होता है परंतु
मेरा प्रयास हिंदी के प्रयोक्ताओं के लिंग निर्धारण सम्बन्धी समस्याओं को कुछ कम
करना है |
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
हिंदी क्रिया: व्युत्पन्न अकर्मक, सकर्मक और प्रेरणार्थक
हिंदी क्रिया: व्युत्पन्न
अकर्मक, सकर्मक
और प्रेरणार्थक
जिन शब्दों से किसी
कार्य का करना या होना पाया जाता है, उन्हें क्रिया शब्द कहते हैं। क्रिया एक महत्वपूर्ण शब्दभेद (Parts
of Speech) है। वाक्य-निर्माण की दृष्टि से देखा जाए तो क्रिया
वाक्य निर्माण की सबसे आधारभूत इकाई है। क्रिया ही यह तय करती है कि वाक्य में कौन-कौन
से घटक प्रयोग में आ सकते हैं और वे किन रूपों में आ सकते हैं।
क्रिया के प्रकार
क्रिया के प्रकार कई
आधारों पर किए जाते हैं। उदाहरण के लिए हम कुछ आधारों पर क्रिया के प्रकार इस प्रकार
से देख सकते हैं-
(1) कर्मकता के
आधार पर
·
अकर्मक
क्रिया
·
सकर्मक
क्रिया
· द्विकर्मक क्रिया
(2) अभिव्यक्त अर्थ
के आधार पर
·
स्थितिबोधक
क्रियाएँ (State Verbs)
·
कार्यबोधक
(Action verb)
·
प्रक्रियाबोधक
क्रियाएँ (Process Verbs)
·
स्थिति-प्रक्रियाबोधक
क्रियाएँ (Action-process Verbs)
(3) प्रकार्य के आधार
पर
·
मुख्य क्रिया
·
सहायक क्रिया
·
रंजक क्रिया
रचना के आधार पर
इस आधार पर हम
क्रियाओं को शाब्दिक रचना दृष्टि से यह देखते हैं कि वे क्रियाएं कैसे बनती हैं।
इस दृष्टि से क्रिया के निम्नलिखित प्रकार किए जा सकते हैं।
· मूल क्रिया- यह
क्रिया का मूलभूत रूप है। अर्थात वास्तविक संसार में क्रिया जिस तरह से घटित होती
है, उसे अभिव्यक्त करने लिए यह जिन शब्दरूपों
का प्रयोग होता है, वे मूल क्रिया के अंतर्गत आते हैं। ये अकर्मक, सकर्मक, द्विकर्मक तीनों रूपों में हो सकते हैं।
उदाहरण-
· अकर्मक : चलना, बैठना, उठना आदि।
· सकर्मक- पढ़ना, रखना, लिखना, देखना आदि।
· द्विकर्मक- देना, पढ़ाना आदि।
· व्युत्पन्न अकर्मक- सामान्यतः क्रियाएं अपने अर्थ के आधार पर ही अकर्मक, सकर्मक अथवा द्विकर्मक होती हैं, जैसे- ‘चलना’ क्रिया अकर्मक
क्रिया है, क्योंकि इसके साथ कर्म नहीं आ सकता।
वह चल रहा है।
वह जा रहा है।
इन वाक्यों में ‘चलना’ क्रिया या ‘जाना’ क्रिया का कोई कर्म नहीं है।
चलना, उठना, बैठना, गिरना आदि क्रियाएं अकर्मक क्रियाएँ हैं, किंतु
हिंदी में कुछ ऐसी क्रियाएं भी बनती हैं जो अपने मूलभूत स्वरूप में सकर्मक होती
हैं, किंतु हम उनका अकर्मकीकरण कर देते हैं। ऐसी स्थिति में
उनका कर्म ही कर्ता बन जाता है। सकर्मक से अकर्मक के रूप में उत्पन्न की गई
क्रियाओं को ‘व्युत्पन्न अकर्मक क्रिया’ कहते हैं। उदाहरण के लिए-
जोतना से जुतना
खोदना से खुदना
तोड़ना से टूटना
ठीक करना से ठीक होना
पीटना से पिटना
धोना से धुलना
ये सारी क्रियाएं अपनी
मूलभूत सकर्मक क्रियाओं से जानबूझकर अकर्मकीकरण करके बनाई गई क्रियाएं हैं। अतः ये
‘व्युत्पन्न अकर्मक क्रियाएँ’ हैं।
· सकर्मक क्रिया:- वे क्रियाएँ जिनसे जिन्हें कर्म की आवश्यकता होती है, सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। सभी क्रियाओं को
कर्ता की आवश्यकता होती है, लेकिन कर्म की आवश्यकता केवल
उन्हीं क्रियाओं को होती है, जो सकर्मक होती हैं। सकर्मक
क्रिया की पहचान उसके पहले ‘क्या’
लगाकर की जा सकती है। यदि क्रिया से पहले ‘क्या’ लगाने पर हमें कोई उत्तर मिले और वह उत्तर ‘कर्ता’ न हो, तो समझिए कि वह क्रिया सकर्मक है, और यदि उत्तर ना मिले या उत्तर ‘कर्ता’ मिले तो समझिए कि वह अकर्मक क्रिया है, जैसे-
खाना, रखना, पीटना, चुराना, फेंकना, फाड़ना आदि
सकर्मक क्रियाएँ हैं।
· प्रेरणार्थक क्रिया- इन्हें हम क्रियाओं के प्रेरणार्थक रूप
भी कहते हैं। मूल क्रियाओं का प्रेरणार्थीकरण भी किया जाता है। इसमें शब्दों के
ऐसे रूप बनाए जाते हैं कि क्रिया का कर्ता किसी अन्य कर्ता से प्रेरित हो जाता है, और उसके द्वारा संपन्न किया जाने वाला कार्य
‘दूसरे कर्ता’ (प्रेरणार्थक कर्ता) द्वारा
कराया जाने लगता है।
क्रियाओं के दो तरह के
प्रेरणार्थक रूप बनते हैं- प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक। इन्हें हम
इस प्रकार देख सकते हैं-
मूल क्रिया प्रथम प्रेरणार्थक द्वितीय प्रेरणार्थक
खाना खिलाना खिलवाना
देना दिलाना दिलवाना
पीना पिलाना पिलवाना
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Saturday, April 18, 2020
रूपविज्ञान की विषयवस्तु
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
कार्पस निर्माण प्रक्रिया
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
कार्पस क्या है?
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
प्लेटो : एक परिचय
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
उर्दू हिंदी समतुल्य शब्द
स्रोत- व्हाट्सअप
उर्दू हिंदी
01• ईमानदार - निष्ठावान
02• इंतजार - प्रतीक्षा
03 •इत्तेफाक - संयोग
04• सिर्फ - केवल, मात्र
05 •शहीद - बलिदान
06• यकीन - विश्वास, भरोसा
07• इस्तकबाल - स्वागत
08• इस्तेमाल - उपयोग, प्रयोग
09• किताब - पुस्तक
10• मुल्क - देश
11• कर्ज़ - ऋण
12• तारीफ़ - प्रशंसा
13 •तारीख - दिनांक, तिथि
14 •इल्ज़ाम - आरोप
15 •गुनाह - अपराध
16• शुक्रिया - धन्यवाद,आभार
17 •सलाम - नमस्कार, प्रणाम
18• मशहूर - प्रसिद्ध
19• अगर - यदि
20• ऐतराज़ - आपत्ति
21• सियासत - राजनीति
22 •इंतकाम - प्रतिशोध
23• इज्ज़त - मान, प्रतिष्ठा
24• इलाका - क्षेत्र
25• एहसान - आभार, उपकार
26 •अहसानफरामोश - कृतघ्न
27 •मसला - समस्या
28• इश्तेहार - विज्ञापन
29 •इम्तेहान - परीक्षा
30 •कुबूल - स्वीकार
31• मजबूर - विवश
32 •मंजूरी - स्वीकृति
33• इंतकाल - मृत्यु, निधन
34• बेइज्जती - तिरस्कार
35 •दस्तखत - हस्ताक्षर
36 •हैरानी - आश्चर्य
37 •कोशिश - प्रयास, चेष्टा
38• किस्मत - भाग्य
39• फै़सला - निर्णय
40 •हक - अधिकार
41• मुमकिन - संभव
42• फर्ज़ - कर्तव्य
43 •उम्र - आयु
44 •साल - वर्ष
45• शर्म - लज्जा
46• सवाल - प्रश्न
47 •जवाब - उत्तर
48• जिम्मेदार - उत्तरदायी
49• फतह - विजय
50• धोखा - छल
51 •काबिल - योग्य
52• करीब - समीप, निकट
53• जिंदगी - जीवन
54 •हकीकत - सत्य
55• झूठ - मिथ्या,असत्य
56 •जल्दी - शीघ्र
57 •इनाम - पुरस्कार
58• तोहफ़ा - उपहार
59• इलाज - उपचार
60• हुक्म - आदेश
61 •शक - संदेह
62 •ख्वाब - स्वप्न
63• तब्दील - परिवर्तित
64 •कसूर - दोष
65 •बेकसूर - निर्दोष
66• कामयाब - सफल
67 •गुलाम - दास
68 •जन्नत -स्वर्ग
69• जहन्नुम -नर्क
70• खौ़फ -डर
71• जश्न -उत्सव
72 •मुबारक -बधाई,शुभेच्छा
73• लिहाजा़ -इसलिए
74• निकाह -विवाह/शादि
75 •आशिक -प्रेमी
76• माशुका -प्रेमिका
77• हकीम -वैध
78• नवाब -राजसाहब
79• रुह -आत्मा
80• खु़दकुशी -आत्महत्या
81 •इज़हार -प्रस्ताव
82• बादशाह -राजा/महाराजा
83• ख़्वाहिश -महत्वाकांक्षा
84• जिस्म -शरीर/अंग
85 •हैवान -दैत्य/असुर
86• रहम -दया
87• बेरहम -बेदर्द/दर्दनाक
88• खा़रिज -रद्द
89 •इस्तीफ़ा -त्यागपत्र
90 रोशनी -प्रकाश
91•मसीहा -देवदूत
92 •पाक -पवित्र
93• क़त्ल -हत्या
94• कातिल -हत्यारा
95 •मुहैया - उपलब्ध
96 •फ़ीसदी - प्रतिशत
97 •कायल - प्रशंसक
98 • मुरीद - भक्त
99• कीमत - मूल्य (मुद्रा) 100• वक्त - समय
101 •सुकून - शाँति
102•आराम - विश्राम
103• मशरूफ़ - व्यस्त
104 •हसीन - सुंदर
105 •कुदरत - प्रकृति
106 •करिश्मा - चमत्कार
107• इजाद - आविष्कार
108 •ज़रूरत - आवश्यक्ता
109 •ज़रूर - अवश्य
110 •बेहद - असीम
111 •तहत - अनुसार
उर्दू हिंदी
01• ईमानदार - निष्ठावान
02• इंतजार - प्रतीक्षा
03 •इत्तेफाक - संयोग
04• सिर्फ - केवल, मात्र
05 •शहीद - बलिदान
06• यकीन - विश्वास, भरोसा
07• इस्तकबाल - स्वागत
08• इस्तेमाल - उपयोग, प्रयोग
09• किताब - पुस्तक
10• मुल्क - देश
11• कर्ज़ - ऋण
12• तारीफ़ - प्रशंसा
13 •तारीख - दिनांक, तिथि
14 •इल्ज़ाम - आरोप
15 •गुनाह - अपराध
16• शुक्रिया - धन्यवाद,आभार
17 •सलाम - नमस्कार, प्रणाम
18• मशहूर - प्रसिद्ध
19• अगर - यदि
20• ऐतराज़ - आपत्ति
21• सियासत - राजनीति
22 •इंतकाम - प्रतिशोध
23• इज्ज़त - मान, प्रतिष्ठा
24• इलाका - क्षेत्र
25• एहसान - आभार, उपकार
26 •अहसानफरामोश - कृतघ्न
27 •मसला - समस्या
28• इश्तेहार - विज्ञापन
29 •इम्तेहान - परीक्षा
30 •कुबूल - स्वीकार
31• मजबूर - विवश
32 •मंजूरी - स्वीकृति
33• इंतकाल - मृत्यु, निधन
34• बेइज्जती - तिरस्कार
35 •दस्तखत - हस्ताक्षर
36 •हैरानी - आश्चर्य
37 •कोशिश - प्रयास, चेष्टा
38• किस्मत - भाग्य
39• फै़सला - निर्णय
40 •हक - अधिकार
41• मुमकिन - संभव
42• फर्ज़ - कर्तव्य
43 •उम्र - आयु
44 •साल - वर्ष
45• शर्म - लज्जा
46• सवाल - प्रश्न
47 •जवाब - उत्तर
48• जिम्मेदार - उत्तरदायी
49• फतह - विजय
50• धोखा - छल
51 •काबिल - योग्य
52• करीब - समीप, निकट
53• जिंदगी - जीवन
54 •हकीकत - सत्य
55• झूठ - मिथ्या,असत्य
56 •जल्दी - शीघ्र
57 •इनाम - पुरस्कार
58• तोहफ़ा - उपहार
59• इलाज - उपचार
60• हुक्म - आदेश
61 •शक - संदेह
62 •ख्वाब - स्वप्न
63• तब्दील - परिवर्तित
64 •कसूर - दोष
65 •बेकसूर - निर्दोष
66• कामयाब - सफल
67 •गुलाम - दास
68 •जन्नत -स्वर्ग
69• जहन्नुम -नर्क
70• खौ़फ -डर
71• जश्न -उत्सव
72 •मुबारक -बधाई,शुभेच्छा
73• लिहाजा़ -इसलिए
74• निकाह -विवाह/शादि
75 •आशिक -प्रेमी
76• माशुका -प्रेमिका
77• हकीम -वैध
78• नवाब -राजसाहब
79• रुह -आत्मा
80• खु़दकुशी -आत्महत्या
81 •इज़हार -प्रस्ताव
82• बादशाह -राजा/महाराजा
83• ख़्वाहिश -महत्वाकांक्षा
84• जिस्म -शरीर/अंग
85 •हैवान -दैत्य/असुर
86• रहम -दया
87• बेरहम -बेदर्द/दर्दनाक
88• खा़रिज -रद्द
89 •इस्तीफ़ा -त्यागपत्र
90 रोशनी -प्रकाश
91•मसीहा -देवदूत
92 •पाक -पवित्र
93• क़त्ल -हत्या
94• कातिल -हत्यारा
95 •मुहैया - उपलब्ध
96 •फ़ीसदी - प्रतिशत
97 •कायल - प्रशंसक
98 • मुरीद - भक्त
99• कीमत - मूल्य (मुद्रा) 100• वक्त - समय
101 •सुकून - शाँति
102•आराम - विश्राम
103• मशरूफ़ - व्यस्त
104 •हसीन - सुंदर
105 •कुदरत - प्रकृति
106 •करिश्मा - चमत्कार
107• इजाद - आविष्कार
108 •ज़रूरत - आवश्यक्ता
109 •ज़रूर - अवश्य
110 •बेहद - असीम
111 •तहत - अनुसार
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Chomsky : Ideas and Ideals (Neil Smith)
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Chomsky : Language And Mind
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Thursday, April 16, 2020
प्रोक्ति-विश्लेषण संबंधी कार्पस आधारित कुछ कार्य
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Tuesday, April 14, 2020
ऑनलाइन पढ़ने में मददगार 12 प्लेटफॉर्म
दैनिक भास्कर
Apr 14, 2020, 12:23 PM IST
देश में ऑनलाइन एजुकेशन पहले ही तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इसमें अप्रत्याशित तेजी आ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉकडाउन के बीच ऑनलाइन कोर्सेस में तीन गुना तक बढ़ोतरी हुई है। कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का दावा है कि पिछले साल के इसी समय की तुलना में इस बार 505% नए रजिस्ट्रेशन हुए हैं। जहां कई स्कूल ऑनलाइन क्लासेस चला रहे हैं, वहीं भारत सरकार ने भी डिजिटल एजुकेशन को बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। जानिए कुछ चर्चित ई-एजुकेशन प्लेटफॉर्म्स के बारे में।
ई-लर्निंग और कोर्सेस के लिए सरकार के 5 मुफ्त प्लेटफॉर्म
इलिस पोर्टल (ELIS portal)
किसके लिए है: जो स्किल्स बढ़ाने के लिए कोर्स करना चाहते हैं
कहां मिलेगा: free.aicte-india.org
एआईसीटीई एआईसीटीई ने इस मुफ्त पोर्टल की शुरुआत की है। यह ‘इनहेंसमेंट इन लर्निंग विद इम्प्रूवमेंट इन स्किल्स’ (ईएलआईएस) पोर्टल है। इसमें कई मुफ्त कोर्सेस उपलब्ध हैं, जिनमें मशीन लर्निंग, प्रोग्रामिंग, डिजिटल मार्केटिंग जैसे कई तरह के कोर्स शामिल हैं। एआईसीटीई ने 18 ऑनलाइन एजुकेशन कंपनियों से टायअप किया है, जो 26 कोर्स दे रही हैं। कोर्सेस मुफ्त पाने के लिए 15 मई तक रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है।
स्वयं (SWAYAM)
किसके लिए है: कक्षा 9 से पोस्ट ग्रेजुएशन तक के छात्रों के लिए।
कहां मिलेगा: swayam.gov.in, एप भी उपलब्ध है।
इस पर भी कई मुफ्त कोर्स हैं। यहां आर्कीटेक्चर, आर्ट्स, लॉ, गणित, विज्ञान से लेकर कई विषयों के कोर्स हैं। कोर्स को चार हिस्सों में बांटा गया है, वीडियो लेक्चर, रीडिंग मटेरियल, सेल्फ-असेसमेंट टेस्ट और ऑनलाइन डिस्कशन फोरम। 1000 शिक्षकों द्वारा तैयार रीडिंग मटेरियल को डाउनलोड कर सकते हंै। अगर ‘स्वयं’ सर्टिफिकेट चाहिए तो रजिस्ट्रेशन करना होगा और परीक्षाओं के लिए मामूली फीस देनी होगी।
दीक्षा (DIKSHA)
किसके लिए है: शिक्षकों और पहली से 12वीं के छात्रों के लिए।
कहां मिलेगा: diksha.gov.in और एप भी उपलब्ध है।
इस पोर्टल पर शिक्षकों और छात्रों के लिए शिक्षण सामग्री है। केवल 12वीं कक्षा के लिए ही 80 हजार से ज्यादा ई-बुक्स हैं, जिन्हें सीबीएसई, एनसीईआरटी और राज्य शिक्षा बोर्ड्स ने तैयार किया है। किताबें 8 भाषाओं में उपलब्ध हैं। इसका उद्देश्य है कि फिजिकल क्लासरूम मौजूद न होने की स्थिति में भी बच्चों की पढ़ाई न रुके। लर्निंग मटेरियल देखने के लिए टेक्स्टबुक में मौजूद क्यूआर कोड को भी स्कैन कर सकते हैं।
एनआरओईआर (NROER)
किसके लिए है: स्कूल-कॉलेज से लेकर नौकरीपेशा लोगों के लिए।
कहां मिलेगा: nroer.gov.in
नेशनल रिपॉजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेस (NROER) के तहत ई-लाइब्रेरी, ई-बुक्स और ई-कोर्सेस की रिपॉजिटरी (कोष) तैयार की गई है। हिन्दी और अंग्रेजी में उपलब्ध इस पोर्टल में 14 हजार से ज्यादा फाइल्स हैं, जिनमें 3000 से ज्यादा डॉक्यूमेंट्स, 1300 से ज्यादा सेशंस, करीब 1600 ऑडियोज और 6100 से ज्यादा वीडियो हैं। क्लासरूम में चल रहे लेसंस से जुड़ने के लिए इसमें एनरोल भी कर सकते हैं। साथ ही ऑनलाइन टेस्ट भी उपलब्ध हैं।
ई-पाठशाला (E-Pathshala)
किसके लिए है: पहली से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए।
कहां मिलेगा: epathshala.gov.in, एप भी उपलब्ध।
एनसीईआरटी के इस प्लेटफॉर्म पर पहली से बारहवीं तक की सभी विषयों की किताबें मुफ्त उपलब्ध हैं। इसके अलावा भी इन कक्षाओं के लिए पढ़ाई संबंधी कई ई-रिसोर्सेस हैं। ई-पाठशाला एप 27 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड हो चुकी है। इसमें 500+ ई-बुक्स, 2000+ वीडियो और 1800+ ऑडियो हैं। ऑनलाइन किताबों को पढ़ना आसान बनाने के लिए सिलेक्ट, जूम, हाइलाइट और बुकमार्क जैसे ऑप्शन भी एप पर उपलब्ध हैं।
ऑनलाइन कोर्सेस और क्लासेस के 7 प्लेटफॉर्म
बायजूस
कहां मिलेगा- byjus.com>
यह प्लेटफॉर्म चौथी क्लास के बच्चों से लेकर जेईई, कैट जैसी परीक्षाओं तक के लिए लर्निंग प्रोग्राम उपलब्ध करवाता है। यह देश की सबसे ज्यादा चलने वाली एजुकेशन साइट है और इसपर 3.5 करोड़ से ज्यादा बच्चे रजिस्टर्ड हैं। छोटे बच्चों के लिए डिज्नी बायजूस एप भी है।
कोर्सेरा
कहां मिलेगा- coursera.org>
इसमें 140 कॉलेज और यूनिवर्सिटीज से संबद्ध 1000 से ज्यादा कोर्सेस हैं। इनमें जेटा साइंस, फोटोग्राफी, बिजनेस जैसे कई एडवांस डिग्री और स्पेशलाइजेशन कोर्स उपलब्ध हैं। इसका एप एक करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड हो चुका है।
यूडिमी
कहां मिलेगा- udemy.com>
ऑनलाइन एजुकेशन के मामले में ग्लोबल ब्रांड बन चुका यूडिमाय कई पेशवर कोर्स करवाता है। इस एजुकेशनल वेबसाइट से दुनियाभर में 5 करोड़ से ज्यादा छात्र जुड़े हुए हैं। करीब 1.5 लाख कोर्स उपलब्ध कराने वाले इस प्लेटफॉर्म पर 57 हजार इंस्ट्रक्टर मौजूद हैं।
अनएकेडमी
कहां मिलेगा: unacademy.com>
यह प्लेटफॉर्म एक प्रकार से ऑनलाइन कोचिंग क्लास है। इसके जरिए रेलवे, डिफेंस, जेईई, नीट, गेट, सीए, सीएस जैसे कई प्रतियोगी परीक्षाओं की ऑनलाइन तैयारी की जा सकती है। कभी यूट्यूब चैनल के रूप में शुरू हुए इस प्लेटफॉर्म से करीब 2 करोड़ स्टूडेंट जुड़े हुए हैं।
टॉपर
कहां मिलेगा: toppr.com>
कक्षा कक्षा 5वीं से 12वीं के बच्चों के लिए उपलब्ध यह प्लेटफॉर्म स्कूल की पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाता है। इसमें लाइव क्लासेस, स्टडी मटेरियल जैसे फीचर्स हैं। सीबीएसई, आईसीएसई और 18 स्टेट बोर्ड्स से जुड़े कोर्सेस हैं।
वेदांतु
कहां मिलेगा: vedantu.com>
यह टीचर्स और स्टूडेंट्स को जोड़ने का काम करता है। इससे कई क्वालिफाइड टीचर्स जुड़े हैं जो छठवीं से लेकर बारहवीं और कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से जुड़ी ऑनलाइन क्लासेस देते हैं। इसके अलावा रिकॉर्डेड वीडियोज भी उपलब्ध हैं।
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
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