Total Pageviews

Tuesday, September 30, 2025

भाषा प्रौद्योगिकी की आवश्यकता



           भाषा प्रौद्योगिकी एक अंतरानुशासनिक विषय है जिसमें एक ओर भाषाविज्ञान है तो दूसरी ओर कंप्यूटरविज्ञान। इनमें भाषाविज्ञान जहां अपने आप को मानवविज्ञान से जोड़ता है तो कंप्यूटरविज्ञान पूर्णतः तकनीकी विषय है। कंप्यूटर का अनुप्रयोग जब भाषा संबंधी क्षेत्रों में किया जाता है तो ऐसी स्थिति में भाषावैज्ञानिकों की आवश्यकता पड़ती है। कंप्यूटरविज्ञान का पूर्वज्ञान नहीं रखने वाला भाषावैज्ञानिक भाषा संबंधी नियमों को तकनीकी रूप से अभिव्यक्त नहीं कर पाता और कंप्यूटरविज्ञान का व्यक्ति भाषा संबंधी नियमों को भाषावैज्ञानिक की तरह नहीं समझ पाता। यही कारण है कि दोनों के योग से भाषा प्रौद्योगिकी और कंप्यूटेशनल भाषाविज्ञान जैसे विषयों का विकास हुआ है। इससे कंप्यूटर पर भाषा संबंधी अनुप्रयोगों के विकास का कार्य सरल हो जाता है।

श्रीलंका समाचार


 

जनसंचार में कृत्रिम बुद्धि के अनुप्रयोग : प्रो. धनजी प्रसाद

 संवाद पथ में प्रकाशित आलेख





Sunday, September 28, 2025

संस्थान में रोजगार


 

Thursday, September 25, 2025

संज्ञा की रूपावली

संज्ञा शब्दों की रूपावली दो आधारों पर बनती है-

1. शब्द का वचन 

2. शब्द के बाद परसर्ग का प्रयोग होना या नहीं होना

अलग-अलग प्रकार के संज्ञा शब्दों की रूपावली अलग-अलग प्रकार से बनती है। 

इसे लड़का शब्द की रूपावली से दख सकते हैं-

रूपावली 1. लड़का : 

             एकवचन बहुवचन 

      सरल    लड़का        लड़के 

      तिर्यक    लड़के     लड़कों 

छाता घोड़ा तोता गधा कौवा कपड़ा दरवाजा तोता बेटा आदि शब्दों के रूप भी इसी प्रकार से बनेंगे

वाक्य में प्रयोग के उदाहरण 

वह अच्छा लड़का है 

वे अच्छे लड़के हैं 

अच्छे लड़के में कौन सी बात है?

अच्छे लड़कों में कौन सी बात है?

रूपावली 2. बालक

बालक बालक

 बालक बालकों 

इसी प्रकार घर पेड़ मकान दीवार कार चोर आदि के रूप बनते हैं।

रूपावली 3. लड़की

लड़की लड़कियाँ 

 लड़की लड़कियों

इसी प्रकार पुत्री साड़ी खिड़की नारी बकरी शेरनी आदि के रूप बनते हैं। 

रूपावली 4. माता 

माता माताएँ

माता माताओं

इसी प्रकार छात्रा भाषा गाय किताब बहन अध्यापिका आदि के रूप बनते हैं।

वाक्य में प्रयोग के उदाहरण

यह एक गाय हैं 

यह दो गायें हैं 

 इस गाय को लाओ

 इन गायों को लाओ

वह मेरी बहन है 

वे मेरी बहनें हैं 

मेरी बहन को बुलाओ

मेरी बहनों को बुलाओ 



Thursday, September 18, 2025

200 Notes 18 Sep

 18-09-2025 notes

विशेषण के रूप

अच्छा :

अच्छा => लड़का

अच्छी => लड़की, लड़कियाँ, लड़कियों

अच्छे   => लड़के, घर

सुंदर : कोई रूप नहीं ।

यह घर अच्छा है।

ये घर अच्छे हैं।

मैं अच्छे घर में रहता हूँ।

Imperative Sentences :

आज्ञा => तुम घर जाओ। अच्छा खाना खाओ।

परामर्श => तुम्हें घर जाना चाहिए। अच्छा खाना खाना चाहिए।

निवेदन => आप घर जाइए। अच्छा खाना खाइए।

.............

संरचना (Structure) की दृष्टि से वाक्य के प्रकार

 संरचना की दृष्टि से वाक्य के तीन प्रकार होते हैं-

1. सरल वाक्य

2. मिश्र वाक्य

3. संयुक्त वाक्य

1. सरल वाक्य

ऐसे वाक्य जिनमें केवल एक समापिका क्रिया होती है, सरल वाक्य कहलाते हैं। जैसे-

·       रमेश काम कर रहा है।

·        मेरे घर क्या बना है?

·        सीता अच्छी लड़की है।

2. मिश्र वाक्य

ऐसे वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य होता है और एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं। सूत्र -

 मिश्र वाक्य  = मुख्य उपवाक्य  + आश्रित उपवाक्य

उदाहरण-

·    मैंने कहा कि तुम घर जाओ।

·     वह आदमी गांव गया है जो बहुत झगड़ालू है।

3. संयुक्त वाक्य

संयुक्त वाक्य का निर्माण एक से अधिक मुख्य उपवाक्यों के योग से होता है।  वे आपस में समानाधिकरण समुच्चयबोधकों (Coordinating conjunctions) के माध्यम से जुड़े होते हैं। सूत्र-

 संयुक्त वाक्य = मुख्य उपवाक्य +  मुख्य उपवाक्य

 उदाहरण-

·       आज वह परीक्षा देगा और पास हो जाएगा।

·        तुम बाजार जाओगे या घर में ही रहोगे।

.................

विशेषण पदबंध (Adjective Phrase)

वाक्य में विशेषण का काम करने वाला पदबंध विशेषण पदबंध कहलाता है। इसमें विशेषण के बाद संज्ञा शब्द नहीं आता।

जैसे-

यह अच्छा[वि.] घर[सं.] है। (अच्छा + घर = संज्ञा पदबंध)

यह घर अच्छा[वि.]  है। (अच्छा = विशेषण पदबंध)

 

 

Wednesday, September 17, 2025

'प्यासा कौआ' कहानी कैसे लिखें (How to write the 'Thirsty Crow' story)

      कहानी लिखना एक कला है। इसके लिए हमें सबसे पहले कहानी के बारे में चरणों (steps) में सोचना चाहिए। फिर प्रत्येक रण (step) के लिए एक या एक से अधिक वाक्य बनाने चाहिए। जब हम एक से अधिक वाक्यों को जोड़ते हैं तो बड़ी कहानी बनती है। एक-एक वाक्यों को लिखने से छोटी कहानी बनती है।

इसे 'प्यासा कौआ' कहानी से इस प्रकार से समझ सकते हैं- 



छोटी कहानी :

एक कौआ था। वह प्यासा था। उसने पानी खोजा। उसे एक घड़ा (मटका) मिला। घड़े में पानी थोड़ा था। उसे बगल में कंकड़ मिले। उसने घड़े में कंकड़ डाले और पानी ऊपर आ गया। कौए ने पानी पिया।

बड़ी कहानी :

एक कौआ था। वह आसमान में उड़ रहा था। उड़ते-उड़ते उसे प्यास लगी। वह पानी की तलाश में इधर-उधर देखने लगा। उसे कहीं भी पानी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी उसे एक घड़ा (मटका) दिखाई दिया। वह घड़े के पास जाकर देखा तो उसमें पानी बहुत थोड़ा था। तभी उसके मन में एक विचार (आइडिया) आया। उसने बगल में कंकड़ देखे। उसने घड़े में कंकड़ डाले और इससे धीरे-धीरे पानी ऊपर आ गया। इस प्रकार कौए ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई और उड़ गया।

Sunday, September 14, 2025

हिंदी वर्णमाला का क्रमबद्ध सुंदर प्रयोग

 ह्वाट्सएप से साभार 

कभी हिंदी वर्णमाला का क्रमबद्ध इतना सुंदर प्रयोग देखा है। आप भी अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय कह उठेंगे...   

यह कविता जिसने भी लिखी प्रशंसनीय है।

"अ"चानक

"आ"कर मुझसे

"इ"ठलाता हुआ पंछी बोला

"ई"श्वर ने मानव को तो

"उ"त्तम ज्ञान-दान से तौला

"ऊ"पर हो तुम सब जीवों में

"ऋ"ष्य तुल्य अनमोल

"ए"क अकेली जात अनोखी

"ऐ"सी क्या मजबूरी तुमको

"ओ"ट रहे होंठों की शोख़ी

"औ"र सताकर कमज़ोरों को

"अं"ग तुम्हारा खिल जाता है

"अ:"तुम्हें क्या मिल जाता है.?

"क"हा मैंने- कि कहो

"ख"ग आज सम्पूर्ण

"ग"र्व से कि- हर अभाव में भी

"घ"र तुम्हारा बड़े मजे से

"च"ल रहा है

"छो"टी सी- टहनी के सिरे की

"ज"गह में, बिना किसी

"झ"गड़े के, ना ही किसी

"ट"कराव के पूरा कुनबा पल रहा है

"ठौ"र यहीं है उसमें

"डा"ली-डाली, पत्ते-पत्ते

"ढ"लता सूरज

"त"रावट देता है

"थ"कावट सारी, पूरे

"दि"वस की-तारों की लड़ियों से

"ध"न-धान्य की लिखावट लेता है

"ना"दान-नियति से अनजान अरे

"प्र"गतिशील मानव

"फ़"ल के चक्कर में 

"ब"न बैठे हो असमर्थ

"भ"ला याद कहाँ तुम्हें

"म"नुष्यता का अर्थ.?

"य"ह जो थी, प्रभु की

"र"चना अनुपम...

"ला"लच लोभ के 

"व"शीभूत होकर

"श"र्म-धर्म सब तजकर

"ष"ड्यंत्रों के खेतों में

"स"दा पाप-बीजों को बोकर

"हो"कर स्वयं से दूर

"क्ष"णभंगुर सुख में अटक चुके हो

"त्रा"स को आमंत्रित करते हुए

"ज्ञा"न-पथ से भटक चुके हो।

 🌹🌹🌹🌹

Tuesday, September 9, 2025

संज्ञा शब्दों की रूपावली (Word form table of noun words)


हिंदी में संज्ञा शब्दों की रूपावली बनाने के लिए दो चीजें देखते हैं -

1. शब्द का अंतिम वर्ण

2. शब्द का लिंग

उदाहरण के लिए 'लड़का' शब्द का अंतिम वर्ण 'आ' है तथा यह 'पुल्लिंग' है ।
इसकी रूपावली निम्नलिखित प्रकार से बनाई जाती है -

.......

'आ' वर्ण वाले अधिकांश पुल्लिंग शब्दों की रूपावली इसी प्रकार से बनेगी, जैसे- घोड़ा, गधा, कैमरा, छाता, कपड़ा, दरवाजा, तोता, कौवा, कमरा आदि।


हिंदी में विविध स्रोतों से प्रत्यय (Hindi Suffixes from various Sources)

                                  (हिंदीतर/विदेशी विद्यार्थियों के लिए संक्षेप में) 

प्रत्यय (Suffix)

शब्दों के बाद में लगकर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश (part of word) प्रत्यय कहलाते हैं। उदाहरण :

शब्द = शब्द + प्रत्यय

ज्ञानी = ज्ञान + ई

नगरीय = नगर + ईय  

पाठक = पाठ + अक

मानवता = मानव + ता  

बनावट = बन + आवट  

अच्छाई = अच्छा + ई

हिंदी में विविध स्रोतों से प्रत्यय (Hindi Suffixes from various Sources)

हिंदी में प्रत्यय (Suffixes) कई स्रोतों से आए हैं: संस्कृतप्राकृत/अपभ्रंशफारसीअरबीऔर अंग्रेज़ी। नीचे इनको समूहवार दिया जा रहा है:

1. संस्कृत/प्राकृत मूल के प्रत्यय

ये हिंदी के सबसे प्राचीन और मूल प्रत्यय हैं। उदाहरण :

-पन/पन → बचपनलड़कपनअपनापन

-त्व → देवत्वमित्रत्व

-मय (भरा हुआ) → सौंदर्यमयज्ञानमय

-शील (स्वभाव वाला) → कर्मशीलधर्मशील

-अन / -न → पठनलेखनगमन

2. अरबी/फारसी स्रोत के प्रत्यय

ये मध्यकालीन मुगलों के संपर्क से आए प्रत्यय हैं। उदाहरण :

-दार (धारक/रखने वाला) → ज़िम्मेदारहक़दारगुनहगार

-बाज़ (आसक्त/क्रीड़ा करने वाला) → कबूतरबाज़चालबाज़

-गिरी (व्यवहार/पेशा) → नेतागिरीदबंगई

-ख़ाना (स्थान) → किताबख़ानाअस्पतालख़ाना

-अत / -इयत → इंसानियतशराफ़तहक़ीक़त

-उल्लाह / -ल्लाह (धार्मिक नामों में) → अब्दुल्लाहहमदुल्लाह

3. अंग्रेज़ी स्रोत के प्रत्यय

आधुनिक काल में अंग्रेज़ी से सीधे हिंदी में आए प्रत्यय भी देखे जा सकते हैं। इनका प्रयोग अंग्रेजी शब्दों के साथ ही होता है। उदाहरण :

-इज़्म / -वाद → सोसलिज्म (समाजवाद), कैपिटलिज्म (पूँजीवाद)

-इस्ट / -वादी → फेमिनिस्ट (नारीवादी)कैपिटलिस्ट (पूँजीवादी)

-नेस / -ता / -पन → काइंडनेस (दयालुता)हैप्पीनेस (खुशी)

-शन / -करण → नेशनलाइज़ेशन (राष्ट्रीयकरण)

-लॉजी/-शास्त्र→ बायोलॉजी (जीवशास्त्र)सोशियोलॉजी (समाजशास्त्र)

हिंदी में विविध स्रोतों के उपसर्ग (Hindi Prefixes from various Sources)

 

                                 (हिंदीतर/विदेशी विद्यार्थियों के लिए संक्षेप में) 

उपसर्ग (Prefix )

शब्दों के पूर्व में लगकर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश (part of word) उपसर्ग कहलाते हैं। उदाहरण :

शब्द  =  उपसर्ग + शब्द

अज्ञान = अ  + ज्ञान

विचार = वि  + चार

परिवार = परि + वार

आदेश = आ + देश

अनुवाद = अनु + वाद

प्रदेश = प्र + देश

हिंदी में विविध स्रोतों के उपसर्ग (Hindi Prefixes from various Sources)

हिंदी के उपसर्ग मुख्यतः संस्कृत, (प्राकृत/अपभ्रंश/देशज), फारसी-अरबी और अंग्रेज़ी (विदेशी) स्रोतों से आए हैं। नीचे इन्हें समूहवार दिया जा रहा है:

1. संस्कृत स्रोत के उपसर्ग

ये पारंपरिक व्याकरणिक उपसर्ग हैं, जो संस्कृत से सीधे हिंदी में आए हैं। उदाहरण :

अ- (नकारात्मक): अशुद्ध, अज्ञान

अनु- (पीछे/अनुसार): अनुसरण, अनुकरण

अधि- (ऊपर): अधिकार, अधिभार

आ- (निकट/पूर्णता): आगमन, आह्वान

उप- (पास, निकट): उपकार, उपदेश, उपहार

सम्/सं- (साथ): संपर्क, संस्कार

प्र- (आगे/प्रारंभ/भाग): प्रवेश, प्रगति, प्रदेश

वि- (विभाजन, भिन्नता): विचार, विवाद

दुर्/दुष्- (बुरा): दुरुपयोग, दुष्कर्म

सु- (अच्छा, शुभ): सुयोग, सुमन

निर्/नि- (बिना): निराशा, निषेध

परि- (चारों ओर): परिक्रमा, परीक्षा

अति- (अधिक): अतिप्राचीन, अतिशय

2. अरबी/फारसी स्रोत के उपसर्ग

ये हिंदी में मध्यकाल में मुगलों के संपर्क से आए हैं। उदाहरण :

बे- (बिना): बेदर्द, बेरंग, बेकार

ला- (बिना): लाचार, लापरवाह

ना- (नकार): नाकाबिल, नाकाफी

हम- (साथ): हमनाम, हमदर्द, हमसफर, हमराज

ख़ुद- (स्वयं): ख़ुदमुख़्तार, ख़ुदकुशी

अल- (विशेष/निर्दिष्ट): अलविदा, अलहदा

मु-/मौ- (कर्ता/संबंध): मौलाना, मुफ्ती, मुकद्दर

3. अंग्रेज़ी स्रोत के उपसर्ग

अंग्रेज़ी के संपर्क से भी कई उपसर्ग हिंदी में प्रचलित हुए हैं। इनका प्रयोग अंग्रेजी शब्दों के साथ ही होता है। उदाहरण :

अन्-/इन- (नकारात्मक): इनडायरेक्ट, अनफेयर

रि-/री- (पुनः): रिटर्न, रीचार्ज

पोस्ट- (बाद में): पोस्टमार्टम, पोस्टऑफिस

प्री- (पहले): प्रीपेड, प्रीप्लान्ड

सब- (नीचे): सबवे, सबस्टेशन

सुपर- (ऊपर, श्रेष्ठ): सुपरमैन, सुपरपावर

################


Tuesday, September 2, 2025

मूल शब्द और निर्मित शब्द (Root word and derived word)

                                 (हिंदीतर/विदेशी विद्यार्थियों के लिए संक्षेप में) 


 मूल शब्द (Root word)

वह शब्द जो किसी उपसर्ग, प्रत्यय, संधि, समास, पुनरुक्ति आदि द्वारा निर्मित नहीं होता, मूल शब्द कहलाता है।

उदाहरण: लड़का, घर, कमरा, लड़की, अच्छा, सुंदर, दूर, पास, क्या, तुम, में, है आदि।

निर्मित शब्द (Derived word)

वह शब्द जो किसी उपसर्ग, प्रत्यय, संधि, समास, पुनरुक्ति आदि द्वारा निर्मित होता है, निर्मित शब्द कहलाता है।

उदाहरण:

अज्ञान = अ + ज्ञान

लड़कपन = लड़का + पन

 दूधवाला = दूध + वाला

माता पिता = माता + पिता

अच्छाई = अच्छा + ई

 सुंदरता = सुंदर + ता

आदेश = आ + देश

तुमसे = तुम + से

कौन-सा = कौन + सा

किसी शब्द में उपसर्ग, प्रत्यय आदि जोड़े जाने की स्थिति में जो मूल शब्द होता है, उसे मूलांश (Root part) कहते हैं।

 उदाहरण के लिए 'अज्ञान' शब्द में 'ज्ञान' मूलांश है।

'सुंदरता' शब्द में 'सुंदर' मूलांश है।

….........

उपसर्ग (Prefix )

शब्दों के पूर्व में लगकर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश (part of word) उपसर्ग कहलाते हैं। उदाहरण :

शब्द  =  उपसर्ग + शब्द

अज्ञान = अ  + ज्ञान

विचार = वि  + चार

परिवार = परि + वार

आदेश = आ + देश

अनुवाद = अनु + वाद

प्रदेश = प्र + देश

हिंदी में विविध स्रोतों के उपसर्ग (Hindi Prefixes from various Sources)

हिंदी के उपसर्ग मुख्यतः संस्कृत, (प्राकृत/अपभ्रंश/देशज), फारसी-अरबी और अंग्रेज़ी (विदेशी) स्रोतों से आए हैं। नीचे इन्हें समूहवार दिया जा रहा है:

1. संस्कृत स्रोत के उपसर्ग

ये पारंपरिक व्याकरणिक उपसर्ग हैं, जो संस्कृत से सीधे हिंदी में आए हैं। उदाहरण :

अ- (नकारात्मक): अशुद्ध, अज्ञान

अनु- (पीछे/अनुसार): अनुसरण, अनुकरण

अधि- (ऊपर): अधिकार, अधिभार

आ- (निकट/पूर्णता): आगमन, आह्वान

उप- (पास, निकट): उपकार, उपदेश, उपहार

सम्/सं- (साथ): संपर्क, संस्कार

प्र- (आगे/प्रारंभ/भाग): प्रवेश, प्रगति, प्रदेश

वि- (विभाजन, भिन्नता): विचार, विवाद

दुर्/दुष्- (बुरा): दुरुपयोग, दुष्कर्म

सु- (अच्छा, शुभ): सुयोग, सुमन

निर्/नि- (बिना): निराशा, निषेध

परि- (चारों ओर): परिक्रमा, परीक्षा

अति- (अधिक): अतिप्राचीन, अतिशय

2. अरबी/फारसी स्रोत के उपसर्ग

ये हिंदी में मध्यकाल में मुगलों के संपर्क से आए हैं। उदाहरण :

बे- (बिना): बेदर्द, बेरंग, बेकार

ला- (बिना): लाचार, लापरवाह

ना- (नकार): नाकाबिल, नाकाफी

हम- (साथ): हमनाम, हमदर्द, हमसफर, हमराज

ख़ुद- (स्वयं): ख़ुदमुख़्तार, ख़ुदकुशी

अल- (विशेष/निर्दिष्ट): अलविदा, अलहदा

मु-/मौ- (कर्ता/संबंध): मौलाना, मुफ्ती, मुकद्दर

3. अंग्रेज़ी स्रोत के उपसर्ग

अंग्रेज़ी के संपर्क से भी कई उपसर्ग हिंदी में प्रचलित हुए हैं। इनका प्रयोग अंग्रेजी शब्दों के साथ ही होता है। उदाहरण :

अन्-/इन- (नकारात्मक): इनडायरेक्ट, अनफेयर

रि-/री- (पुनः): रिटर्न, रीचार्ज

पोस्ट- (बाद में): पोस्टमार्टम, पोस्टऑफिस

प्री- (पहले): प्रीपेड, प्रीप्लान्ड

सब- (नीचे): सबवे, सबस्टेशन

सुपर- (ऊपर, श्रेष्ठ): सुपरमैन, सुपरपावर

################

प्रत्यय (Suffix)

शब्दों के बाद में लगकर नया शब्द बनाने वाले शब्दांश (part of word) प्रत्यय कहलाते हैं। उदाहरण :

शब्द = शब्द + प्रत्यय

ज्ञानी = ज्ञान + ई

नगरीय = नगर + ईय  

पाठक = पाठ + अक

मानवता = मानव + ता  

बनावट = बन + आवट  

अच्छाई = अच्छा + ई

हिंदी में विविध स्रोतों के प्रत्यय (Hindi Suffixes from various Sources)

हिंदी में प्रत्यय (Suffixes) कई स्रोतों से आए हैं: संस्कृत, प्राकृत/अपभ्रंश, फारसीअरबी, और अंग्रेज़ी। नीचे इनको समूहवार दिया जा रहा है:

1. संस्कृत/प्राकृत मूल के प्रत्यय

ये हिंदी के सबसे प्राचीन और मूल प्रत्यय हैं। उदाहरण :

-पन/पन बचपन, लड़कपन, अपनापन

-त्व देवत्व, मित्रत्व

-मय (भरा हुआ) सौंदर्यमय, ज्ञानमय

-शील (स्वभाव वाला) कर्मशील, धर्मशील

-अन / -न पठन, लेखन, गमन

2. अरबी/फारसी स्रोत के प्रत्यय

ये मध्यकालीन मुगलों के संपर्क से आए प्रत्यय हैं। उदाहरण :

-दार (धारक/रखने वाला) ज़िम्मेदार, हक़दार, गुनहगार

-बाज़ (आसक्त/क्रीड़ा करने वाला) कबूतरबाज़, चालबाज़

-गिरी (व्यवहार/पेशा) नेतागिरी, दबंगई

-ख़ाना (स्थान) किताबख़ाना, अस्पतालख़ाना

-अत / -इयत इंसानियत, शराफ़त, हक़ीक़त

-उल्लाह / -ल्लाह (धार्मिक नामों में) अब्दुल्लाह, हमदुल्लाह

3. अंग्रेज़ी स्रोत के प्रत्यय

आधुनिक काल में अंग्रेज़ी से सीधे हिंदी में आए प्रत्यय भी देखे जा सकते हैं। इनका प्रयोग अंग्रेजी शब्दों के साथ ही होता है। उदाहरण :

-इज़्म / -वाद सोसलिज्म (समाजवाद), कैपिटलिज्म (पूँजीवाद)

-इस्ट / -वादी फेमिनिस्ट (नारीवादी), कैपिटलिस्ट (पूँजीवादी)

-नेस / -ता / -पन काइंडनेस (दयालुता), हैप्पीनेस (खुशी)

-शन / -करण नेशनलाइज़ेशन (राष्ट्रीयकरण)

-लॉजी/-शास्त्रबायोलॉजी (जीवशास्त्र), सोशियोलॉजी (समाजशास्त्र)