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Sunday, April 12, 2020

रूपिम, रूप और संरूप (Morpheme, Morph and Allomorph)


रूपिम, रूप और संरूप (Morpheme, Morph and Allomorph)
रूपिम और रूप (Morpheme and Morph)
रूपिम किसी भाषा की लघुतम अर्थवान इकाई है। अर्थात यह किसी भाषा की वह सबसे छोटी इकाइ है, जिसका अपना स्वतंत्र अर्थ होता है। रूपिम के और अधिक अर्थवान टुकड़े नहीं किए जा सकते।
 रूपिमों का भाषा व्यवहार में प्रयोग करना रूप है। अर्थात जब हम किसी रूपिम का उच्चारण करते हैं या लेखन में उसका प्रयोग करते हैं तो वह रूप बन जाता है।
 रूपिम और रूप में मूलभूत अंतर यह है कि रूपिम एक मानसिक संकल्पना है जबकि रूप उसका व्यवहारिक प्रयोग।  प्रत्येक रूपिम हमारे मन में एक संकल्पनात्मक इकाई के रूप में स्थापित होता है।  उस इकाई के आधार पर ही हम उसका व्यवहार में बार-बार प्रयोग कर पाते हैं। उदाहरण के लिए लड़का शब्द एक रूपिम के रूप में हमारे मन में स्थित है। अब लड़का शब्द का हम भाषा व्यवहार में जितनी बार प्रयोग करेंगे उतनी बार वह रूप की तरह हमारे सामने आएगा।  उदाहरण के लिए निम्नलिखित वाक्यों को देखें-
·       लड़का बाजार जाता है
·       वह लड़का बहुत सुंदर है
·       मैंने एक अच्छा लड़का देखा
·       मेरा लड़का बहुत मेहनत से पढ़ाई करता है
इन 4 वाक्यों में लड़का शब्द चार बार आया है अतः इसके चार रूप हुए जबकि रूपिम एक ही है।
  इसे निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त कर सकते हैं-
/लड़का/       à {लड़का, लड़का, लड़का, लड़का...}
रूपिम                                 रूप
यही बात सभी रूपिमों और रूपों के साथ लागू होती है। अर्थात हमारे मन में एक ही रूपिम संकल्पना के रूप में संग्रहित होता है, लेकिन जीवन में हम उसका हजारों, लाखों या करोड़ों बार प्रयोग करते हैं। अतः यदि किसी रूपिम का एक लाख बार प्रयोग किया गया हो, तो ये प्रयोग उसके एक लाख रूप माने जाएंगे, जबकि रूपिम एक ही होगा। इसे आप स्वनिम और स्वन की तर्ज पर समझ सकते हैं।
रूपिम, रूप और संरूप (Morpheme and Allomorph)
 किसी रूपिम का वह ध्वन्यात्मक विभेद जो किसी परिवेश विशेष में प्रयोग में आता है संरूप कहलाता है।  अर्थात वह रूपिम का ही एक दूसरा रुप होता है, जिसमें ध्वनियाँ थोड़ी-बहुत अलग हो जाती हैं और उस प्रकार बने हुए ध्वनि समूह का प्रयोग किसी परिस्थिति विशेष में किया जाता है।
 उदाहरण के लिए निम्नलिखित शब्द-युग्म को देखे जा सकते हैं-
लड़का, लड़क
बच्चा, बच
घोड़ा, घुड़
इन शब्द-युग्मों में देखा जा सकता है कि पहले उदाहरण में लड़का शब्द रूपिम है, इसके दूसरे रूप लड़क का प्रयोग तब होता है, जब उसके बाद ‘-पन प्रत्यय आता है। इसे सूत्र रूप में हम इस प्रकार दिखा सकते हैं-
लड़का +पन = लड़कपन
अर्थात लड़का शब्द ‘-पन प्रत्यय के साथ जुड़ते समय यह लड़क में बदल गया। इसी प्रकार बच्चा शब्द भी ‘-पन के साथ जुड़ते समय बच में बदल जाता है-
बच्चा + पन = बचपन
घोड़ा शब्द को जब दौड़ के साथ जोड़ा जाता है तो वह घुड़ में बदल जाता है। अतः ये सभी शब्द-युग्म आपस में रूपिम और संरूप हैं।
अतः इसे इन्हें इस प्रकार दिखा सकते हैं-
रूपिम                         संरूप
/लड़का/                   [लड़का, लड़क]
/बच्चा/                    [बच्चा, बच]
/घोड़ा/                     [घोड़ा, घुड़]
यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि रूपिम भी संरूप के अंतर्गत एक अंग होता है।

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