संपादक के रूप में गवेषणा का अंक 139 (जनवरी-मार्च 2025) प्रस्तुत करते हुए अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है। इसके प्रकाशन के लिए प्रधान संपादक एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के माननीय निदेशक प्रो. सुनील बाबूराव कुळकर्णी तथा संपूर्ण संपादन टीम का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
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विषय सूची
- 1. भाषा : आधारभूत (Language: Fundamentals)
- 2. सामान्य भाषाविज्ञान (General Linguistics)
- 3. ध्वनि/स्वनविज्ञान एवं स्वनिमविज्ञान (Phonetics&Phonology)
- 4. रूपविज्ञान (Morphology)
- 5. वाक्यविज्ञान (Syntax)
- 6. अर्थविज्ञान (Semantics)
- 7. प्रोक्ति-विश्लेषण और प्रकरणार्थविज्ञान (Discourse Analysis & Pragmatics)
- 8. भारतीय भाषा चिंतन (Indian Language Thought)
- 9. पश्चिमी भाषा चिंतन (Western Language Thought)
- 10. व्याकरण सिद्धांत (Grammar Theories)
- 11. ऐतिहासिक/ तुलनात्मक भाषाविज्ञान (His.&Com. Lig.)
- 12. लिपिविज्ञान (Graphology)
- 13. व्यतिरेकी भाषाविज्ञान (Contrastive Ligs)
- 14. अंतरानुशासनिक भाषाविज्ञान (Interdisciplinary Ligs)
- 15. समाजभाषाविज्ञान (Sociolinguistics)
- 16. मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics)
- 17. संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान (Cognitive Linguistics)
- 18. न्यूरोभाषाविज्ञान (Neurolinguistics)
- 19. शैलीविज्ञान (Stylistics)
- 20. अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (A.L.)
- 21. अनुवाद (Translation)
- 22. भाषा शिक्षण (Language Teaching)
- 23. कोशविज्ञान (Lexicology)
- 24. भाषा सर्वेक्षण (Language Survey)
- 25. भाषा नियोजन (Lg Planning)
- 26. क्षेत्र भाषाविज्ञान (Field Ligs)
- 27. मीडिया/ सिनेमा और भाषा (Media/Cinema & Language)
- 28. UGC-NET भाषाविज्ञान
- 29. गतिविधियाँ/नौकरी (Activities/Job)
- 30. SCONLI-12 (2018)
- 31. भाषाविज्ञान : शोध (Linguistics : Research)
- 32. EPG भाषाविज्ञान
- 33. विमर्श (Discussion)
- 34. लिंक सूची (Link List)
- 35. अन्य (Others)
Friday, July 4, 2025
गवेषणा अंक 139 (जनवरी-मार्च 2025)

रत्ती भर में रत्ती क्या है?

प्राकृतिक भाषा संसाधन में अनुप्रयोगों का वर्गीकरण
भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय के 'स्वयम्' (SWAYAM) पोर्टल पर उपलब्ध "भाषा प्रौद्योगिकी का परिचय" पाठ्यक्रम के अंतर्गत 24वें राष्ट्रीय कार्यशाला का दिनांक: 21 मई 2025 को शाम 06 बजे ऑनलाइन माध्यम से पाठ्यक्रम संयोजक डॉ. सी. जय शंकर बाबु के निर्देशन में आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विशिष्ट वक्ता के बतौर प्रो. धनजी प्रसाद, आचार्य : भाषाविज्ञान, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा ने "प्राकृतिक भाषा संसाधन में अनुप्रयोगों का वर्गीकरण" विषय पर अपने बहुमूल्य विचार वक्त किए। इस राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य तमाम अध्येताओं/ भाषा चिंतकों का तकनीकी ज्ञानवर्धन में मार्गदर्शन करना है।

Thursday, July 3, 2025
APA 7 संस्करण (7th Edition)
APA 7 का अर्थ है: American Psychological Association
(APA) Style, 7th Edition. यह एक शैक्षणिक लेखन और उद्धरण (citation)
का मानक शैली-निर्देश है। इसका मुख्य रूप से सामाजविज्ञान (Social
Science) के विविध विषयों, जैसे- मनोविज्ञान,
समाजशास्त्र, शिक्षा, आदि
में उपयोग किया जाता है।
APA शैली किसी आलेख में किसी संदर्भ को जोड़ने की एक मानकीकृत
विधि है। इससे हम किसी स्रोत (जैसे पुस्तक, लेख, वेबसाइट आदि) का सही तरीके से उल्लेख करते हैं। साथ ही शोधपत्र, निबंध या लेख को एक व्यवस्थित और सुसंगत रूप में प्रस्तुत करते हैं।
APA 7 संस्करण (7th Edition)
APA के कई संस्करण हैं। APA7 इसका सबसे
अधुनातन संस्करण है, जो 2019 में
प्रकाशित हुआ है। यह इन-टेक्स्ट उद्धरण (In-text citation) और
संदर्भ सूची (Reference list) के लिए स्पष्ट नियम प्रदान
करता है। इसमें DOI और URL को "Retrieved
from" लिखे बिना सीधे लिखा जाता है। तकनीकी उद्धरणों को ध्यान
में रखते हुए इसमें वेबसाइट, ब्लॉग, यूट्यूब
आदि के संदर्भ देने के नियम भी शामिल किए गए हैं। APA 7 में छात्रों
के लिए title page, headings, table & figures formatting को सरल बनाया गया है। इसकी एक और विशिष्टता यह है कि लेखक 21 तक हों तो सभी के नाम दिए जा सकते हैं।
APA 7 में उद्धरण देने के उदाहरण (Example):
In-text citation (पाठ के भीतर उद्धरण): > ….. (Singh, 2021)
Reference list (संदर्भ सूची):
> Singh, R. (2021). *Shiksha mein manovaigyanik siddhant*. Delhi
University Press.
किसी journal article का संदर्भ
(reference) ऐसे दें-
Author(s). (Year). Title of the article. Title of the Journal, Volume
number(Issue number), page range. https://doi.org/xxxxx
उदाहरण :
Smith, J. A., & Lee, R. T. (2020). Effects of
mindfulness on student stress. Journal of Educational Psychology, 112(3), 456–470. https://doi.org/10.1037/edu0000371
किसी पुस्तक में अध्याय का संदर्भ (reference) ऐसे दें-
Author, A. A., & Author, B. B. (Year). Title of chapter. In A. A.
Editor & B. B. Editor (Eds.), Title of book (pp. page numbers). Publisher.
DOI or URL (if available).
उदाहरण:
Lawrence, J. A., & Dodds, A. E. (2003). Goal-directed
activities and life-span development. In J. Valsiner & K. Connolly (Eds.),
Handbook of developmental psychology (pp. 515-532). Sage
Publications.
भिन्न-भिन्न स्रोतों से साइट करने को टेबल रूप में निम्नलिखित प्रकार से देख
सकते हैं-
स्रोत का प्रकार |
In-text
Citation |
Reference
List Citation |
पुस्तक (Book) |
(Roy, 2020) |
Roy, M.
(2020). Indian history simplified. Sage Publications. |
जर्नल लेख (Journal
Article) |
(Kumar &
Das, 2019) |
Kumar, A.,
& Das, R. (2019). Education reforms in India. Journal of Modern
Education, 18(4), 203–210. |
वेबसाइट (Website) |
(Ministry of
Education, 2022) |
Ministry of
Education. (2022, July 5). New education policy overview.
https://www.education.gov.in/nep-overview |
YouTube वीडियो |
(Khan
Academy, 2021) |
Khan Academy.
(2021, March 15). Photosynthesis explained [Video]. YouTube. https://www.youtube.com/watch?v=abcd1234 |

Sunday, June 8, 2025
लिपिविज्ञान, पुरालेखविज्ञान और लेखिमविज्ञान
लिपिविज्ञान, पुरालेखविज्ञान और लेखिमविज्ञान
लिपिविज्ञान (Graphology)
लिपिविज्ञान (Graphology) वह शास्त्र है, जिसमें लिपियों की व्यवस्था, लिपिचिह्नों की प्रणाली एवं लिपि के
उदभव तथा विकास आदि का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में यह लिपि के अध्ययन का
शास्त्र है। अंग्रेजी में इसके Graphology तथा Graphemics दो नाम दिए जाते हैं।
इसमें अध्ययन की मूल इकाई ‘वर्ण या लिपिचिह्न’ (Grapheme) होती है।
पुरालेखविज्ञान (Epigraphy)
पुरालेखविज्ञान (Epigraphy) एक शाखा है जो प्राचीन लेखों (inscriptions) के अध्ययन
से संबंधित है। यह शास्त्र मुख्य रूप से उन अभिलेखों (inscriptions) का विश्लेषण
करता है जो पत्थर, धातु, मिट्टी, भोजपत्र या अन्य किसी माध्यम पर खुदे या लिखे होते
हैं।
पुरालेखविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र :
§ लिपि का अध्ययन – किस लिपि में लेख अंकित है (जैसे ब्राह्मी, खरोष्ठी, नागरी आदि)।
§ भाषा का अध्ययन – लेख किस भाषा में है (संस्कृत, प्राकृत, पालि, तमिल आदि)।
§ तिथि निर्धारण – लेख कब का है, इसमें प्रयुक्त कालगणना प्रणाली क्या है।
§ ऐतिहासिक सामग्री – शासकों, राज्यों, प्रशासन, समाज, धर्म आदि के बारे में क्या जानकारी मिलती है।
§
प्राकृतिक स्थिति – लेख कहाँ से प्राप्त हुआ है और वहाँ की
भौगोलिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि क्या है।
लेखिमविज्ञान (Paleography)
लेखिमविज्ञान एक शास्त्र है जो प्राचीन हस्तलिपियों (manuscripts) तथा उनके
लिखने की शैली, लिपि, विकासक्रम, और समय के साथ उनके रूपांतरण का अध्ययन करता है। यह लिपिविज्ञान से जुड़ा हुआ
तो है, लेकिन दोनों में महत्वपूर्ण अंतर है।

लिपि, वर्ण और अक्षर (Script, Letter and Syllable)
लिपि, वर्ण और अक्षर (Script, Letter and Syllable)
‘लिपि, वर्ण और अक्षर’ तीनों शब्द लेखन से
जुड़े हुए हैं। इनका अर्थ और उपयोग अलग-अलग है। नीचे इनके बीच का अंतर देखा जा सकता है:
1. लिपि (Script)
वह प्रणाली या
ढांचा जिसके अनुसार किसी भाषा की वाचिक अभिव्यक्ति को लिखकर प्रकट किया जाता है, उसे लिपि कहते हैं, जैसे- देवनागरी लिपि, ब्राह्मी लिपि, रोमन लिपि, गुरुमुखी लिपि आदि। लिपि
दृश्य प्रतीकों का एक समूह होता है जिन्हें वर्ण कहते हैं।
2. वर्ण (Letter)
इसे लिपि-चिह्न
भी कहते हैं। भाषा के लिखित रूप की सबसे छोटी इकाई वर्ण होती है। उदाहरण: अ, आ, क, ख, ग आदि। वाचिक रूप की
सबसे छोटी इकाई स्वनिम होती है और लिखित रूप की वर्ण। एक ही वर्ण द्वारा एक से
अधिक ध्वनियों का प्रतिनिधित्व किया जा सकता है, जैसे- अंग्रेजी के ‘c’ का प्रयोग ‘स’ और’ क’ दोनों के लिए किया जाता है।
3. अक्षर (Syllable/ Character)
वाचिक दृष्टि से
कोई एक ध्वनि या ध्वनियों का वह समूह जो एक ही श्वासाघात में उच्चरित होता है, अक्षर कहलाता है। यहाँ
पर अक्षर को अंग्रेजी के Syllable के पर्याय के रूप में समझना चाहिए।
लिखित रूप में
अक्षर के लिए Character शब्द का प्रयोग होता है। यहाँ इसे वर्ण के प्रतिनिधि के रूप में समझा जा सकता
है।

लिपि (Script)
लिपि (Script)
वह प्रणाली या
ढांचा जिसके अनुसार किसी भाषा की वाचिक अभिव्यक्ति को लिखकर प्रकट किया जाता है, उसे लिपि कहते हैं, जैसे- देवनागरी लिपि, ब्राह्मी लिपि, रोमन लिपि, गुरुमुखी लिपि आदि। लिपि
दृश्य प्रतीकों का एक समूह होता है जिन्हें वर्ण कहते हैं।

वर्ण (Letter)
वर्ण (Letter)
इसे लिपि-चिह्न भी कहते हैं। भाषा के लिखित रूप की सबसे छोटी इकाई वर्ण होती है। उदाहरण: अ, आ, क, ख, ग आदि। वाचिक रूप की सबसे छोटी इकाई स्वनिम होती है और लिखित रूप की वर्ण। एक ही वर्ण द्वारा एक से अधिक ध्वनियों का प्रतिनिधित्व किया जा सकता है, जैसे- अंग्रेजी के ‘c’ का प्रयोग ‘स’ और’ क’ दोनों के लिए किया जाता है।
अक्षर (Syllable/ Character)
अक्षर (Syllable/ Character)
वाचिक दृष्टि से
कोई एक ध्वनि या ध्वनियों का वह समूह जो एक ही श्वासाघात में उच्चरित होता है, अक्षर कहलाता है। यहाँ
पर अक्षर को अंग्रेजी के Syllable के पर्याय के रूप में समझना चाहिए।
लिखित रूप में
अक्षर के लिए Character शब्द का प्रयोग होता है। यहाँ इसे वर्ण के प्रतिनिधि के रूप में समझा जा सकता
है।
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लेखिम, लेख और उपलेख (Grapheme, Graph and Allograph)
लेखिम, लेख और उपलेख (Grapheme, Graph and Allograph)
‘स्वनिम’ (phoneme) की तर्ज पर लिपिविज्ञान में
भाषा के लिखित रूप की लघुतम इकाई के लिए ‘लेखिम’ (grapheme)
का प्रयोग किया जाता है। यह प्रत्येक ‘अप्रतिम लिपि-चिह्न’ (unique letter) का प्रतिनिधित्व करता है।
लेख (Graph)
स्वनिम और स्वन
की तरह लेखिम और लेख को समझ सकते हैं। प्रत्येक लेखिम की वास्तविक अभिव्यक्ति लेख
है।
उपलेख (Allograph)
जब एक ही लेखिम
के एक से अधिक रूप प्रचलित हो जाते हैं तो वे आपस में उपलेख होते हैं, जैसे- हिंदी में ‘र’ में चार रूप हैं, जो आपस में उपललेख (Allograph) होंगे।
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लेखन की आवश्यकता और महत्व (Need and Significance of Writing)
लेखन की आवश्यकता और महत्व (Need and Significance of Writing)
मानव सभ्यता के
विकास में लेखन एक क्रांतिकारी कदम रहा है। मौखिक अभिव्यक्ति तुरंत विलुप्त हो
जाती है, जबकि लिखित बात
लंबे समय तक बनी रहती है। जब मनुष्य ने विचारों और अनुभवों को मौखिक रूप के बजाय
स्थायी रूप से अभिव्यक्त करना चाहा, तब लेखन अस्तित्व में आया। लेखन केवल आपस में आवश्यक संप्रेषण का ही माध्यम
नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, संस्कृति, इतिहास और विज्ञान को
सुरक्षित रखते हुए मानव सभ्यता के इतिहास को बनाए रखने और आगे बढ़ाने का भी प्रमुख
साधन है।
लेखन की आवश्यकता
1. विचारों की अभिव्यक्ति के लिए
व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, अनुभवों और ज्ञान को
लेखन के माध्यम से स्पष्ट और संगठित रूप में व्यक्त कर सकता है।
2. संचार के स्थायी माध्यम के रूप में
मौखिक संवाद अस्थायी
होता है, जबकि लेखन
विचारों को स्थायित्व प्रदान करता है। इससे हम अपने विचारों को लंबे समय तक
संप्रेषण के लिए सुरक्षित कर पाते हैं।
3. ज्ञान के संचयन हेतु
पुस्तकें, लेख, शोध-पत्र, शिलालेख आदि ज्ञान का
भंडार हैं। इनका प्रयोग आने वाली पीढ़ियाँ बारंबार करती हैं। यह सब लेखन के कारण ही
संभव हो पाता है।
4. सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए
कानून, नीति, आदेश, अनुबंध आदि सभी लिखित
रूप में होते हैं; बिना लेखन के आधुनिक समाज में सुचारु व्यवस्था का संचालन असंभव तूल्य है।
5. शिक्षा और अध्ययन के लिए
शैक्षणिक व्यवस्था लेखन
पर ही आधारित है — चाहे वह पाठ्यपुस्तकें हों, परीक्षा प्रणाली हो या शोधकार्य, सभी में लिखित रूप की आवश्यकता पड़ती है।
लेखन का महत्व
लेखन मानव इतिहास
की सबसे क्रांतिकारी घटना है, जिसने मानव सभ्यता को आगे बढ़ाने में अतूल्य योगदान दिया है। इसके महत्व संबंधी
कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-
1. संस्कृति और इतिहास का संरक्षण
लेखन के माध्यम से ही
मानव सभ्यताएँ अपने अस्तित्व को भविष्य के लिए संचित कर पाती हैं। प्राचीन
सभ्यताओं के बारे में जो ज्ञान हमें है, वह शिलालेखों, हस्तलिखित पांडुलिपियों और अभिलेखों से ही मिला है। लेखन न हो पाने के कारण
प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा के कई महत्वपूर्ण ग्रंथ और विचार आज हमेशा के लिए
विलुप्त हो चुके हैं।
2. रचनात्मकता का माध्यम
कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध आदि लेखन की
विधाएं हैं जो मानवीय कल्पनाशक्ति और रचनात्मकता को अभिव्यक्ति देती हैं। लिखने से
उन्हें हम सर्वोत्तम आकार दे पाते हैं।
3. वैयक्तिक विकास
लेखन व्यक्ति के चिंतन, भाषा-ज्ञान, तार्किक क्षमता और
अभिव्यक्ति को सशक्त बनाता है। लेखन ऐसा कार्य है जिसमें – हाथ, आँख, मुँह, कान और मस्तिष्क पाँचों
एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। अतः इससे अभिव्यक्ति और बोधन कला अपने सर्वोच्च रूप
में विकसित होती है।
4. कार्यालयी और तकनीकी क्षेत्र में आवश्यक
सभी कार्यालयी
कामकाज लिखित रूप में ही संचालित होते हैं। बिना फाइल पर अनुमोदन के कोई भी मौखिक
बात पक्की नहीं मानी जाती। लिखित रिपोर्ट, हिसाब, दस्तावेज, प्रस्तुति आदि आज
के युग में प्रत्येक मानव व्यवहार क्षेत्र का अनिवार्य हिस्सा है।
तकनीकी क्षेत्र
में भी केवल वाचिक रूप की रिकार्डिंग से व्यवहार नहीं होता, बल्कि लिखित रूप में ही
व्यवहार होता है। भले ही वह टाइपिंग बोलकर ही क्यों न की गई हो।
इस प्रकार स्पष्ट
है कि लेखन केवल एक भाषा-कौशल नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की निरंतरता और उन्नति का आधार स्तंभ है। यह विचारों को
स्थायित्व देता है, ज्ञान को पीढ़ी दर पीढ़ी पहुँचाता है, और समाज में संवाद व विकास का माध्यम बनता है। इसलिए
लेखन न केवल आवश्यक है, बल्कि अत्यंत महत्वपूर्ण भी।
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लेखन में विशिष्ट चिह्नों का प्रयोग (Using Special Symbols in Writing)
लेखन में विशिष्ट चिह्नों का प्रयोग (Using Special Symbols in Writing)
लेखन केवल शब्दों
का समूह नहीं होता, बल्कि उसमें विशिष्ट चिह्नों(Special Symbols or Punctuation Marks) का भी प्रयोग होता है, जो लेख को अर्थपूर्ण, सुसंगठित और प्रभावशाली बनाते हैं। ये चिह्न वाक्य की गति, भाव, विराम और स्पष्टता को
निर्देशित करते हैं। लेखन में इन चिह्नों का प्रयोग अनिवार्य होता है। विशिष्ट
चिह्न मुख्य रूप से पठन की गति को नियंत्रित करते हैं, जैसे- कहाँ रुकना है, कहाँ विराम देना है — यह इन्हींचिह्नों से तय होता है। साथ ही कुछ हद तक विस्मय, दुख, हर्ष जैसे भाव भी
विशिष्ट चिह्नों द्वारा दर्शाए जा सकते हैं।
विशिष्ट
चिह्नों के प्रकार और उनके प्रयोग
कुछ प्रमुख
विशिष्ट चिह्न और उनके प्रयोग इस प्रकार हैं-
क्रम |
चिह्न |
नाम |
प्रयोग का उद्देश्य |
उदाहरण |
1 |
। |
पूर्ण विराम |
वाक्य की समाप्ति |
राम स्कूल गया। |
2 |
, |
अल्प विराम |
वाक्य के भीतर रुकने
के लिए |
मैंने फल, दूध और रोटी ली। |
3 |
? |
प्रश्नवाचक चिह्न |
प्रश्न को दर्शाने के लिए |
क्या तुम आओगे? |
4 |
! |
विस्मयादिबोधक चिह्न |
भावनाओं को प्रकट करने
के लिए |
वाह! कितना सुंदर दृश्य है! |
5 |
: |
द्विबिंदु |
सूची या व्याख्या से पहले |
कृपया ध्यान दें: कक्षा
स्थगित है। |
6 |
; |
अर्ध विराम |
दो संबंधित वाक्यों को
जोड़ने के लिए |
वह आया; पर रुका नहीं। |
7 |
‘‘ |
उद्धरण चिह्न |
किसी के शब्दों को दर्शाने
के लिए |
गांधी ने कहा, ‘सत्य ही ईश्वर है।’ |
8 |
() |
कोष्ठक |
अतिरिक्त जानकारी के लिए |
महात्मा गांधी (1869–1948) स्वतंत्रता
सेनानी थे। |
9 |
— |
योजक रेखा / डैश
|
विचार या सूचना में विराम
या बल के लिए |
जीवन — एक संघर्ष है। |
10 |
… |
त्रिबिंदु |
अपूर्णता या रुकाव को
दर्शाने के लिए |
मैं सोच रहा था… लेकिन कुछ समझ नहीं
आया। |
