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Tuesday, November 24, 2020

सूरजभान सिंह : प्रमुख कृतियाँ

 

सूरजभान सिंह

सूरजभान सिंह एक आधुनिक भारतीय भाषाविद और वैयाकरण हैं। इन्होंने हिंदी की वाक्य व्यवस्था पर गहन कार्य किया है। इनके द्वारा किए गए कार्य सैद्धांतिक विवेचन के अलावा प्राकृतिक भाषा संसाधन की दृष्टि से भी उपयुक्त हैं। सूरजभान सिंह की दो प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-

(1) हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण (Hindi ka vaakyaatmak vyaakaran)

यह पुस्तक साहित्य सहकार, नई दिल्ली प्रकाशन से सन् 2000 ई. में प्रकाशित हुई थी। इसमें दो खंड हैं- (1) सिद्धांत और (2) प्रयोग। सिद्धांत के अंतर्गत पहले अध्याय में वाक्य के स्वरूप, प्रकार और अन्य पक्षों की चर्चा की गई है। इसके पश्चात दूसरे अध्याय में पदबंध के स्वरूप और प्रकारों की चर्चा करते हुए क्रिया पदबंध को विस्तार से समझाया गया है। तीसरे अध्याय में वाक्यसाँचा की सैद्धांतिक चर्चा की गई है।

पुस्तक के दूसरे खंड में विविध प्रकार के वाक्य-साँचों को उदाहरण और प्रयोग के साथ विस्तार से समझाया गया है।

पुस्तक का लिंक-

 हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण (Hindi ka vaakyaatmak vyaakaran) : सूरजभान सिंह

(2) अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद व्याकरण (2015) प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली

अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद व्याकरण  प्रो. सूरजभान सिंह की एक महत्वपूर्ण कृति है। इसमें उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं का व्यतिरेकी विश्लेषण किया है, जो अंतरण व्याकरण (Transfer Grammar) पर आधारित है। इस पुस्तक के पहले अध्याय में उन्होंने अनुवाद व्याकरण का परिचय दिया  है। इसके पश्चात व्यतिरेकी विश्लेषण के स्वरूप की चर्चा की है। तीसरे और चौथे अध्यायों में क्रमशः अंग्रेजी भाषा संरचनाऔर हिंदी भाषा संरचनाके बारे में उनके ऐतिहासिक विकास को बताते हुए विवेचन किया गया है। पाँचवें अध्याय में अंग्रेजी और हिंदी ध्वनि और लिपि व्यवस्थामें संबंध और अंतर बताया गया है।

इसके पश्चात छठवें अध्याय से लेकर तेरहवें अध्याय तक अंग्रेजी और हिंदी के संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण आदि प्रकार के पदबंधों और लिंग, वचन, पुरुष तथा काल, पक्ष, वृत्तिआदि व्याकरणिक कोटियों में प्राप्त व्यतिरेक को विस्तार से समझाया गया है। चौदहवें अध्याय में अंग्रेजी-हिंदी वाक्य रचना और 15वें अध्याय में अंग्रेजी-हिंदी वाक्य साँचे दिए गए हैं। पुस्तक के अंतिम (16वें) अध्याय में सूरजभान सिंह ने मशीनी अनुवाद का भी परिचय दिया है।

अंत में 02 परिशिष्ट हैं।

पुस्तक का लिंक- 

अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद व्याकरण : सूरजभान  सिंह   

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