ब्रेल लिपि (Braille Script)
ब्रेल लिपि एक स्पर्श-आधारित लेखन
प्रणाली है जो नेत्रहीनों (दृष्टिबाधित व्यक्तियों) को पढ़ने और लिखने की सुविधा
प्रदान करती है। इसमें उभरे हुए बिंदुओं (dots) के विशेष संयोजन के
माध्यम से अक्षरों, संख्याओं और चिह्नों को दर्शाया जाता है।
इस लिपि का
आविष्कार लुई ब्रेल (Louis Braille) नामक फ्रांसीसी व्यक्ति
ने 1824 में किया था, जब वे स्वयं दृष्टिहीन हो गए थे।
ब्रेल लिपि की
संरचना
- मूल इकाई: सेल (Cell)
- प्रत्येक ब्रेल अक्षर एक 6 बिंदुओं की आयताकार संरचना पर आधारित होता है:
- (1) (4)
- (2) (5)
- (3) (6)
- इन 6 बिंदुओं के संयोजन से कुल 64 संभावित प्रतीक बनाए जा सकते हैं।
- एक ब्रेल अक्षर एक सेल में लिखा जाता है, और शब्द कई सेल मिलाकर बनाए जाते हैं।
ब्रेल लिपि के
प्रकार
प्रकार |
विवरण |
ग्रेड 1 (Grade I) |
प्रत्येक अक्षर को अलग-अलग ब्रेल
प्रतीक में दर्शाया जाता है; शुरुआती छात्रों के लिए |
ग्रेड 2 (Grade II) |
सामान्य शब्दों, उपसर्गों, प्रत्ययों के लिए
संक्षेपण; तेज़ पढ़ाई और लेखन हेतु |
ग्रेड 3 (Grade III) |
व्यक्तिगत उपयोग के लिए अत्यंत
संक्षिप्त रूप; मानक नहीं |
हिंदी (देवनागरी)
में ब्रेल लिपि
भारत में हिंदी ब्रेल लिपि को भारतीय ब्रेल कहा जाता है, जो देवनागरी ध्वनियों को
दर्शाने के लिए ब्रेल यूनिकोड का उपयोग करती है।
हिंदी अक्षर |
ब्रेल प्रतीक (बिंदु
सं.) |
अ |
1 |
आ |
1-3 |
इ |
2-4 |
ई |
1-2 |
क |
1-3 |
ख |
1-3-6 |
ग |
1-2-4 |
घ |
1-2-4-6 |
च |
1-4 |
प्रत्येक अक्षर, मात्राएँ, अनुस्वार, विसर्ग आदि के
लिए अलग-अलग संयोजन निर्धारित हैं।
ब्रेल उपकरण
- ब्रेल स्लेट और स्टाइलस: हाथ से ब्रेल लिखने
हेतु
- ब्रेल टाइपराइटर (Perkins Brailler)
- ब्रेल नोट टेकर और डिजिटल ब्रेल रीडर
- ऑडियो-ब्रेल संयोजन डिवाइस
भारत में ब्रेल
का विकास
- राष्ट्रीय दृष्टिहीन संस्थान (एनआईवीएच), देहरादून द्वारा हिंदी सहित कई भारतीय भाषाओं की ब्रेल लिपियाँ
विकसित की गई हैं।
- भारत में प्रमुख ब्रेल लिपियाँ: हिंदी, उर्दू, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगु आदि।
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