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कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा क्या संस्कृत है?
फ़ोन और इंटरनेट तक लोगों की बढ़ती पहुंच के कारण फ़ेक न्यूज़ का बाज़ार भी बहुत बढ़ गया है.
इंटरनेट पर कई मनगढंत और अपुष्ट ख़बरें चलाई जाती हैं और लोग बिना जांचे-परखे इन पर भरोसा भी कर लेते हैं.
ऐसी ही एक फ़ेक न्यूज़ चल रही है कि 'संस्कृत कंप्यूटर के लिए सबसे अनुकूल भाषा है'. हो सकता है कि आपने भी ये ख़बर कई बार देखी हो.
लेकिन, कंप्यूटर में संस्कृत के इस्तेमाल का प्रमाण देना तो दूर इस फ़ेक न्यूज़ में ये भी नहीं बताया गया कि कंप्यूटर कोडिंग या प्रोग्रामिंग में संस्कृत किस तरह उपयुक्त है.
ऐप्लिकेशन सॉफ्टवेयर बनाने के लिए कंप्यूटर की भाषा में कोडिंग का इस्तेमाल होता है इसलिए सोशल मीडिया और इंटरनेट पर ये अपुष्ट दावा किया जा रहा है कि संस्कृति कोडिंग के लिए या कंप्यूटर को कमांड देने के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है.
इसमें ना ही ये बताया गया है कि संस्कृत का इस्तेमाल कोडिंग में कैसे करें और ना ही किसी ऐसे सॉफ्टवेयर की जानकारी दी गई है जो संस्कृत की कोडिंग से बना हो.
इसका कारण बहुत साफ है. कोडिंग केवल उन कंप्यूटर भाषाओं में की जा सकती है जिन्हें कंप्यूटर सिस्टम के कमांड पूरी करने से पहले मशीन की भाषा में बदला जा सके.
कहां से आई ये फ़ेक न्यूज़
इस फ़ेक न्यूज़ की शुरुआत वर्ल्ड वाइड वेब की खोज से पहले ही हो गई थी. वर्ल्ड वाइड वेब ने इंटरनेट के इस्तेमाल में तेज़ी ला दी थी.
1985 में नासा के एक रिसर्चर रिक ब्रिग्स ने एआई मैग्ज़ीन में एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया था. इस रिसर्च पेपर का शीर्षक था, "नॉलेज रिप्रेज़ेंटेशन इन संस्कृत एंड आर्टिर्फिशियल लैंग्वेज" यानी संस्कृत और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस में ज्ञान का प्रतिनिधित्व.
ये रिसर्च पेपर कंप्यूटर से बात करने के लिए प्राकृतिक भाषाओं के इस्तेमाल पर केंद्रित था.
उन्होंने इस रिसर्च पेपर में जो जानकारी दी थी उसके ग़लत मायने निकालकर इस फ़ेक न्यूज़ की शुरुआत की गई कि संस्कृत कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है.
ब्रिग्स का कहना था, "बड़े स्तर पर ऐसा माना जाता है कि प्राकृतिक भाषा कई विचारों के प्रेषण (ट्रांसमिशन) के लिए सही नहीं है जबकि आर्टिफ़िशियल लैंग्वेज ये काम बहुत सटीक तरीक़े से कर सकती है. पर ऐसा नहीं है. कम से कम संस्कृत एक ऐसी भाषा है जो 1000 सालों तक जीवित बोली जाने वाली भाषा रही और जिसका अपना व्यापक साहित्य है."
रिक ब्रिग्स ने संस्कृति की निरंतरता और प्रचुर साहित्य का उल्लेख किया था.
सर्च इंजन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पहले
कंप्यूटर में इनपुट देने के लिए प्राकृतिक भाषा के इस्तेमाल की संभावना की बात करने वाले इस लेख को सर्च इंजन की खोज से पहले लिखा गया था.
उदाहरण के लिए, अगर यूज़र प्राकृतिक भाषा में टाइप करता है कि 'भारतीय प्रधानमंत्री का नाम क्या है?', तो कंप्यूटर इस इनपुट को समझने और उसका जवाब देने में सक्षम हो.
मौजूद सिस्टम में मशीन की भाषा में बनाए गए कोड कंप्यूटर को ये बताते हैं कि यूज़र उससे क्या करने के लिए कहना चाहता है. ये कोड कंप्यूटर की भाषा की वाक्य रचना के अनुसार तैयार किये जाते हैं.
रिसर्च पेपर में भी ब्रिग्स ने संस्कृत के लिए कहा था कि ये 'कम से कम एक' ऐसी भाषा है जिसमें निरंतरता और प्रचुर साहित्य रहा है. ये नहीं कहा था कि इन विशेषताओं वाली 'सिर्फ़ यही एक' भाषा है.
लेकिन, इस रिसर्च पेपर को फ़ेक न्यूज़ और अपुष्ट दावों के लिए गलत तरीक़े से इस्तेमाल किया गया.
ये लेख तब लिखा गया था जब इंसान से प्राकृतिक भाषा में बात करने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त रोबोट नहीं बने थे. साथ ही किसी भी इंसानी भाषा में इनपुट लेकर आउटपुट देने वाले सर्च इंजनों की खोज भी नहीं हुई थी.
प्राकृतिक भाषा में कोडिंग
कंप्यूटर कमांड पूरी करने से पहले कोडिंग को मशीन की भाषा में बदलता है. अब अंग्रेज़ी के अलावा कई दूसरी कंप्यूटर भाषाएं भी विकसित कर ली गई हैं.
उदाहरण के लिए तमिल में 'येलिल' एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जिसके सभी कीवर्ड्स तमिल में हैं. इस भाषा में बनाए गए कोड भी तमिल कीवर्ड्स में ही होंगे, जैसे अंग्रेज़ी में C, C++ हैं. कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय भाषाओं की अपनी ऐसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है लेकिन ये बहुत ज़्यादा इस्तेमाल नहीं होतीं.
इसी तह संस्कृत में कीवर्ड्स के ज़रिए भी एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बनाई जा सकती है. हालांकि, संस्कृत या कोई और विशेष भाषा कंप्यूटर या कोडिंग के लिए सबसे उपयुक्त साबित नहीं हुई है.
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