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Sunday, April 5, 2020

अनुवाद की प्रकृति



अनुवाद की प्रकृति
किसी भी कार्य को उसके स्वरूप और प्रकृति के आधार दो रूपों देखा जाता है- विज्ञान और कला। इसके लिए उस क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों के स्वरूप, उसके लिए स्थापित नियमों के स्वरूप वा स्थिति आदि को आधार बनाया जाया है। व्यावहारिक कार्यों से जुड़े शास्त्रों की प्रकृति के संबंध में सदैव यह प्रश्न उठता रहा है कि वह विज्ञान है या कला। इस संदर्भ में अनुवाद को स्थिति को इस प्रकार से देख सकते हैं-
कला के रूप में अनुवाद
कला वह है जिसमें सर्जक किसी रचना का इस प्रकार निर्माण करता है कि उसमें उसकी कल्पना, सहजता, स्वाभाविकता और भावनाओं की झलक मिलती है। इसी कारण कला को व्यक्तिनिष्ठ माना गया है। कोई कलाकृति कैसी होगी, यह कलाकार पर निर्भर करता है। इस दृष्टि से अनुवाद को देखा जाए तो हम पाते हैं कि अनुवाद किसी एक भाषा में कही गई बातों का शब्दशः रूपांतरण नहीं है, बल्कि कई बार उसमें अनुवादक को लक्ष्य भाषा के पाठकों को ध्यान में रखते हुए पुनर्सृजन करना पड़ता है। अनुवाद एक भाषा की सामग्री का दूसरी भाषा की सामग्री में शब्दशः या वाक्यशः रूपांतरण नहीं है। अनुवादक को लक्ष्य भाषा की प्रकृति और यदि अनुवाद किसी साहित्यिक या सामान्य रचना का किया जा रहा है तो लेखक की प्रकृति का ध्यान रखना होता है।
अनुवाद करते समय अनुवादक का पूरा बल इस बात पर होता है कि लक्ष्य भाषा के पाठक को अनूदित कृति पढ़ते समय स्रोत भाषा के पाठक की तरह ही अनुभूति हो। इसके लिए कई बार अनुवादक को अपनी कल्पना, सहजता, सृजनात्मक शक्ति आदि का प्रयोग करना पड़ता है। इसी कारण कहा गया है कि अनुवाद मूल कृति की आत्मा को अनूदित कृति में उतारने की कला है। अतः अनुवाद एक प्रकार से कला भी है।
विज्ञान के रूप में अनुवाद
वह शास्त्र जिसमें अध्येय सामग्री का वस्तुनिष्ठ, क्रमबद्ध और सुसंगठित अध्ययन किया जाता है, विज्ञान है। विज्ञान कोई विषय नहीं है, बल्कि अध्ययन की एक पद्धति है, जिसमें शोधकर्ता की भावनाएँ, सृजनात्मकता, सहजता कोई मायने नहीं रखती, बल्कि लक्ष्य वस्तु नियमों और सिद्धांतों के अनुसार जैसी जान पड़ती है, उसे वैसे ही प्रस्तुत करना होता है। इस दृष्टि से देखा जाए तो अनुवाद में सर्वमान्य सिद्धांत होते हैं। प्रत्येक अनुवादक को अनुवाद करते समय किसी-न-किसी रूप में उनका ध्यान रखना होता है। इसी कारण कुछ विद्वानों द्वारा अनुवाद को अन्य विज्ञानों की तरह विज्ञान माना गया है। कार्यालयी और तकनीकी क्षेत्रों से संबंधित सामग्री का अनुवाद करते समय अनुवादक को तटस्थ रहना पड़ता है और स्रोत भाषा में कोई बात जिस प्रकार कही गई रहती है, उसे लक्ष्य भाषा में वैसे ही रखना पड़ता है।
अनुवाद : एक वैज्ञानिक कला
अनुवादकों और अन्य चिंतकों द्वारा अनुवाद की प्रकृति पर गहन चिंतन किया गया है और यह प्राप्त हुआ है कि न तो विशुद्ध रूप से यह कहा जा सकता है कि अनुवाद एक कला है और न ही यह कहा जा सकता है कि अन्य विज्ञानों की तरह अनुवाद एक शुद्ध विज्ञान है। इसमें दोनों का मिश्रण प्राप्त होता है। इसलिए अनुवाद के संदर्भ में यही कहना उत्तम होगा कि अनुवाद एक वैज्ञानिक कला है।

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