वस्तुकेंद्रित प्रोग्रामिंग की प्रमुख विशेषताएँ (Major Features of Object Oriented Programming)
वस्तुकेंद्रित प्रोग्रामिंग चरणबद्ध प्रोग्रामिंग से अधिक
विकसित आधुनिक तकनीकी है। यह तकनीकी चरणों और कार्यों (steps and tasks) के बजाय प्रोग्रामिंग में प्रयुक्त entities
पर केंद्रित है। इसके लिए वस्तुकेंद्रित प्रोग्रामिंग में कुछ लक्षण
(features) दिए हैं जो इस प्रकार हैं –
1. ऑब्जेक्ट (object) : वस्तुकेंद्रित प्रोग्रामिंग में चरों (variables),
प्रकार्यों (functions), और डाटा संरचनाओं (data
structures) का कोई भी संयोजन ‘ऑब्जेक्ट’ (वस्तु) है। प्रत्येक ऑब्जेक्ट में एक स्थिति (state) या डाटा (data) होता है और इसका व्यवहार (behavior) होता है जो कोड (code) में रहता है। ऑब्जेक्ट को
बाह्य संसार के उदाहरणों से भी जोड़कर देखा जा सकता है, जैसे–
एक ग्राफिक प्रोग्राम के लिए circle, square आदि की आवश्यकता
होती है जो ऑब्जेक्ट हैं।
2. क्लास (class): प्रोग्रामिंग के लिए एक सामग्री (data)
की आवश्यकता होती है, जिसके कुछ प्रकार्य (function)
होते हैं। चरणबद्ध प्रोग्रामिंग में डाटा और प्रकार्य दोनों अलग-अलग
होते हैं। वस्तुकेंद्रित प्रोग्रामिंग में दोनों को मिलाकर एक इकाई बनाई गई, जिसे क्लास नाम दिया गया। अत: क्लास = डाटा + प्रकार्य
3. कैप्सूलीकरण (encapsulation) : अपने प्रोग्राम में अवांक्षित विवरण (unwanted
detail) को छुपाने के कार्य को कैप्सूलीकरण कहते हैं। इसके दो लाभ
हैं –
(क) डाटा हाइडिंग (data
hiding)
(ख) डाटा सुरक्षा (data security)
4. इनहेरिटेंस (inheritance) : वस्तुकेंद्रित प्रोग्रामिंग में एक क्लास
द्वारा किसी दूसरी (अपने से बड़ी) क्लास की विशेषताओं को ग्रहण कर लिया जाता है, जिसे इनहेरिटेंस कहते हैं। इसका अर्थ है जो विशेषताएँ उस क्लास से बड़ी
क्लास में होंगी वे स्वत: ही उस क्लास में आ जाएँगी। इसके मुख्य लाभ हैं –
(क) पुन: प्रायोगिकता (reusability)
(ख) संवर्धन और
विशिष्टीकरण (enhancement and specification)
(ग) टाइप निरीक्षण से
छूट (avoiding type inspection)
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