(क) फ्रेम (Frame)
प्रणालियों के संदर्भ में फ्रेम की बात सर्वप्रथम
मार्विन मिन्सकी (Marvin Minsky-1975) द्वारा की गई। वैसे इसकी संकल्पना संबंधी उनका प्रस्ताव उनके 1974 के "A Framework for Representing Knowledge." नामक आलेख में देखा जा सकता है। मिन्सकी के शब्दों में “a frame is
a static data structure used to represent well-understood, stereotyped
situations”। फ्रेमों के माध्यम से हम स्वयं के ज्ञान के संरचित रूप की कल्पना करते हैं। हम पुरानी परिस्थितियों के आधार पर अचानक आने वाली नई स्थितियों में भी अपने आप को एडजस्ट कर लेते हैं। नई परिस्थितियों में आई नई बातों को समझने के लिए हम पुराने अनुभवों की बातों का विस्तार से विश्लेषण करते हैं। इसी के आधार पर फ्रेम के निर्माण एवं प्रयोग की संकल्पना का विकास हुआ है।
साधारण शब्दों में फ्रेम एक प्रकार की डाटा संरचना है जिसका प्रयोग ज्ञान को विभिन्न उपसंरचनाओं बाँटकर इस प्रकार व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है कि stereotyped situations को निरूपित किया जा सके। अत: यह ‘ज्ञान निरूपण और तर्क’ की विधियों का ही एक भाग है। मूलत: फ्रेमों का विकास आर्थी संजालों से ही किया गया है अत: इन्हें ज्ञान प्रतिरूपण पर आधारित संरचनाएँ ही मानना अधिक उपयुक्त है। Russell and Norvig (2008) ने भी “Artificial Intelligence, A Modern Approach में कहा है, “structural representations
assemble "...facts about particular object and even types and arrange the
types into a large taxonomic hierarchy analogous to a biological taxonomy.”
फ्रेम की संरचना
एक फ्रेम की सामान्य संरचना इस प्रकार होती है:
व्यापक रूप से देखें तो फ्रेम में सूचनाओं को संरचित रूप से प्रस्तुत किया जाता है। ये सूचनाएँ कई प्रकार की होती हैं जो प्रत्येक फ्रेम के साथ जुड़ी होती हैं, जैसे- कुछ सूचना इसकी भी होती है कि फ्रेम का प्रयोग कैसे किया जाए। इसी प्रकार यह भी सूचना होती है कि आगे क्या घटित हो सकता है अथवा यदि अभिव्यक्ति सुनिश्चित ना हो तो क्या किया जाए। इस प्रकार की सूचनाओं को व्यवस्थित करने के लिए बनने वाली फ्रेम की संरचना नोडों और उनके बीच संबंधों के संजाल के रूप में बन जाती है।
(ख) स्क्रिप्ट (Script)
स्क्रिप्ट भी फ्रेम की तरह एक अवधारणात्मक इकाई है। इसका प्रतिपादन Schank and Abelson (1977) द्वारा किया गया। इसकी भी संरचना फ्रेम की तरह ही होती है। इसकी परिभाषा देते हुए कहा गया है, “A script is a
structured representation describing a stereotyped sequence of events in a
particular context.”
स्क्रिप्ट का प्रयोग प्राकृतिक भाषा बोधन (NLU) प्रणालियों में किया जाता है। इनके माध्यम से ज्ञान आधार को स्थितियों (situations) के ऐसे संचय के रूप में संगठित किया जाता है कि प्रणाली उनका बोधन कर सके अर्थात समझ सके। यह एक प्रकार से परस्पर लिंक्ड वाक्यों को श्रृंखला के रूप में संचित करने वाली इकाइयाँ हैं। इनमें किसी घटना के टाइप (type of occurrence) के लिए घटनाक्रमों (events) के क्रम को संग्रहीत किया जाता है। किसी स्क्रिप्ट के प्रत्येक घटनाक्रम को conceptual primitives के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है।
एक स्क्रिप्ट में निम्नलिखित घटक होते हैं:
·
प्रवेश शर्तें जिनका स्क्रिप्ट को कॉल करने के लिए सत्य होना आवश्यक है।
·
प्रॉप (Props): वे वस्तुएँ (things) जो स्क्रिप्ट का कथ्य निर्मित करती हैं। अर्थात् स्क्रिप्ट में काम में आने वाली वस्तुएँ।
·
भूमिकाएँ (Roles) अर्थात् वे कार्य जो प्रत्येक सहभागी द्वारा संपन्न किए जाते हैं।
·
दृश्य (Scenes) जो स्क्रिप्ट के वर्तमान पक्षों को प्रस्तुत करते हैं।
·
घटनाएँ (events)।
·
परिणाम या तथ्य जो स्क्रिप्ट के समापन पर ‘सत्य’ हो जाते हैं।
प्रत्येक दृश्य में कार्यकों द्वारा कार्य किए जाते हैं। ये कार्य प्रॉप की सहायता से किए जाते हैं। अत: सभी को समेकित करने पर स्क्रिप्ट को घटनाओं पर आधारित स्थितियों के संजाल या वृक्ष (network or tree of states) के रूप में निरूपित किया जा सकता है।
उदाहरण : रेस्टोरेंट का एक प्रसिद्ध उदाहरण:
Schema प्रणालियों द्वारा फ्रेमों, स्क्रिप्टों तथा आर्थी संजाल का प्रयोग schema के संजाल के रूप में किया जाता है। सामान्यत: schema द्वारा भूमिकाओं को संपन्न करने वाली इकाइयों के बीच संबंधों को प्रदर्शित किया जाता है।
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