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Tuesday, January 28, 2025

संवाद लेखन (Dialogue Writing)

 संवाद लेखन (Dialogue Writing)

संवाद लेखन का अर्थ है दो या अधिक व्यक्तियों के बीच हो चुकी या होने वाली बातचीत को लिखित रूप में प्रस्तुत करना। यह लेखन शैली किसी विषय को जीवंत और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने का माध्यम है। संवाद लेखन का उपयोग नाटक, कहानियों, साक्षात्कार, चलचित्र, और शिक्षण सामग्री में किया जाता है।

संवाद लेखन की विशेषताएँ:

1. स्वाभाविकता: संवाद स्वाभाविक और यथार्थपूर्ण होना चाहिए।

2. संक्षिप्तता: संवाद अधिक लंबा या उबाऊ न हो।

3. संदर्भानुकूलता: संवाद पात्र और स्थिति के अनुरूप हो।

4. व्यक्तित्व: संवाद में हर पात्र का व्यक्तित्व स्पष्ट झलकना चाहिए।

5. लक्ष्यपरकता: संवाद से कहानी या विचार को आगे बढ़ाने में मदद मिलनी चाहिए।

उदाहरण 1: विद्यालय में सफाई अभियान पर बातचीत

राहुल: अरे सुमित, क्या तुमने सुना? हमारे विद्यालय में कल से सफाई अभियान शुरू हो रहा है। 

सुमित: हाँ, मैंने सुना। यह एक बहुत अच्छी पहल है। हम सबको इसमें भाग लेना चाहिए। 

राहुल: सही कहा। स्वच्छता से न केवल हमारा स्कूल सुंदर लगेगा, बल्कि हमें बीमारियों से भी बचाव होगा। 

सुमित: बिल्कुल! क्या तुमने तय किया है कि तुम कौन-से काम करोगे? 

राहुल: हाँ, मैं पुस्तकालय और कक्षा को साफ करने में मदद करूंगा। तुम क्या करोगे? 

सुमित: मैं खेल के मैदान को साफ करूंगा। 

 

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उदाहरण 2: मित्रों के बीच पिकनिक की योजना

राधा: इस बार छुट्टियों में हमें कहीं घूमने जाना चाहिए। 

सोनाली: हाँ, पर कहाँ जाएँ? 

राधा: पास के झील वाले पार्क में चलें? वहाँ नाव चलाने का भी मज़ा मिलेगा। 

सोनाली: यह तो अच्छा विचार है। बाकी दोस्तों से भी पूछ लेते हैं। 

राधा: हाँ, और अगर सब सहमत होंगे, तो कल ही योजना बना लेते हैं। 

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संवाद लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें

- पात्रों के नाम छोटे और सरल रखें।

- संवाद का क्रम स्पष्ट और तार्किक हो।

- जहाँ ज़रूरी हो, हावभाव और भावनाएँ व्यक्त करने के लिए शब्दों का चयन करें, जैसे-

        रमा (हँसते हुए) ...........

        सुरेश (धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) ..............

                           आदि।

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