म.गा. अ. हिंदी विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा
दिवस का आयोजन
21 फरवरी 2019
मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में 21 फरवरी 2019 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का गालिब सभागार
में आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में दीप प्रज्जवलन किया गया|
इसके पश्चात अपने स्वागत वक्तव्य में भाषा विद्यापीठ के
अधिष्ठाता प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल ने कहा कि देशज भाषाओं और बोलियों को कमतर
समझना उचित नहीं है। कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा में ही सबसे अधिक रचनात्मक हो
सकता है, अतः शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होनी
चाहिए।
इस कार्यक्रम में
विशेष वक्ता के रूप में प्रो. देवराज ने
पूर्वोत्तर की भाषाओं पर विषेश वक्तव्य दिया । इसमें उन्होंने कहा कि मातृभाषा व्यक्ति की पहचान और पारंपरिक ज्ञान की
धरोहर होती है| आज हर दो सप्ताह में
एक भाषा विलुप्त हो रही है। संकटापन्न भाषाओं को बचाने के लिए उनके बोलने वालों को
बचाना आवश्यक है। देशज भाषाओं को समाप्त करने के लिए साम्राज्यवादी षड्यंत्र चल
रहा है, जिसे समझकर उसे असफल बनाना विश्व की सांस्कृतिक
धरोहर के संरक्षण एवं विकास के लिए आवश्यक है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अनिल कुमार दुबे ने
आयोजन की प्रस्तावना रखते हुए बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ के आह्वान पर सन् 2000
से यह दिवस समूचे विश्व में मनाया जाता है। 1952
में इसी दिन पूर्वी पाकिस्तान में उर्दू के साथ ही बांग्ला
को पाकिस्तान की राजभाषा न बनाए जाने पर ढाका में आक्रोशित छात्रों की भीड़ पर की गई
पुलिस गोलीबारी में चार छात्रों की मृत्यु हो गई थी। बाद में यही आंदोलन भाषाई
अस्मिता के साथ-साथ स्वतंत्रता और समानता की जन आकांक्षा का प्रतीक बन गया। डॉ. ने
दुबे ने बताया कि इस दिवस की इस वर्ष की थीम है- ‘सतत विकास शांति स्थापना और सामंजस्य के माध्यम के रूप में
देशज भाषाएँ’।
संकटापन्न भाषाओं
की सर्वाधिक संख्या भारत में ही है, जो 191 है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कार्यकारी कुलपति प्रो. लेला कारुण्यकरा ने कहा
कि हमें अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पण रखते हुए अन्य सभी भाषाओं का सम्मान करना
चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यकारी कुलसचिव प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने कहा
कि मातृभाषा व्यक्ति के अंतर्मन की सहज अभिव्यक्ति होती है। कार्यक्रम का संचालन
डॉ. अनिल कुमार दुबे ने किया। कार्यक्रम में भारी संख्या में शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मी, शोधार्थी
और विद्यार्थी उपस्थित रहे-
कार्यक्रम के दूसरे
सत्र में अध्यापकों,
शोधार्थियों तथा विदेशी एवं भारतीय विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी मातृभाषाओं में
भाषण, कविता पाठ और गीत गायन किया।
कार्यक्रम के सफल
आयोजन में संयोजन समिति के सदस्यों डॉ. धनजी प्रसाद, डॉ. राजीव रंजन राय एवं सुश्री विजय सिंह के साथ-साथ विभागीय
कर्मियों का विशेष योगदान दिया।
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