स्थिति नियोजन (Status planning)-
यह भाषा नियोजन का एक अंग है, जिसमें यह देखा जाता है कि बहुभाषी समाज में एक से अधिक भाषाओं की स्थिति का कैसे व्यवस्थापन किया जाए।
जब किसी भाषायी समाज में एक से अधिक भाषाओं का व्यवहार होता है, तो यह निर्धारित करना कि किस भाषा का प्रयोग किस प्रयोजन के लिए होगा? स्थिति नियोजन के अंतर्गत आता है। इसमें हम केवल प्रयोजन का ही निर्धारण नहीं करते हैं, बल्कि उन भाषाओं के प्रयोग की स्थितियों का निर्धारण करते हैं। उदाहरण के लिए हिंदी भाषी समाज में ‘हिंदी’ और ‘अंग्रेजी’ के संदर्भ में स्थितियों का निर्धारण किया गया है। जैसे उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय की मूल भाषा ‘अंग्रेजी’ होगी तथा आवश्यकतानुसार कहीं-कहीं ‘हिंदी’ के प्रयोग की अनुमति है। यह विधि के क्षेत्र में इन भाषाओं की स्थिति का निर्धारण है।
इसी प्रकार किसी देश की राजभाषा का निर्धारण, राष्ट्रभाषा की स्थिति पर विचार, किसी भाषा की लिपि का निर्धारण/विकास आदि संबंधी कार्य भी इसके अंतर्गत आते हैं। हिंदी अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं की स्थिति के निर्धारण के संबंध में राजभाषा अधिनियम 1976 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा किए गए प्रावधानों को निम्नलिखित लिंक पर ‘15.6.2 संपर्क भाषा’ शीर्षक के अंतर्गत देखा जा सकता है-
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