कामता
प्रसाद गुरु का व्याकरण पश्चिमी व्याकरण परंपरा से प्रभावित है। उदाहरण के लिए
उन्होंने शब्दभेद (Parts of Speech) के
वर्णन में पश्चिमी व्याकरण या अंग्रेजी व्याकरण में प्रचलित शब्दभेदों- संज्ञा,
सर्वनाम, विशेषण,
क्रिया, क्रियाविशेषण,
संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और
विस्मयादिबोधक (Noun, Pronoun, Adjective, Verb, Adverb,
Preposition, Conjunction and Interjection) को
लिया है।
किशोरीदास
वाजपेयी का लेखन संस्कृत व्याकरण परंपरा पर आधारित है। उन्होंने संस्कृत व्याकरण
आधारित शब्द/पद, उसके रूपों आदि की चर्चा की
है। उन्होंने परसर्गों- ने, को,
से, के लिए,
का/की/के, में,
पर आदि को ‘विभक्ति’
ही कहा है। वर्तमान भाषावैज्ञानिक और व्याकरणिक चिंतन से स्पष्ट है कि इन्हें ‘विभक्ति’
के बजाए ‘परसर्ग’
(postposition) कहना ही अधिक उचित होगा।
No comments:
Post a Comment