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Wednesday, November 16, 2022

प्रोक्ति और प्रोक्ति विश्लेषण (Discourse and Discourse Analysis)

 प्रोक्ति और प्रोक्ति विश्लेषण (Discourse and Discourse Analysis)

भाषा संप्रेषण का माध्यम है संप्रेषण की आधारभूत इकाई  प्रोक्ति कहलाती है। यह वाक्य से बड़ी इकाई है तथा भाषिक अभिव्यक्ति और बोधन की दृष्टि से एक पूर्ण इकाई होती है। भाषा  की व्यवस्था में पाई जाने वाली इकाइयों के क्रम में  प्रोक्ति का स्थान इस प्रकार से देखा जा सकता है-

स्वन

स्वनिम

रूपिम

शब्द/पद

पदबंध

उपवाक्य

वाक्य

प्रोक्ति

भाषावैज्ञानिक दृष्टि से इसकी परिभाषा  https://lgandlt.blogspot.com/2022/02/discourse-analysis-ba-jan-2022.html लिंक पर इस प्रकार से देख सकते हैं-

"वाक्यों का वह समूह जिससे किसी एक वस्तु, इकाई, व्यवस्था या घटना के बारे में संपूर्ण सूचना मिलती है, ‘प्रोक्तिहै। यह दो वाक्यों में, एक पैराग्राफ में, एक पृष्ठ में, एक पुस्तक में या कई खंडों के विशाल समूह में किसी भी रूप में हो सकती है। कभी-कभी एक वाक्य भी प्रोक्ति का काम कर सकता है"

संक्षेप में हम प्रोक्ति को इस प्रकार से भी परिभाषित कर सकते हैं-

"किसी संपूर्ण संदेश का संप्रेषण करने वाला वाक्य अथवा कथन समुच्चय प्रोक्ति है"

 प्रोक्ति के प्रकार-

 स्वरूप एवं निर्माण की दृष्टि से  प्रोक्ति के मूलतः दो वर्ग किए जा सकते हैं-

(1) वास्तविक प्रोक्ति

 इसके अंतर्गत वास्तविक संसार में प्राप्त होने वाली  वस्तुओंघटनाओं, कार्यों एवं इकाइयों से संबंधित वस्तुनिष्ठ विवरण आता है। अपने व्यापक स्वरूप में संपूर्ण ब्रह्मांड एक प्रोक्ति है इसी प्रकार उसके अंतर्गत स्थापित प्रत्येक वस्तु एक स्वतंत्र प्रोक्ति है। इस क्रम में इस संसार में घटित होने वाली प्रत्येक घटना भी अपने आप में एक प्रोक्ति है।

(2) सर्जनात्मक प्रोक्ति

इसके अंतर्गत वे भाषिक अभिव्यक्तियाँ आती हैं, जिनकी रचना विभिन्न प्रकार की विधाओं के अंतर्गत पाठ अथवा दृश्य श्रव्य माध्यम के रूप में की जाती है। इनके कुछ उदाहरण निम्नलिखित प्रकार से देखे जा सकते हैं- 

पाठ रूप में निर्मित होने वाली सर्जनात्मक प्रोक्तियाँ- 

कविता, कहानी, लघुकथा, निबंध, नाटक, उपन्यास, दोहा, महाकाव्य आदि।

 दृश्य श्रव्य माध्यम से उपलब्ध होने वाली सर्जनात्मक प्रोक्तियाँ-

फिल्म, धारावाहिक, डाक्यूमेंट्री, समाचार आदि।

 इस प्रकार की प्रोक्तियाँ वास्तविक घटनाओं पर आधारित अथवा पूर्णतः काल्पनिक  हो सकती हैं अथवा होती हैं।

प्रोक्ति विश्लेषण

 किसी प्रोक्ति का किया जाने वाला विश्लेषण प्रोक्ति विश्लेषण कहलाता है। प्रोक्ति विश्लेषण  भाषाविज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग है यह सैद्धांतिक भाषाविज्ञान की शाखा है जो एक ओर वाक्यविज्ञान तथा अर्थविज्ञान तो दूसरी ओर प्रकरर्णार्थविज्ञान (Pragmatics) से जुड़ी हुई है। 

 प्रोक्ति विश्लेषण के प्रकार

चूँकि प्रोक्ति एक बड़ी इकाई होती है जिसमें अनेक प्रकार की वाक्य रचनाओं, भाषिक तत्वों, अभिव्यक्ति, संदर्भ, सर्जना और मंतव्य से संबंधित पक्ष समाहित होते हैं, इस कारण प्रोक्ति विश्लेषण एक अत्यंत ही जटिल कार्य है। किसी एक ही प्रोक्ति में अनेक प्रकार के तत्वों का समावेश होता है। यही कारण है कि किसी एक ही प्रोक्ति का विश्लेषण अनेक दृष्टियों से किया जा सकता है। इस आधार पर विचार किया जाए तो प्रोक्ति विश्लेषण के मुख्यतः दो प्रकार किए जा सकते हैं-

 (क) सैद्धांतिक प्रोक्ति विश्लेषण 

(ख) अनुप्रयुक्त प्रोक्ति विश्लेषण

 

 आगे इन्हें संक्षेप में समझते हैं -

(क)  सैद्धांतिक प्रोक्ति विश्लेषण 

इसके अंतर्गत मुख्य रूप से प्रोक्ति विश्लेषण से संबंधित सैद्धांतिक कार्य आते हैं, जैसे-  पाठ विश्लेषणसंदर्भों का वर्गीकरण और विश्लेषण, किसी प्रोक्ति की पाठपरकता (Textuality) वाक घटनाएं और वाक कार्य (Speech Acts) आदि ।

इसके साथ ही वास्तविक प्रोक्तियों के रचनात्मक भाषिक और आर्थी तत्वों का विश्लेषण भी इसमें रखा जा सकता है, जैसे- 'गाय' शब्द  का  संपूर्ण संप्रेषणात्मक अर्थ अपने आप में एक प्रोक्ति है जिसकी अभिव्यक्ति हम 'गाय' विषय पर निबंध लिखते हुए करते हैं। गाय विषय पर निबंध लेखन की प्रक्रिया अथवा लिखने के उपरांत आए हुए उसमें तत्वों के परस्पर संबंधों का विश्लेषण सैद्धांतिक प्रोक्ति विश्लेषण का कार्य है ।

(ख) अनुप्रयुक्त प्रोक्ति विश्लेषण

इसके अंतर्गत उद्देश्य अथवा किसी विशिष्ट दृष्टिकोण के आधार पर किए जाने वाले प्रोक्ति विश्लेषण से संबंधित कार्य आते हैं। इसके कुछ वर्ग इस प्रकार से किए जा सकते हैं-

§  ऐतिहासिक प्रोक्ति विश्लेषण

§  राजनीतिक  प्रोक्ति विश्लेषण

§  सामाजिक प्रोक्ति विश्लेषण

§  समालोचनात्मक प्रोक्ति विश्लेषण 

इनमें से समालोचनात्मक प्रोक्ति विश्लेषण (Critical Discourse Analysis-CDA) की चर्चा आगे विस्तार से की जाएगी । इसके बारे में पढ़ने के लिए इसे क्लिक करें‌-

समालोचनात्मक प्रोक्ति विश्लेषण 

2 comments:

  1. गुरु जी, प्रोक्ति विश्लेषण के प्रकार, टापिक के अंत में कुछ वर्तनी त्रुटियां हुई हैं, जैसे-प्रोक्ति का रुकती, और किया का के हो गया है

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