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Tuesday, July 5, 2022

संरचनात्मक दृष्टि से भाषा का एककालिक अध्ययन

 संरचनात्मक दृष्टि से भाषा का एककालिक अध्ययन

किसी भाषा की इकाइयों की संरचना का अध्ययन संरचनात्मक अध्ययन कहलाता है। किसी भाषा की संरचना को उद्घाटित करने को केंंद्र में रखते हुए 'संरचनात्मक विधि का प्रयोग करते हुए' किया जाने वाला शोध 'संरचनात्मक शोध' कहलाता है।  इसके अंतर्गत भाषा व्यवस्था के घटकों और उनके संयोजन संबंधी नियमों को विश्लेषित करते हैं, जिन्हें सूत्र-रूप में इस प्रकार से दर्शाया जा सकता है- 

संरचना के विश्लेषण का सूत्र-

संरचना = इकाइयाँ/घटक + नियम

भाषा संबंधी शोधकार्यों में संरचनात्मक दृष्टि से इस बात का विश्लेषण किया जाता है कि कोई भी भाषिक इकाई अपने से किन छोटी इकाइयों से बनी है? तथा उन इकाइयों के योग के नियम और प्रतिबंध क्या हैं? इसके लिए किसी-न-किसी मॉडल को आधार बनाया जाता है। इस दृष्टि से मुख्य रूप से तीन पद्धतियों की बात की जा सकती है-

(क) भारतीय व्याकरण परंपरा 

      सूत्र, वार्ता और भाष्य पद्धति आदि।

(ख) सस्यूर की विन्यासक्रमी एवं सहचारक्रमी संबंधों की विश्लेषण पद्धति

(ग) ब्लूमफील्ड द्वारा प्रस्तावित संरचनावादी विश्लेषण पद्धति (IC Analysis)

(घ) अन्य पश्चिमी संरचनात्मक व्याकरण

 इन्हें संक्षेप में इस प्रकार से देख सकते हैं-

(क) भारतीय व्याकरण परंपरा 

         सूत्र, वार्ता और भाष्य पद्धति आदि।

(ख) सस्यूर की विन्यासक्रमी एवं सहचारक्रमी संबंधों की विश्लेषण पद्धति

सस्यूर ने कहा कि भाषा भाषिक इकाइयों के बीच प्राप्त विभिन्न प्रकार के संबंधों पर आधारित होती है। इन संबंधों को दो प्रकार से देखा जा सकता है- विन्यासकर्मी और सहचारक्रमी।

विन्यासक्रमी संबंध शब्दों या पदों, पदबंधों, वाक्यों में आने वाली किसी भी भाषिक इकाई का अपने दोनों ओर की अन्य भाषा इकाइयों के साथ होता है, जैसे-

मोहन घर जाता है।

इसमेंमोहनकाघरसे, ‘घरकामोहन और जातासे, ‘जाताकाघर और हैसे विन्यास क्रमी संबंध है।

सहचारक्रमी संबंध इससे अलग होता है। यह वाक्य में किसी प्रकार्य-स्थान पर आ सकने वाले उन सभी संभावित शब्दों के बीच होता है, जो किसी वाक्य-रचना में उसी रूप में आ सकें और वाक्य का अर्थ या स्वरूप प्रभावित न हो। उदाहरण के लिएमोहन घर जाता हैवाक्य मेंमोहनकी जगहरमेश, श्याम बच्चा, बूढ़ा, लड़काआदि कोई भी शब्द आ सकता है, तो ये आपस में सहचारक्रमी संबंध में हैं। इसी प्रकारघरकी जगहस्कूल, अस्पताल, बाजार, ऑफिस, दुकान, मंदिरआदि शब्द आ सकते हैं, इसलिए ये आपस में सहक्रमी संबंध में हैं। इसी प्रकारजाताकी जगह आता, पहुँचताआदि शब्द आ सकते हैं।हैकी जगहथा, होगाआदि शब्द आ सकते हैं। ये सभी आपस में सहक्रमी संबंध में हैं।

सस्यूर की सभी अवधारणाओं को इस लिंक पर पढ़ें-

https://lgandlt.blogspot.com/2018/03/1857-1913.html

 

कुछ उदाहरण

विन्यासकर्मी और सहचारक्रमी संबंधों के कुछ उदाहरण इस प्रकार प्रस्तुत कर सकते हैं-

वाक्य-1

मोहन            घर      जाता            है

 

विन्यासक्रमी संबंध

https://lh3.googleusercontent.com/RzxCjdylUm1CWw4mBl3TydGIo2HZ62SYwmh6OOrCZjEL62oK5uMY8NZMq6DG5Isf0ANVDvmU3XuiXDplW4z7B-Tq0ebu6t5uAUmJC3jkbTFHXilTrkhi0-IBbQu16I1gd_83MwNAYrfW3QZB-g

 

सहचारक्रमी संबंध

मोहन           घर               जाता           है

रमेश             स्कूल           पहुँचता         था

श्याम            अस्पताल      देखता                    होगा

बच्चा           बाजार           ....               ….

बूढ़ा              ऑफिस        ....               ….

  ..................................

वाक्य-2

लड़का रोटी खाता है

विन्यासक्रमी संबंध

https://lh4.googleusercontent.com/R_6Xu1K7WkIkpt5oPQ5dlTbYxeEN3l_aZMD7EvtuJJFpqWYLb3AOa0Xpard-9dwXAJemAPrf7w1ucicyVLn7buTUmUzn1C0ChX8Yeq-PqEFmUHtSfKYItQ9tbfsG43VwT2c54ipesy64YY2iOw

सहचारक्रमी संबंध

 लड़का         रोटी             खाता                    है

रमेश             आम             रखता            था

श्याम            मिठाई                     लेता             होगा

बच्चा           प्याज            खरीदता        ….

बूढ़ा              पिज्जा           उठाता             ….

आदमी         ….              ….              ….

   विन्यासक्रमी और सहचारक्रमी संबंधों के विश्लेषण संबंधी शोध

   सैद्धांतिक दृष्टि से देखा जाए तो किसी भाषा के विविध स्तरों पर पाई जाने वाली इकाइयों के रचक घटकों के बीच विन्यासक्रमी और सहचारक्रमी संबंधों का विश्लेषण किया जा सकता है, जैसे-

वाक्य निर्माण में आने वाले पदबंधों के बीच पाए जाने वाले उक्त संबंधों का विश्लेषण (इन्हें ही ऊपर उदाहरण में दिखाया गया है)। इसी प्रकार पदबंध की रचना करने वाले शब्दों या पदों के बीच इस प्रकार के संबंध देखे जा सकते हैं।

चूँकि भाषाविज्ञान वर्तमान में पर्याप्त विकसित हो चुका है तथा सस्यूर के बाद कई सारी अवधारणाएँ और अनेक फ्रेमवर्क विकसित हो चुके हैं, जो इनसे अधिक गुणवत्तापूर्ण विश्लेषण संबंधी सुविधा प्रदान करते हैं। इसलिए विन्यासक्रमी और सहचारक्रमी संबंधों के आधार पर शोध की अभी विशेष आवश्यकता नहीं है।

 

(ग) ब्लूमफील्ड द्वारा प्रस्तावित संरचनावादी विश्लेषण पद्धति  

निकटस्थ अवयव विश्लेषण : (IC Analysis)

ब्लूमफील्ड अमेरिकी संरचनावाद के सबसे बड़े भाषावैज्ञानिक हैं। इनकी पुस्तक ‘Language’ (1933) को भाषाविज्ञान की बाइबिल (मामबर्ग) तक कहा गया है। इससे ब्लूमफील्ड के भाषाविज्ञान के क्षेत्र में योगदान का अनुमान किया जा सकता है। ये एक व्यवहारवादी भाषावैज्ञानिक हैं। उन्होंने भाषाविज्ञान को स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया और इसके विविध भाषा स्तरों पर विश्लेषण संबंधी नियम और संकल्पनाएँ प्रदान करने का प्रयास किया।

   भाषा व्यवस्था के विश्लेषण के संदर्भ में ब्लूमफील्ड द्वारा प्रस्तावित निकटस्थ अवयव विश्लेषण (Immediate Constituent Analysis) पद्धति अत्यंत प्रसिद्ध रही है। विस्तार से देखें-

https://lgandlt.blogspot.com/2019/04/ic-analysis.html 

निकटस्थ अवयव विश्लेषण (Immediate Constituent Analysis) पद्धति के आधार पर किसी भाषा की इकाइयों का निर्माण करने वाले घटकों का विश्लेषण किया जा सकता है। इसे वाक्य के स्तर पर देखा जाए तो वाक्य का निर्माण पदबंधों के माध्यम से होता है। अतः सबसे पहले पदबंध चिन्हित किए जाएंगे। इसके लिए एक पदबंध का निर्माण करने के लिए आने वाले शब्दों को एक साथ रखा जाएगा, जो आपस में सन्निहित घटक कहलाएंगे, जैसे -

बड़ा लड़का मीठे आम खा रहा है 

इस वाक्य में सभी शब्दों के बीच खाली स्थान है, और प्रथम दृष्टया यह नहीं बताया जा सकता, कि कहाँ से कहाँ तक एक पदबंध है। अर्थात इसमें आए हुए पदबंधों का चिह्नन रूपों में करके देखते हैं-

      पदबंध चिह्नन-01 (Phrase Marking-01)

[बड़ा लड़का] [मीठे आम] [खा रहा है]

    पदबंध चिह्नन-01 (Phrase Marking-01)

[बड़ा] [लड़का मीठे] [आम खा] [रहा है]

(घ) अन्य पश्चिमी संरचनात्मक व्याकरण

(23) कोपेनहैगेन संप्रदाय (Copenhagen School)

(25) स्तरपरक व्याकरण (Stratificational Grammar)

(26) बंधिमविज्ञान (Tagmemics)

 

आगे पढ़ें-

भाषाविज्ञान में संरचनात्मक शोध : हिंदी संबंधी कुछ बिंदु

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