आर्थी विश्लेषण
अर्थ भाषा की आधारभूत इकाई है। भाषा के संरचनात्मक अध्ययन की दृष्टि से अर्थ
को केंद्र के बजाए परिधि में रखा गया है। किंतु भाषिक अभिव्यक्तियों का स्वरूप
अर्थ के माध्यम से ही निर्धारित होता है। इसलिए भाषा संसाधन में भी संरचनात्मक
नियमों के अलावा आर्थी विश्लेषण की आवश्यकता पड़ती है।
शब्द भाषा की वह मूल इकाई है, जो
स्वतंत्र रूप से अर्थ को धारण करती है। इसलिए शब्दों के बीच विभिन्न प्रकार के
आर्थी संबंधों का विश्लेषण किया जाता है। इन आर्थी संबंधों के आधार पर भाषायी अर्थ
संबंधी युक्ति को निरूपित करने का प्रयास भी किया जाता है। वर्डनेट, आर्थी-संजाल आदि इसके उदाहरण हैं।
भाषिक इकाइयों का विश्लेषण
दो दृष्टियों से किया जा सकता है- व्याकरण और अर्थ। भाषा की आधारभूत इकाई ‘शब्द’ है। अतः इन दृष्टियों
से शब्दों का विश्लेषण आधारभूत रूप से किया जाता है। व्याकरण की दृष्टि से शब्दों में
व्याकरणिक सूचनाएँ और उनकी अनुरूपता देखते हैं। इसी प्रकार अर्थ की दृष्टि से शब्दों
के आर्थी वर्ग और प्रकार्य देखे जाते हैं। इसके लिए कई पद्धतियाँ विकसित हुई हैं, जैसे-
(1) आर्थी लक्षण (semantic feature) विश्लेषण पद्धति - आर्थी लक्षण (semantic feature) विश्लेषण पद्धति सर्वाधिक प्रचलित है। इसके अनुसार कुछ आर्थी लक्षणों के समुच्चय निर्मित किए जाते हैं और शब्दों के साथ उनके होने या न होने का विश्लेषण किया जाता है और उसी के अनुसार शब्द का प्रकार्य निर्धारित होता है। किसी लक्षण के होने को ‘+’ और नहीं होने को ‘-’ द्वारा दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए कुछ आर्थी लक्षणों के समुच्चय इस प्रकार बनाए जा सकते हैं-
(1) आर्थी लक्षण (semantic feature) विश्लेषण पद्धति - आर्थी लक्षण (semantic feature) विश्लेषण पद्धति सर्वाधिक प्रचलित है। इसके अनुसार कुछ आर्थी लक्षणों के समुच्चय निर्मित किए जाते हैं और शब्दों के साथ उनके होने या न होने का विश्लेषण किया जाता है और उसी के अनुसार शब्द का प्रकार्य निर्धारित होता है। किसी लक्षण के होने को ‘+’ और नहीं होने को ‘-’ द्वारा दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए कुछ आर्थी लक्षणों के समुच्चय इस प्रकार बनाए जा सकते हैं-
क्र.सं.
|
शब्द
|
आर्थी लक्षण
|
||||
सजीव
|
मानव
|
वस्तु
|
मूर्त
|
समूह
|
||
1
|
लड़का
|
+
|
+
|
-
|
+
|
-
|
2
|
कुर्सी
|
-
|
-
|
+
|
+
|
-
|
3
|
विचार
|
-
|
-
|
-
|
-
|
-
|
4
|
समाज
|
-
|
+
|
-
|
-
|
+
|
5
|
सामान
|
-
|
-
|
+
|
+
|
+
|
वाक्य रचना की दृष्टि से
ये लक्षण ‘पदबंध’ स्तर पर देखे जाते हैं, ताकि उनकी आपसी अनुरूपता का
परीक्षण किया जा सके।
इस संबंंध में प्रो. सूरजभान सिंह की 'हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण' पुस्तक में और विस्तार से पढ़ा जा सकता है-
इस संबंंध में प्रो. सूरजभान सिंह की 'हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण' पुस्तक में और विस्तार से पढ़ा जा सकता है-
(2) आर्थी संजाल
लिंक-आर्थी संजाल (Semantic Network)
(3) अन्य
..............................
आर्थी संबंध-
·
पर्यायता (Synonymy )
एक अर्थ
के लिए एक से अधिक शब्द, जैसे- सूरज, सूर्य, दिनकर, रवि
·
अनेकार्थता (Polysemy)
एक शब्द
के एक से अधिक अर्थ, जैसे- कनक-
सोना, धतूरा।
·
विलोमता (Antonymy)
परस्पर
विपरीतार्थक शब्द, जैसे- रात-दिन, सत्य-असत्य।
·
समनामता ( Homonymy)
एक जैसे
दिखने वाले एक से अधिक शब्द, जैसे-
आम- (एक फल), आम- (साधारण)।
·
अधिनामिता (Hypernymy)
आर्थी वर्ग
की दृष्टि से किसी शब्द के अर्थ का दूसरे शब्द के अर्थ से व्यापक होने का भाव, जैसे-
प्राणी
जानवर
कुत्ता
·
अवनामिता
(Hyponymy)
आर्थी वर्ग
की दृष्टि से किसी शब्द के अर्थ का दूसरे शब्द के अर्थ से कम व्यापक होने का भाव, जैसे-
प्राणी
जानवर
कुत्ता
·
अंगांगी
संबंध (Meronymy)
किसी शब्द
का अर्थ दूसरे शब्द के अर्थ का अंग होना, जैसे- शरीर- हाथ।
प्राकृतिक भाषा संसाधन
के क्षेत्र में अनेक प्रकार की आर्थी विश्लेषण पद्धतियों का विकास किया गया है, जैसे-
·
formal semantics or
statistical semantics
·
knowledge
representation
·
lexical semantics
·
Truth-value semantics
·
Minimal recursion
semantics
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