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Monday, November 21, 2022

बच्चे : अल्फा जनरेशन

 

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दैनिक भास्कर से साभार

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अमिताभ की बोलती बंद करने वाले बच्चे:अल्फा जनरेशन की सबसे ज्यादा संख्या एशिया में, रंगभेद-नस्लवाद से बेफ्रिक क्रांतिकारी होंगे ये बच्चे

नई दिल्ली3 दिन पहलेलेखक: संजीव कुमार
अल्फा जनरेशन की सबसे ज्यादा संख्या एशिया में, रंगभेद-नस्लवाद से बेफ्रिक क्रांतिकारी होंगे ये बच्चे|वुमन,Women - Dainik Bhaskar

'लिटिल चैंप्स' और 'KBC-स्टूडेंट स्पेशल' अगर आपने देखा हो तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आज के बच्चे पुरानी पीढ़ी के मुकाबले कितने स्मार्ट हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो इन बच्चों का आईक्यू लेवल यानी बुद्धिमत्ता भी पिछली पीढ़ियों के मुकाबले ज्यादा रहने की संभावना है। 2010 से 2024 के बीच जन्म लेने वाले ऐसे बच्चों को 'जेनरेशन अल्फा' कहा जा रहा है, जिसे आई जेनरेशन (iGeneration) भी नाम दिया गया। क्योंकि यह पहली जनरेशन हो गई है जिसने आईफोन, आईपैड के शुरुआती दौर में ही दुनिया में कदम रख लिया था। यह अब तक की सबसे बड़ी जनरेशन है जिसकी आबादी 2025 तक 2 अरब हो जाएगी।

बात जागरूकता की हो या फिर इंटेलीजेंस, कॉन्फिडेंस और फ्रैंकनेस की हर मामले में अल्फा जनरेशन के बच्चों का अंदाज अलग है। चाहे ‘लिटिल चैंप्स’ के जजों का सामना करना पड़े, या फिर KBC में बिग बी के सामने हॉट सीट पर बैठकर सवालों के जवाब देने हों, ये बच्चे बड़ों को भी लाजवाब कर देते हैं।

पिछले साल नवंबर में KBC में अपने जवाब से अमिताभ बच्चन को चुप कराने वाले अरुणोदय ने 12.50 लाख रुपए जीते थे। 9 साल के बच्चे की हाजिर जवाबी देखकर अमिताभ भी निरूत्तर हो गए थे। - Dainik Bhaskar
पिछले साल नवंबर में KBC में अपने जवाब से अमिताभ बच्चन को चुप कराने वाले अरुणोदय ने 12.50 लाख रुपए जीते थे। 9 साल के बच्चे की हाजिर जवाबी देखकर अमिताभ भी निरूत्तर हो गए थे।

कभी विलियम वर्ड्सवर्थ ने अपनी एक लोकप्रिय कविता ‘My Heart Leaps Up’ में लिखा था कि ‘The child is the father of the man.’ उनके मन की यह अभिव्यक्ति दुनिया के हर दौर में सच होगी इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। जनरेशन 'अल्फा' इसी को सच करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ने जा रही है।

पूरी दुनिया में हर हफ्ते 28 लाख से ज्यादा बच्चे जन्म ले रहे हैं। दाे साल बाद दुनिया की सबसे बड़ी आबादी जनरेशन 'GEN Alpha' की होने वाली है। एक जैसा सोचने-समझने और पसंद रखने वालों की इतनी बड़ी आबादी एक साथ कभी नहीं रही जो रिश्तों से ज्यादा टक्नोलॉजी पर टिकी हो। इनकी पसंद सोसायटी और मार्केट के लिए टॉप प्रयारिटी होगी, जिससे दुनिया की तस्वीर बदल जाएगी।

सबसे पहले ग्राफिक्स से समझते हैं दुनिया में अब तक कितनी जनरेशन हुई हैं-

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आइए जानते हैं कि यह जनरेशन अल्फा क्या कुछ कर सकती है और आने वाले वक्त में इसका लाइफ स्टाइल क्या होगा और कंपनियां इसके लिए किस तरह की रणनीतियों पर काम कर रही हैं?

मार्केट के लिए जनरेशन अल्फा सबसे बड़ा कंज्यूमर ग्रुप

जनरेशन अल्फा अब तक की सबसे संपन्न और सशक्त पीढ़ी होगी। इस दौर का टीनएजर खुद को अहमियत देने वाला और साथ ही आसपास के माहौल को अपने हिसाब से ढालने वाला बनेगा। इस दौर के बच्चे स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल करते हुए बड़े हो रहे हैं। आईफोन, आईपैड और एप्स का इस्तेमाल करना इनके लिए कोई सरप्राइज करने वाली चीज नहीं रही। ये नहीं जानते हैं कि इन गैजेट्स के बिना भी जिंदगी कैसी रही होगी या हो सकती है।

टेक्नोलॉजी की तेज रफ्तार को देखते हुए अल्फा जनरेशन को कई चीजों के बारे में पता ही नहीं होगा जैसे- रिकॉर्ड प्लेयर्स, वीडियो होम सिस्टम (VHS), VCR, पेजर, CD, DVD प्लेयर, फैक्स मशीन, एमपी3 प्लेयर, लैंडलाइन फोन, डिक्शनरी, यलो पेजेज, स्ट्रीट डायरेक्ट्री।

इससे भी बढ़कर यह है कि जनरेशन अल्फा कभी भी जेब में पर्स रखकर घूमने वाली नहीं होगी। महज एक मोबाइल, कार्ड या कोड के जरिए ही वह लेन-देन में एक्सपर्ट होगी। उसके पढ़ने और एग्जाम देने के पैटर्न में कई तरह से बदलाव होते नजर आने लगेंगे।

जनरेशन अल्फा के इसी लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए ब्रांड्स अपनी नई नीतियां बना रहे हैं। अल्फा जनरेशन जल्द ही टीनएजर स्टेज में पहुंचने वाली है। ऐसे में कंपनियों का इस जनरेशन को लुभाने का तरीका भी पूरी तरह डिजिटल होता जा रहा है। गैजेट्स, खिलौने सहित तमाम चीजों के लिए कंपनियों ने नई-नई रणनीतियों पर काम करना शुरू भी कर दिया है।

मिलेनियल माता-पिता की संतान है Gen Alpha

मिलेनियल पेरेंट यानी जनरेशन ‘Z’ से पैदा हो रही अल्फा जनरेशन 21वीं सदी में सबसे पहली और अब तक की सभी जनरेशन में विशाल तो है ही, साथ ही दुनिया के हर कोने में अपनी पहुंच बनाने वाली है। इसके लिए अंतरिक्ष की सैर करना आम बात होगी। पर यहां ध्यान देने वाली बात यह कि मिलेनियम दौर के लोग जानते हैं कि दुनिया में टेक्नोलॉजी के बढ़ते दखल के नतीजे कितने खतरनाक भी हो सकते हैं। चाहे वह अकेलेपन की बात हो या फिर एंटी-सोशल होने की।

आइए, यहां ग्राफिक के जरिए समझने का प्रयास करते हैं कि जनरेशन 'Z' और जनरेशन 'अल्फा' के बीच किस तरह से अंतर दिखाई पड़ता है-

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पेरेंट्स के सामने चुनौतियां, ग्रांड पेरेंट्स के नजदीक होगी अल्फा जनरेशन

जनरेशन अल्फा के पेरेंट कई तरह की चुनौतियों से रू-ब-रू होने वाले हैं। बच्चों को स्क्रीन देखने की लत लगना, साइबर बुलींग और चाइल्ड फ्रेंडली कंटेंट का मैनेजमेंट ये ऐसी समस्याएं हैं जिनको मिलेनियल पेरेंट कैसे करेंगे? इस बात का जवाब तलाशा जाना बाकी है। वजह यह है कि मिलेनियल पेरेंट ने जो कुछ भी अपने माता-पिता और दादा-परदादाओं से बेटे-बेटी के पालन-पोषण के बारे में सीखा होगा, उसे वे जनरेशन अल्फा पर कितना अप्लाई कर पाएंगे। यह अभी सवाल ही है।

हालांकि, जनरेशन अल्फा के दादा-दादी और नाना-नानी की भूमिका बढ़ने वाली है। क्योंकि ये ही अपने पोते-पोतियों और नाती-नातिनों की जिंदगी में नजदीक रहने वाले हैं।

समय के साथ-साथ 'जनरेशन' की परिभाषा का बदलता गया स्वरूप

ऐसा देखा गया है कि अलग-अलग स्थिति में विभिन्न पीढ़ी के लोग अलग-अलग तरह से व्यवहार करते हैं। उनके नजरिए, विश्वास, विचार और सभी मान्यताओं के आधार पर पीढ़ियों को अलग-अलग कैटिगरी में बांटा गया है। कई डिक्शनरी में 'जनरेशन' काे अलग-अलग शब्दों में समझाया गया है।

  • किसी परिवार या वंश में किसी एक व्यक्ति से शुरू करके उसके पूर्वजों और उसके वंशजों की गिनती करना- जैसे फैमिली ट्री बनाना
  • 19वीं सदी से पहले 'जनरेशन' को परिवार और आस-पास के समाज तक ही सीमित करके देखा जाता था।
  • 1863 में फ्रांसीसी शब्दकोशकार (लैक्सीकोग्राफर) और दार्शनिक एमिली मैक्सीमिलियन पॉल लिटरे ने बताया कि किसी खास समय और समाज में जीवित लोगों को ‘जनरेशन’ कहा जाता है।
  • समय के साथ जनरेशन शब्द में मॉर्डनाइजेशन, इंडस्ट्रियलाइजेशन, वेस्टर्नाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन भी शामिल हाे गए हैं।

'जनरेशन अल्फा' का नामकरण की भी अपनी एक रोचक कहानी है जिसे इस ग्राफिक से समझ सकते हैं-

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दुनिया में जितनी भी जनरेशन हुई हैं, उन सभी जनरेशन के लिए खिलौनों के अपने मायने रहे हैं। आखिर जनरेशन अल्फा किस तरह के खिलौनों से दो-चार होने जा रही है, इसे भी जानते चलिए-

टॉयज के मामले में अल्फा जनरेशन का कोई सानी नहीं

जनरेशन अल्फा के खिलौने घर में खेलने भर के लिए ही नहीं होंगे। बच्चों की क्लास, प्ले स्कूल और चाइल्ड केयर सेंटर में भी अपनी पहुंच रखेंगे। ऐसे एजुकेशनल टॉय से खेलने वाले बच्चे स्मार्ट और ज्यादा स्किल वाले होने तो लाजमी हैं।

पूरा पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएँ-


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