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Wednesday, October 14, 2020

अर्थ-संगति (Semantic coherence)

  अर्थ-संगति (Semantic coherence)

किसी वाक्य में आए हुए एक से अधिक शब्दों के अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के अनुरूप होने की स्थिति अर्थ-संगति कहलाती है। भारतीय भाषा चिंतन की संस्कृत परंपरा में आचार्यों द्वारा वाक्य निर्माण के लिए तीन आवश्यकताओं की बात की गई है- आकांक्षा, योग्यता और सन्निधि। इनमें से योग्यता के दो प्रकार किए जाते हैं-  व्याकरणमूलक योग्यता और अर्थमूलक योग्यता।

 वाक्य की इन आवश्यकताओं के संदर्भ में बात की जाए तो अर्थमूलक योग्यता ही अर्थ-संगति है। इसे पूर्ण करने के लिए किसी वाक्य का निर्माण करने के लिए आने वाले शब्दों का अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के साथ प्रयुक्त हो सकने के योग्य होना आवश्यक होता है। इसे हम संस्कृत के उस प्रचलित उदाहरण से ही देख सकते हैं-

·       वह आग से पौधा सींच रहा है।

 इस वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से सब कुछ ठीक है, किंतु अर्थ की दृष्टि से ठीक नहीं है, क्योंकि पौधों की सिंचाई आग से नहीं हो सकती। आग में वह गुण नहीं है, जो किसी पौधे को सींचने के लायक हो। इसलिए आग और पौधे की सिंचाई के बीच अर्थ-संगति नहीं है। इसी प्रकार के कुछ अन्य उदाहरण देख सकते हैं-

·       पत्ते से पेड़ गिर रहे हैं।

·       सूरज से बारिश हो रही है।

·       हवा में मछली तैर रही है।

·       आम के पेड़ में नारियल फला है।

 अर्थ संगति और लाक्षणिकता

 भाषा में लाक्षणिक प्रयोग भी किए जाते हैं। ऐसी स्थिति में जो वाक्य बनते हैं, उनमें आए हुए शब्द अपने सामान्य रूप में/ सीधे-सीधे अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के साथ प्रयुक्त हो सकने वाले नहीं दिखाई पड़ते हैं, किंतु लाक्षणिक स्तर पर जब हम देखते हैं, तो वहां पर संबंध स्थापित हो जाता है। इसके कुछ उदाहरण देख सकते हैं-

·       मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं।

·       उसका दिल जल रहा है ।

 इन वाक्यों में हम देख सकते हैं कि किसी के पेट में चूहे कूदना सामान्य व्यवहार (अभिधा) की दृष्टि से संभव नहीं है। अतः वहाँ पर उसका लाक्षणिक अर्थ लेना होगा। यही बात दिल के जलने के संदर्भ में लागू होती है। यहाँ पर जलना क्रिया का सामान्य अर्थ न लेकर केवल उसका लाक्षणिक भाव ही लिया जाएगा।

 अतः स्पष्ट है कि लाक्षणिक प्रयोगों में अभिधा के स्तर पर या सामान्य रूप से अर्थ-संगति नहीं देखी जाती, बल्कि उस शब्द विशेष के केवल कुछ भावों को लेकर अर्थ-संगति स्थापित की जाती है।

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