स्रोत दैनिक भास्कर
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बुक में बताया गया है कि जब हमें प्रेम मिल जाता है, तो यह जैविक आतिशबाजी की तरह होता है। हमारी धड़कन बढ़ जाती है। प्यार से हॉर्मोन ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ता है। यह हमें जुड़ा हुआ महसूस कराता है। इससे न्यूरोट्रांसमीटर नॉरपेनेफ्रिन का स्तर बढ़ता है। इससे हमें समय का ध्यान नहीं रहता। एड्रेनालाइन का स्तर भी बढ़ता है। इससे बॉडी के मौजूद सेल फैल जाते हैं और चेहरे पर चमक आने लगती है। ऑर्टिग बताती हैं कि डोपामाइन के रिलीज होने से आपको उत्साह का अनुभव होता है। आप एक-दूसरे की नकल करने लगते हैं। ऐसा मिरर न्यूरॉन्स सक्रिय होने के चलते होता है।
अपने जुनून, शौक से प्यार करना भी अकेलेपन के खिलाफ विरोध करने जैसा है
ऑर्टिग बताती हैं कि प्रेम एक जैविक आवश्यकता है। ठीक पानी, व्यायाम या भोजन की तरह। यह शोध मुझे आश्वस्त कराता है कि एक स्वस्थ प्रेम जीवन अच्छे आहार की तरह जरूरी है। इसमें आपका प्रिय साथी, दोस्त, परिवार, यहां तक कि पसंदीदा खेल टीम भी शामिल हो सकती है। आप अपने जीवन से प्रेम करते हैं तो जरूरी नहीं कि यह किसी जिंदा इंसान से ही हो। आप अपने जुनून, शौक से प्यार करते हैं, तो यह भी अकेलेपन के खिलाफ विरोध करने जैसा है।
प्यार सुपरपावर की तरह महसूस कराता है
ऑर्टिग बताती हैं कि इससे आपके सेरोटोनिन का स्तर गिर जाता है, जो भूख को नियंत्रित करता है। जब हम अपने साथी के साथ होते हैं तो कई मुश्किल कामों के करने की शक्ति मिलती है। इसके और भी सकारात्मक नतीजे मिल सकते हैं, जैसे दर्द खत्म हो जाता है, याददाश्त और कई कामों में रुचि बढ़ जाती है। प्यार सुपरपावर की तरह महसूस कराता है, जो दिमाग को विकसित करता है।
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