समालोचनात्मक प्रोक्ति विश्लेषण (Critical Discourse Analysis-CDA)
सामान्यतः प्रोक्ति एक उद्देश्य आधारित रचना होती है। किसी भी प्रोक्ति को
रचित करने सृजित, अभिव्यक्त करने अथवा घटित करने का एक
निश्चित उद्देश्य होता है। उस उद्देश्य को प्रोक्ति कितना तथा कैसे प्राप्त करती
है, इसका विश्लेषण करने वाली प्रोक्ति विश्लेषण पद्धति
'समालोचनात्मक प्रोक्ति विश्लेषण' (Critical Discourse
Analysis-CDA) कहलाती है। इसके अंतर्गत यह देखा जाता है कि किसी
भाषिक रचना या अभिव्यक्ति (प्रोक्ति) का प्रयोग रचनाकार या वक्ता द्वारा किस
प्रकार से सामने वाले व्यक्ति अथवा समूह को प्रभावित करने के लिए किया जाता है।
यहां पर प्रोक्ति के अंतर्गत कोई साहित्यिक रचना, पुस्तक,
पाठ, अध्याय, पत्रिका,
समाचार, भाषण, नाटक,
फिल्म, विज्ञापन, चित्र,
कार्टून आदि कुछ भी हो सकता है।
किसी को प्रभावित करने के लिए हम सामान्यतः किसी ना किसी प्रकार की 'शक्ति' (Power) का प्रयोग करते हैं।
उदाहरण के लिए सामने वाले को डराने के लिए हम अपनी शारीरिक शक्ति अथवा बाहुबल का
प्रयोग करते हैं। इसी प्रकार किसी कार्य विशेष या प्रयोजन विशेष को संपन्न करने के लिए पद,
धन, आत्मिक शक्ति आदि का भी प्रयोग किया जाता
है। इसी प्रकार यदि हम भाषा
या प्रोक्ति के माध्यम से किसी को प्रभावित करते हैं या
अपना कोई प्रयोजन सिद्ध करते हैं तो वहां पर भाषिक रचना और उसके अनुप्रयोग की
प्रणाली भी एक विशेष प्रकार की 'शक्ति' (Power) के रूप में मानी जाएगी। समालोचनात्मक प्रोक्ति विश्लेषण (CDA) में यही देखने का प्रयास किया जाता है कि एक प्रोक्ति अर्थात भाषिक रचना/
भाषिक अभिव्यक्ति (वाक्यों के समूह) का प्रयोग किसी
व्यक्ति अथवा व्यक्ति समूह को प्रभावित करने के लिए कैसे किया जा रहा है तथा उसका
संबंधित श्रोता वर्ग पर क्या और किस प्रकार का प्रभाव पड़ रहा है। अतः हम कह सकते हैं कि
भाषा का प्रयोग किसी को प्रभावित करने के लिए शक्ति के रूप में कैसे किया जाता है।
(How the Language is used as Power to Influence Someone.)
इस विश्लेषण के लिए समालोचनात्मक प्रोक्ति विश्लेषण पद्धति द्वारा प्रोक्ति के रचक तत्त्व, वक्ता, श्रोता और अन्य संदर्भ, शैली, मनोविज्ञान, दर्शन, तर्क और सौंदर्यशास्त्र से संबंधित विभिन्न प्रकार के उपकरणों का प्रयोग
किया जाता है।
समालोचनात्मक प्रोक्ति विश्लेषण (CDA) अनुप्रयुक्त प्रोक्ति विश्लेषण का एक प्रकार है।
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