भाषा और संप्रेषण (Language and Communication)
संप्रेषण का अर्थ है- सूचनाओं का आदान-प्रदान करना। भाषा को परिभाषित करते हुए
हम कहते हैं की भाषा वह व्यवस्था है, जिसके माध्यम से हम अपने विचारों और भावों का
संप्रेषण करते हैं। भाषा की इस परिभाषा से ही यह स्पष्ट हो जाता है किभाषा
संप्रेषण का आधारभूत साधन है। अतः भाषा और संप्रेषण के बीच मेंयह संबंध है कि संप्रेषण वह कार्य है जो भाषा के
माध्यम से संपन्न किया जाता है तथा भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा संप्रेषण का
कार्य संपन्न किया जाता है। इन दोनों को सूत्र रूप में निम्नलिखित प्रकार से
प्रस्तुत कर सकते हैं
संप्रेषण = भाषा द्वारा
किया जाने वाला मूलभूतकार्य
भाषा = संप्रेषण का
साधन
संप्रेषण दो व्यक्तियों या दो इकाइयों के बीच सूचनाओं का किया जाने वाला
आदान-प्रदान है। इसके लिए किसी विशेष प्रकार के संकेत या संकेतों की व्यवस्था की
आवश्यकता पड़ती है। एक से अधिक व्यक्तियों के बीच किए जाने वाले संप्रेषण में माध्यम
का काम करने वाली संकेतों की व्यवस्था भाषा है। यह भाषा ध्वनि प्रतीकों के माध्यम
से निर्मित होती है और अर्थ का आदान-प्रदान करती है।
भाषा के माध्यम से मनुष्य द्वारा किए जाने वाले संप्रेषण के संदर्भ में यह
ध्यान देने वाली बात है कि संप्रेषण केवल ध्वनि प्रतीकों के माध्यम से ही नहीं
होता है, बल्कि कुछ दूसरे
सहायक तत्त्व भी इसके साथ काम करते हैं। संप्रेषण के कुछ प्रकारों के माध्यम से इसे हम समझ
सकते हैं -
- वाचिक संप्रेषण (Verbal Communication): इसके अंतर्गत भाषा के
माध्यम से किया जाने वाला संप्रेषण आता है, जो दो प्रकार का हो सकता है-
मौखिक और लिखित (spoken & written)
- अवाचिक संप्रेषण (Nonverbal Communication): इसके अंतर्गत भाषा से इतर शेष
चीजों द्वारा किया जाने वाला संप्रेषण आता है जैसे
§
भाव-भंगिमाएं (gestures)
§
शारीरिक भाषा (body language)
§
चेहरे की अभिव्यक्तियां (facial expressions) आदि
- अधिभाषिक तत्व (Paralinguistic Elements): इसके अंतर्गत वे तत्व आते हैं, जो भाषा व्यवहार के समय प्रयोग में तो आते हैं, किंतु उन्हें अलग से
चिन्हित करके बताया नहीं जा सकता| ध्वनिविज्ञान
में इन्हें खंडेतर अभिलक्षण (Suprasegmental features) के अंतर्गत रखा गया है। उदाहरण-
सुर, तान, अनुतान (tone, pitch, intonation) आदि।
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