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Tuesday, July 5, 2022

भाषा का कालक्रमिक/ऐतिहासिक (Diachronic) अध्ययन

 भाषा का कालक्रमिक/ऐतिहासिक (Diachronic) अध्ययन

भाषा के किसी स्तर पर समय के साथ हुए विकास या परिवर्तन का अध्ययन और उसे नियमों के रूप में प्रस्तुत करने की प्रक्रिया भाषाविज्ञान में ऐतिहासिक अध्ययन (Historical Study) के अंतर्गत आती है जिसे कालक्रमिक अध्ययन (Diachronic Study) भी कहते हैं। भाषा के विभिन्न स्तरों पर ऐतिहासिक अध्ययन के अंतर्गत किए जाने वाले कार्य को निम्नलिखित प्रकार के कुछ उदाहरणों के माध्यम से  सकते हैं-

2.1 स्वनिमिक (Phonological) स्तर = ध्वनियों का विकास

ज्ञ = मूल/पहले (ज + ञ); अब/वर्तमान (ग +ञ)/(ग+य)

क्ष = मूल (क + ष); अब (च/क +छ)/(छ)

 

2.2 रूपिमिक (Morphological) स्तर

(क) रूपिमों/शब्दों का ऐतिहासिक विकास

·   तत्सम -तद्भव 

उपाध्याय > ओझा > झा

द्वादश --बारह

एकादश--> ग्यारह

और पढ़ें- हिंदी भाषा की शब्द संरचना - भोलानाथ तिवारी

2.3 वाक्यात्मक (Syntactic) स्तर

पदबंध/उपवाक्य और वाक्य रचनाओं का ऐतिहासिक विकास

नोट- सामान्यतः व्याकरणिक नियमों में परिवर्तन कम होता है। प्रायः यह अन्य भाषाओं के प्रभाव से घटित होता है, जैसे-

    कृपया आप आइए।

हिंदी की प्रकृति के अनुसार 'आप आइए' वाक्य से निवेदन हो जाता है। अंग्रेजी में बिना please शब्द का प्रयोग किए निवेदन नहीं झलकता है, जैसे अनुवाद देखें-

तुम जाओ             = (you) go.

आप जाइए                       = (you) go.

इसमें आज्ञा और निवेदन में अंतर पता नहीं चल रहा है। इसलिए अंग्रेजी में दोनों वाक्य इस प्रकार से लिखे जाएँगे-

तुम जाओ             = (you) go.

आप जाइए                       = (you) please go.

अंग्रेजी में प्रयुक्त इस please के प्रभाव से हिंदी में भी 'कृपया आप जाइए' जैसे वाक्य प्रचलन में आए है।

इसी प्रकार एक और उदाहरण देखें-

अंग्रेजी                                         हिंदी

Mohan is a doctor.   = मोहन डॉक्टर है (वास्तविक हिंदी रूप)

                                       मोहन एक डॉक्टर है (प्रभावित रूप)

I have a car.                = मेरे पास कार है (वास्तविक हिंदी रूप)

                                       मेरे पास एक कार है (प्रभावित रूप)

स्टेशनों पर होने वाली घोषणा के पहले खंड को भी देख सकते हैं-

हिंदी- 

   यात्रीगण कृपया ध्यान दें.......

अंग्रेजी-

       May I have your attention please…

 अभी इस स्तर तक वाक्य रचना का प्रभाव नहीं पड़ा है।

2.4 आर्थी (Semantic) स्तर

अर्थ परिवर्तन की दिशाएँ और कारण 

(क) अर्थ परिवर्तन की दिशाएँ 

अर्थ विस्तार

अर्थ संकोच

अर्थादेश

अर्थोत्तकर्ष और अर्थापकर्ष

(ख) अर्थ परिवर्तन के कारण

.....

2.5 प्रोक्ति (Discourse) स्तर

·  पाठ गठन में परिवर्तन

·  अभिव्यक्ति की नई विधाओं का विकास

उदाहरण के लिए किसी सृजनात्मक लेखन (Creative Writing) के लिए पारंपरिक रूप से साहित्यिक विधाएँ ही माध्यम रही हैं, जैसे- कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध आदि। इनके संदर्भ में यह देखा जा सकता है पहले कैसे लिखा जाता था और अब कैसे लिखा जा रहा है? एक ही विषयवस्तु पर लिखे गए उपन्यास की पहले कैसी प्रस्तुति और संरचना होती थी, अब कैसी होती है। फिल्मों के संदर्भ में भी यह देखा जा सकता है।उदाहरण के लिए हिंदी में देवदास फिल्म के तीन संस्करण बने हैं। समय काल के साथ इनकी प्रस्तुति में साफ अंतर देखा जा सकता है । 

फिल्म या धारावाहिक के लिए 'कथानक लेखन' (Script Writing) प्रोक्ति अभिव्यक्ति का नया रूप है।

इस प्रकार विकसित होने वाली विधाओं में नवीनता के पक्ष का विश्लेषण किया जा सकता है।

 

ऐतिहासिक भाषाविज्ञान की दृष्टि से हिंदी या भारतीय भाषाओं में शोध संबंधी विषय-क्षेत्र

(क) किन्हीं दो कालखंडों में प्रयुक्त हिंदी या भारतीय भाषा के स्वरूप का तुलनात्मक अध्ययन 

(उदाहरण- मध्यकाल के 10 पाठ और आधुनिक काल के 10 पाठ लेकर उनका तुलनात्मक अध्ययन करना और किसी एक भाषिक स्तर या एक से अधिक भाषिक स्तरों पर हुए परिवर्तनों का विश्लेषण करना)

[ध्वनि; शब्द/शब्द निर्माण (मूल, उपसर्ग/प्रत्यय युक्त, संधिकृत और सामासिक शब्दों का प्रयोग); तत्सम, तद्भव, विदेशी, देशज शब्दों का प्रयोग), पदबंध रचना और वाक्य रचना]

(ख) शब्दों या शब्दावली के ऐतिहासिक विकास का अध्ययन

(तत्सम> तद्भव = तत्सम शब्दों का किस प्रकार से तद्भवीकरण हुआ है)

(हिंदी या किसी भारतीय भाषा में किस प्रकार से नवीन शब्दों का समावेश हुआ है, जैसे- नए शब्द गढ़ना (कंप्यूटर > संगणक), कोशीय आदान (विदेशी शब्दों को अपनी भाषा में लेना- पूर्णतः लिप्यतंरण = keyboard- कीबोर्ड; आंशिक लिप्यंतरण/हिंदीकरण = January => जैनुअरी = जनवरी, Academic => अकादमिक)

(संकर (hybrid) शब्दों का निर्माण करना = रेलगाड़ी, डाकख़ाना)

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