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Sunday, December 30, 2018
हिंदी भाषा के विकास में विश्वविद्यालय के बढ़ते कदम
Language Acquisition Process of Dharaa Maurya
Date of Birth- 29-12-2017
Time- 08:05 AM
Details and Video Links -
Tuesday, December 25, 2018
आधुनिक भाषाविज्ञान
भोजपुरी व्याकरण-लेखन के बढ़ते डेग
भोजपुरी व्याकरण और भाषा विज्ञान के क्षेत्र में शुरुआती दौर में तो कुछ गंभीर प्रयास जरूर नजर आते हैं, पर युवा साहित्यकारों की अभिरुचि इस दिशा में कम ही जगी है। भोजपुरी के व्याकरण-लेखन की बात है, ‘भोजपुरी शब्दानुशासन’- डॉ. रसिक बिहारी ओझा निर्भीक (1975), ‘भोजपुरी के ठेठ व्याकरण’-शिवदास ओझा (1981), ‘भोजपुरी व्याकरण’-रामदेव त्रिपाठी (1987), ‘मानक भोजपुरी वर्तनी’-विश्वनाथ सिंह (1988) ‘भोजपुरी व्याकरण की रूपरेखा’-विंध्याचल प्रसाद श्रीवास्तव (1999) जैसी पुस्तकें हमारा ध्यान आकृष्ट करती हैं। साथ ही, डॉ. उदय नारायण तिवारी, दयानंद श्रीवास्तव एवं डॉ. शुकदेव सिंह के भोजपुरी के भाषिक अध्ययन के प्रयास भी काफी गंभीर रहे हैं। समीक्ष्य पुस्तक ‘आधुनिक भोजपुरी व्याकरण’ (यशराज पब्लिकेशन, पटना) एक ऐसी कृति है, जो 80 पृष्ठों के संक्षिप्त कलेवर में भी ठोस और सार्थक अध्ययन के रूप में भोजपुरी पाठकों
में निश्चय ही सुचर्चित होगी। इसके लेखक महामाया प्रसाद विनोद और जीतेन्द्र वर्मा -भोजपुरी के सुपरिचित लेखक हैं, जो अपनी सर्जनात्मक और आलोचनात्मक दोनों तरह की प्रतिभाओं से भोजपुरी साहित्य की श्री-वृद्धि में योगदान देते रहे हैं। इस पुस्तक में भोजपुरी भाषा के व्याकरण और रचना को सात अध्यायों में विभक्त कर प्रस्तुत किया गया है। ‘भोजपुरी भाषा’ नामक प्रथम अध्याय में इस भाषा की उत्पत्ति, नामकरण, क्षेत्र, मानकीकरण और लिपि पर चर्चा हुई है, जबकि वर्ण-विचार शीर्षक दूसरे अध्याय में भोजपुरी की मानक वर्णमाला, संधि तथा वर्तनी संबंधी
कुछेक नियमों का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। विराम चिह्न शीर्षक अध्याय में विभिन्न विराम-चिन्हों के सम्यक प्रयोग का उल्लेख है, जबकि शब्द-विचार और शब्द-रचना नामक अध्याय में विभिन्न प्रकार से शब्दों के विभेद और उपसर्ग-प्रत्यय, समास आदि पर विचार हुआ है। पांचवें अध्याय पद और पदभेद के अंतर्गत क्रिया के भेद, काल, अव्यय एवं क्रिया-विषेषण पर विचार हुआ है। वाक्य-रचना शीर्षक अध्याय में वाक्य के अर्थ, उसकी संकल्पना और भेदों पर विचार हुआ है, जबकि पुस्तक का अंतिम अध्याय मुहावरा और लोकोक्ति है। पुस्तक की शैक्षणिक, अकादमिक उपयोगिता काफी है।
पूरा जानने के लिए इस लिंक पर जाएँ-
https://www.bhaskar.com/bihar/patna/news/BIH-PAT-HMU-MAT-latest-patna-news-040502-3098846-NOR.html
अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (Applied Linguistics)
(1) अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (A.L.)
(2) भाषाविज्ञान के प्रकार (Types of Linguistics)
(3) अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान : एक परिचय
(4) सैद्धांतिक बनाम अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान
अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान : अंतरानुशासनिक (Interdisciplinary)
(5) समाजभाषाविज्ञान (Sociolinguistics)
(6) मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics)
(7) संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान (Cognitive
Linguistics)
(8) न्यूरोभाषाविज्ञान (Neurolinguistics)
(*) भाषा भूगोल EPG
अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान : व्यावहारिक (Practical)
(10) अनुवाद (Translation)
(11) भाषा शिक्षण (Language Teaching)
(12) कोशविज्ञान एवं कोशनिर्माण (Lexicology and
Lexicography)
(13) भाषा सर्वेक्षण (Language Survey)
(14) भाषा नियोजन (Language Planning)
अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान : तकनीकी (Technological)
(15) मशीनी अनुवाद (Machine Translation)
(16) कंप्यूटर साधित भाषा शिक्षण/अधिगम (Computer Assisted Language Teaching/Learning)
(17) कार्पस भाषाविज्ञान (Corpus Linguistics)
(18) भाषा प्रौद्योगिकी/ प्राकृतिक भाषा संसाधन
संदर्भ (References):
(1) भाषाविज्ञान की भूमिका (Bhashavigyan ki Bhumika) : देवेंद्रनाथ शर्मा
(2) भाषाविज्ञान का सैद्धांतिक अनुप्रयुक्त एवं तकनीकी पक्ष : धनजी प्रसाद
प्रोक्तिविज्ञान
प्रकरणार्थविज्ञान
मनोभाषाविज्ञान
समाजभाषाविज्ञान
आधुनिक भाषाविज्ञान
Sunday, December 23, 2018
भाषाविज्ञान एवं भाषाशास्त्र
Tuesday, December 18, 2018
प्रोग्रामिंग और प्रोग्रामिंग भाषा
अतः मशीनी भाषा के सापेक्ष मनुष्य की स्थिति कुछ इस प्रकार होती है-
प्रमुख प्रोग्रामिंग भाषाएँ-