पाठ्यचर्या का शीर्षक - हिंदी अनुप्रयोग : तकनीकी संसाधन एवं उपकरण
खण्ड – 4
: कंंप्यूटरकृत
हिंदी भाषा की उपादेयता
इकाई – 2
: हिंदी
भाषा शिक्षण और ई-लर्निंग, ई.पी.जी.-पाठशाला
19.0 उद्देश्य
19.1 प्रस्तावना
19.2 हिंदी भाषा शिक्षण
19.3 हिंदी भाषा शिक्षण और डिजिटल माध्यम
19.4 ई-लर्निंग : परिभाषा एवं स्वरूप
19.5 ई-लर्निंग के महत्वपूर्ण तकनीकी-शब्द (terms)
19.6 ई.पी.जी.-पाठशाला
19.7 पाठ सार
19.8 बोध
प्रश्न
19.9 संदर्भ
ग्रंथ-सूची
19.0 उद्देश्य
किसी भी भाषा
के सर्वांगीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि उससे संबंधित सामग्री डिजिटल साधनों पर
अधिकाधिक मात्रा में उपलब्ध हो। ई-लर्निंग वर्तमान समय की सर्वाधिक सशक्त डिजिटल
तकनीक है। हिंदी के विकास और वैश्विक प्रचार-प्रसार में ई-लर्निंग साधनों की
भूमिका अतुल्य है। ई-पी.जी. पाठशाला भारत सरकार का इसी प्रकार का एक उत्कृष्ट
प्रयास है। प्रस्तुत इकाई में हिंदी शिक्षण के सापेक्ष इन दोनों से परिचय कराया जा
रहा है-
इस इकाई को
पढ़ने के बाद आप:
Ø हिंदी भाषा
शिक्षण में डिजिटल माध्यमों की भूमिका का परिचय पा सकेंगे।
Ø ई-लर्निंग की
परिभाषा एवं स्वरूप को समझ सकेंगे।
Ø ई-लर्निंग के
महत्वपूर्ण तकनीकी-शब्दों को जान सकेंगे।
Ø ई.पी.जी.-पाठशाला
के स्वरूप से परिचित हो सकेंगे।
19.1 प्रस्तावना
मानव सभ्यता के
विकासक्रम में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। ‘कंप्यूटर’ के अविष्कार से हुई डिजिटल क्रांति इसी प्रकार का एक क्रांतिकारी परिवर्तन
है। कंप्यूटर ने मनुष्य के औद्योगिक, व्यापारिक, यातायात संबंधी, शिक्षा संबंधी और यहाँ तक कि दैनिक
जीवन संबंधी क्रियाकलापों में गहरी पैठ बनाई है। डिजिटल क्रांति के बाद यह स्थिति
है कि कंप्यूटर के बिना मानव समाज के वर्तमान स्वरूप की कल्पना नहीं की जा सकती। इंटरनेट
के अविष्कार ने मनुष्य को एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दिया है जिसके माध्यम से वह
बिना किसी बाधा के एक ही क्लिक के साथ संपूर्ण विश्व में अपने विचारों, कार्यों आदि को पाठ, चित्र और ऑडिय-विजुअल सामग्री
के रूप में पहुँचा सके।
वर्तमान समय
में शिक्षा मनुष्य के मौलिक अधिकारों में से एक है। सरकारों द्वारा निरंतर इसे
जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया जा रहा है। समय, स्थान और संसाधनों की
सीमितता इसमें एक प्रमुख बाधा रही है। ‘दूर शिक्षा’ के माध्यम से इस बाधा को भी कुछ हद तक दूर करने का प्रयास किया गया, किंतु इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कंप्यूटर और इंटरनेट के आगमन के
बाद ही हो सकी है। अब ऑनलाइन तकनीक का प्रयोग करते हुए विश्व में कहीं भी और कभी
शिक्षण किया जा सकता है। इंटरनेट और इलेक्ट्रानिक सामग्री द्वारा शिक्षण और अधिगम
की विकसित इसी तकनीक को ई-लर्निंग नाम दिया गया है। वर्तमान में संपूर्ण विश्व में
यह एक चिर-परिचित शब्द है। आज विश्व की प्रमुख भाषाओं में सभी प्रमुख विषयों में
पर्याप्त मात्रा में ई-लर्निंग की सामग्री प्राप्त की जा सकती है। हिंदी भी इस
क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रही है। सरकारी और व्यक्तिगत/संस्थागत स्तर पर इस
दिशा में अनेक उल्लेखनीय प्रयास हुए हैं। ई-पी.जी. पाठशाला इसी प्रकार का एक
प्रयास है। अतः ई-लर्निंग और ई-पी.जी. पाठशाला की महत्ता को देखते हुए इनका परिचय
प्रस्तुत इकाई में दिया जा रहा है।
19.2 हिंदी भाषा शिक्षण
हिंदी भारत की
राजभाषा और संपर्क-भाषा है। भारत एक बहुभाषिक देश है। यहाँ अनेक विविध प्रकार की
भाषाओं का प्रयोग होता है। इसीलिए उत्तर भारत में प्रथम भाषा होने के साथ-साथ देश
के अनेक राज्यों में हिंदी की स्थिति द्वितीय भाषा और कुछ राज्यों में तृतीय भाषा
की है। इसके अलावा विश्व के अन्य अनेक देशों के विद्यार्थी भी हिंदी सीखते हैं। इन
सभी रूपों में हिंदी का शिक्षण ‘हिंदी भाषा शिक्षण’
है। अतः हिंदी भाषा शिक्षण को निम्नलिखित रूपों में समझ सकते हैं-
· प्रथम भाषा के
रूप में हिंदी शिक्षण
· द्वितीय (और
तृतीय) भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण
· विदेशी भाषा के
रूप में हिंदी शिक्षण
प्रथम भाषा के
रूप में हिंदी शिक्षण हिंदी भाषी क्षेत्रों में किया जाता है। इन क्षेत्रों में
किसी-न-किसी रूप में हिंदी का व्यवहार होता रहता है, इसलिए हिंदी के औपचारिक
और साहित्यिक स्वरूप का ही शिक्षण किया जाता है। भाषा कौशल की दृष्टि से केवल ‘पढ़ना और लिखना’ कौशलों का शिक्षण ही अपेक्षित होता
है। द्वितीय (और तृतीय) भाषा के रूप में हिंदी सीखाने के लिए अधिक प्रयास की
आवश्यकता पड़ती है। वहाँ अध्येता की मातृभाषा का भी व्याघात होता है। विदेशी भाषा
के रूप में हिंदी शिक्षण के लिए और अधिक सामग्री की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि वहाँ हिंदी का परिवेश भी उपलब्ध नहीं होता। द्वितीय भाषा और
विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण में अध्येता का उद्देश्य भी महत्वपूर्ण होता
है कि वह हिंदी क्यों सीखना चाहता है।
अतः हिंदी भाषा
शिक्षण एक बड़ा क्षेत्र है, जिस पर भाषा की दृष्टि से अलग-अलग विचार
किया जा सकता है, क्योंकि भाषा शिक्षण की प्रविधि और सामग्री
इस बात पर भिन्न हो जाती है कि अध्येता किस रूप में हिंदी को सीखना चाहता है।
19.3 हिंदी भाषा शिक्षण और डिजिटल माध्यम
वर्तमान परिवेश
में हिंदी भाषा शिक्षण को तकनीकी माध्यमों से जोड़ना नितांत आवश्यक है। यदि हिंदी
भाषा शिक्षण को वर्तमान तकनीकी जगत के साथ अद्यतन (update) करना है तो यह
आवश्यक है कि डिजिटल माध्यमों का हिंदी भाषा शिक्षण के लिए प्रयोग किया जाए।
डिजिटल माध्यमों से तात्पर्य है- कंप्यूटर और मोबाइल। आज मानव जीवन के सभी
क्षेत्रों में कंप्यूटर की भूमिका अपरिहार्य है। शिक्षण-प्रशिक्षण भी इससे अछूता
नहीं है। अतः हिंदी भाषा शिक्षण में कंप्यूटर का उपयोग आवश्यक है।
वर्तमान समय
में मोबाइल केवल संचार का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह मिनि-कंप्यूटर
के रूप में कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले अनेकानेक कार्यों को हमारी मुट्ठी में
रहते हुए संपन्न कर रहा है। इसीलिए सामान्य संचार के लिए प्रयुक्त मोबाइल फोनों से
अलग इन्हें स्मार्टफोन कहा जाता है। हिंदी भाषा शिक्षण को जन-जन तक पहुँचाने के
लिए मोबाइल और स्मार्टफोन प्लेटफॉर्म का भी अधिकाधिक प्रयोग किया जाना अपेक्षित
है।
उपर्युक्त
दोनों डिजिटल युक्तियों में हिंदी भाषा शिक्षण संबंधी सामग्री दो प्रकार से
पहुँचाई जा सकती है- ऑनलाइन और ऑफलाइन। ऑनलाइन से तात्पर्य ‘इंटरनेट की सहायता से सामग्री उपलब्ध कराने’ से है
तो ऑफलाइन के लिए इंटरनेट का होना आवश्यक नहीं है। इसे तकनीकी रूप से ‘system
independent’ भी कहते हैं। हिंदी भाषा शिक्षण के लिए दोनों ही
प्रकार के डिजिटल माध्यमों का प्रयोग आवश्यक है।
19.4 ई-लर्निंग : परिभाषा एवं स्वरूप
ई-लर्निंग एक
आधुनिक तकनीकी शब्द है, जिसमें ‘ई’ का प्रयोग ‘electronic’ के लिए किया गया है तथा ‘लर्निंग’ का अर्थ है- अधिगम। अतः इलेक्ट्रानिक
माध्यमों का प्रयोग करते हुए की जाने वाली लर्निंग ‘ई-लर्निंग’ है। http://www.elearningnc.gov/about_elearning/what_is_elearning/ पर ई-लर्निंग की व्याख्या करते हुए कहा गया है, “eLearning
is learning utilizing electronic technologies to access educational curriculum
outside of a traditional classroom. In
most cases, it refers to a course, program or degree delivered completely
online.” इसी प्रकार भारत सरकार के इलेक्ट्रानिकी और सूचना
प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics & Information
Technology) की वेबसाइट पर भी कहा गया है- “E-Learning is
one of the thrust area identified by MeitY for imparting education using educational
tools and communication media. It is the learning facilitated and supported by
Information Communication technologies (ICT). The broad objective is to develop
tools and technologies to promote e-learning.”
अतः स्पष्ट है
कि संचार और सूचना प्रणालियों का उपयोग करते हुए ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया ‘ई-लर्निंग’ है। दूसरे शब्दों में पारंपरिक
कक्षाध्यापन और अधिगम से अलग इलेक्ट्रानिक माध्यमों का किसी भी प्रकार से प्रयोग
करते हुए किया जाने वाला ज्ञानार्जन ई-लर्निंग है। आज ई-लर्निंग एक सर्वाधिक उभरता
हुआ व्यापक क्षेत्र है। इसके अंतर्गत इंटरनेट के माध्यम से शिक्षण अथवा शिक्षण
सामग्री से ज्ञान का अर्जन, कंप्यूटर पर विभिन्न शिक्षण
सॉफ्टवेयरों से ज्ञानार्जन, स्मार्टफोन फोन पर शिक्षण एप्स
का प्रयोग, आभासी कक्षा,
अंतर्क्रियात्मक कक्षा अध्यापन (Interactive Classroom Teaching), ऑडियो-विजुअल सामग्री का प्रयोग आदि सभी आ जाते हैं।
19.5 ई-लर्निंग के महत्वपूर्ण तकनीकी-शब्द (terms)
वर्तमान समय
में विश्व स्तर पर ई-लर्निंग के क्षेत्र में अनेक उल्लेखनीय प्रयास किए गए हैं। भारत
सरकार द्वारा भी इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं। इन सभी का परिचयात्मक ज्ञान
आवश्यक है। इस क्षेत्र के कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी-शब्द (terms) इस प्रकार हैं-
·
COL (Commonwealth of Learning) : यह Commonwealth देशों का एक संगठन है, जिसकी स्थापना 1988 में हुई थी। इसका मुख्यालय Vancouver,
Canada में है। इसका मुख्य उद्देश्य मुक्त और दूरस्थ शिक्षा (Open
and distance learning) हेतु ज्ञान, स्रोत और तकनीकी का विकास करने तथा उसे share करने हेतु प्रेरित करना है। इसकी वेबसाइट https://www.col.org/ पर इसके
कार्यों की विस्तृत सूचना दी गई है-
.................................
·
INFLIBNET (Information and Library Network) : यह इंटरनेट के माध्यम से ज्ञान-विज्ञान की सामग्री को सभी के लिए निःशुल्क
उपलब्ध कराने का MHRD, भारत सरकार का एक उपक्रम
है। इसका मुख्यालय गांधीनगर में है। इसकी वेबसाइट http://inflibnet.ac.in/activities/ पर इसके अंतर्गत किए जा रहे प्रमुख कार्यों की सूची निम्नलिखित है-
............................
·
NKN (National Knowledge Network) : यह भारत में उच्च शिक्षा से जुड़े सभी शैक्षिक संस्थानों को आपस में जोड़ने
के उद्देश्य से निर्मित कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत अब तक 1648 संस्थान आपस में
जुड़ चुके हैं और शोध,ज्ञान, तकनीकी
एवं सूचनाओं का परस्पर आदान-प्रदान करते हैं। इनकी सूची को http://nkn.gov.in/connected-institutions पर निम्नलिखित प्रकार से देखा जा सकता है-
.........................
·
NMEICT (National Mission on Education through Information
and Communication Technology) : यहMHRD, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ज्ञान और तकनीकी के विकास और
प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहित और regulate किया
जाता है। इससे संबंधित विस्तृत सूचनाएँ http://www.nmeict.iitkgp.ac.in/ पर प्राप्त की जा सकती हैं।
.........................
·
NPTEL (National Program on Technology Enhanced Learning) : यह NMEICT के अंतर्गत ही एक initiative है, जिसमें इंजिनियरिंग और विज्ञान संबंधी
पाठ्यक्रमों से संबंधित सामग्री तैयार और share की जाती
है। http://nptel.ac.in/course.php पर इसके अंतर्गत उपलब्ध पाठ्य-सामग्री को देख सकते हैं-
...........................
·
MOOCs (Massive Open Online Courses) : यह भी विभिन्न पाठ्यक्रमों के ऑनलाइन अध्ययन-अध्यापन हेतु एक प्लेटफॉर्म
है, जो MHRD द्वारा
प्रायोजित है।
.......................
·
OER (Open Educational Resource) : इस term का प्रयोग सर्वप्रथम UNESCO द्वारा 2002 में किया गया। इसका उद्देश्य सबको उच्च शिक्षा की सामग्री
निःशुल्क उपलब्ध कराना है। इसका संदेश है- Explore-Create-Collaborate. इसकी वेबसाइट https://www.oercommons.org/ पर उपलब्ध संपूर्ण सामग्री को देखा जा सकता है। इसमें अपने अध्ययन से
संबद्ध सामग्री को विषय (Subject), शैक्षिक स्तर (Educational
level) और स्तर-मान (Standard) के अनुसार
प्राप्त किया जा सकता है-
........................
पूरा पढ़ने के लिए इस लिंक पर खुलने वाली फाइल में पृष्ठ 180 पर जाएँ-
ग प्रोग्रामिंग शुरुआती के लिए उदाहरण
ReplyDeleteविंडो डाउन नमूना कोड स्क्रॉल करना
वर्तमान समय में मोबाइल केवल संचार का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह मिनि-कंप्यूटर के रूप में कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले अनेकानेक कार्यों को हमारी मुट्ठी में रहते हुए संपन्न कर रहा है। इसीलिए सामान्य संचार के लिए प्रयुक्त मोबाइल फोनों से अलग इन्हें स्मार्टफोन कहा जाता है। हिंदी भाषा शिक्षण को जन-जन तक पहुँचाने के लिए मोबाइल और स्मार्टफोन प्लेटफॉर्म का भी अधिकाधिक प्रयोग किया जाना अपेक्षित है।
ReplyDeleteहिंदी अनुप्रयोग : तकनीकी संसाधन एवं उपकरण यह पोस्ट में बहुत सी जानकारी बतया गया है साथ ही यह और लोगो को भी हेल्प करेगी। थैंक्स ब्लॉग एडमिन
ReplyDeleteClass 7 Curriculum