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Tuesday, February 12, 2019

भाषा प्रौद्योगिकी : लक्ष्य, उद्देश्य और सीमाएँ


भाषा प्रौद्योगिकी का लक्ष्य
भाषा प्रौद्योगिकी के लक्ष्य हैंं: प्रथम- कंप्यूटर और कंप्यूटर जैसी मशीनों को भाषा संबंधी ज्ञान में इतना दक्ष बनाना कि वे मानव भाषाओं संबंधी कार्य कर सकें। द्वितीय- मशीन (कंप्यूटर) में मानव भाषाओं की समझ विकसित करना भाषा प्रौद्योगिकी का आधारभूत लक्ष्य है।
 उद्देश्य-
इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए किए जाने वाले कार्यों और उद्देश्यों को इस प्रकार समझ सकते हैं-
·      प्राकृतिक भाषा संसाधन (Natural Language Processing-NLP) के लिए आवश्यक संसाधनों (resources), जैसे- शब्दकोश, कार्पस आदि का विकास करना।
·      किसी एक भाषा या एक से अधिक भाषाओं के लिए आवश्यक टूलों और सॉफ्टवेयरों का विकास करना।
·      प्राकृतिक भाषा संसाधन के लिए आवश्यक संगणकीय व्याकरण और व्याकरणिक फ्रेमवर्कों का विकास करना।
·      विभिन्न अनुप्रयोग क्षेत्रों के लिए आवश्यक प्रणालियों का विकास करना।
·      कृत्रिम बुद्धि के लिए आवश्यक भाषा ज्ञान को इस प्रकार से निरूपित करना और उसे मशीन में स्थापित करना की मशीन स्वयं निर्णय लेने में सक्षम हो सके।
भाषा प्रौद्योगिकी : वर्तमान सीमाएँ-
भाषा प्रौद्योगिकी की कुछ प्रमुख वर्तमान सीमाएँ इस प्रकार हैं-
·      भाषायी संसाधन के उद्देश्य से विकसित आवश्यक प्रोग्रामिंग भाषाओं की कमी।
·      पूर्ण प्राकृतिक भाषा संसाधन के लिए किसी व्याकरणिक फ्रेमवर्क या सक्षम मॉडल का अभाव।
·      भाषायी नियमों का संगणकीय अनुप्रयोग की दृष्टि से पूर्णतः निरूपित न हो पाना।
·      भाषायी जटिलताएँ, जैसे- नाम पद अभिज्ञान, संदिग्धार्थकता, बहुअर्थकता, संवेदना विश्लेषण, प्रोक्ति संदर्भ आदि।

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