अर्थविज्ञान में संदर्भ (Reference) के प्रकार
आशय और संदर्भ (Sense and Reference) के अंतर्गत प्रसंग के
कुछ प्रकार किए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार-युग्मों को इस प्रकार से देख
सकते हैं-
(1) मूर्त और अमूर्त (Concrete and abstract)
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है मूर्त के अंतर्गत वे वस्तुएँ आती हैं, जिन्हें हम इंद्रियों के माध्यम से छू सकते हैं, देख सकते हैं या महसूस कर सकते हैं, जैसे- घर, कपड़ा, मकान, खिड़की, लोहा, आटा, गेहूँ आदि।
अमूर्त के अंतर्गत भाववाचक संज्ञाएँ आती हैं,
जिनके द्वारा अभिव्यक्त अर्थ को न तो हम देख सकते हैं, न छू
सकते हैं न ही इंद्रियों के माध्यम से उनका अनुभव कर सकते हैं, जैसे- विचार, भाव, गोराई, अच्छाई, प्यार, कल्पना, राष्ट्रीयता आदि।
(2) एकल और एकलेतर (Unique and non-unique)
एकल के अंतर्गत व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ आती हैं,
अर्थात इसमें वे शब्द आते हैं जिनका संपूर्ण ब्रह्मांड में केवल एक संकेतिक अर्थ
होता है। इसमें व्यक्तियों के नाम, स्थानों के नाम, संस्थाओं के नाम आदि आते हैं, जैसे- मोहन, श्याम, वर्धा, महाराष्ट्र, भारत, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी
विश्वविद्यालय आदि।
(3) गणनीय और अगणनीय (Countable and non-countable)
गणनीय के अंतर्गत वे शब्द आते हैं, जिनके
माध्यम से अभिव्यक्त अर्थ की गणना संभव हो, जैसे- गाय, भैंस, आदमी, कुत्ता, मोबाइल, बोतल, कुर्सी, मेज आदि।
अगणनीय के अंतर्गत वे वस्तुएँ आती हैं, जिनकी गणना संभव नहीं होती, जैसे- नमक, चीनी, दही, दूध, क्रीम, पानी आदि।
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