भारत में लिपियों का विकास (Development of Scripts in India)
भारत की
सांस्कृतिक और भाषाई विविधता के कारण यहाँ विभिन्न लिपियाँ विकसित हुईं, जो भाषाओं की अभिव्यक्ति
का माध्यम बनीं। भारत की लिपियों का विकास हजारों वर्षों में हुआ और इनमें से कई
लिपियाँ आज भी प्रयोग में हैं।
प्राचीन लिपियाँ
और उनका विकास
| काल | लिपि | विवरण | 
| सुमेरियन काल (~3500 BCE) | कीललिपि (Cuneiform) | विश्व की पहली ज्ञात लिपि, भारत से बाहर विकसित
  हुई | 
| सिंधु घाटी सभ्यता (~2500 BCE) | सिंधु लिपि | अभी तक पूरी तरह समझी नहीं गई, अंकित चिन्हों का समूह | 
| ब्राह्मी लिपि (~3rd सदी BCE) | प्राचीन भारतीय लिपि | मोर्य साम्राज्य के काल में
  प्रचलित, आधुनिक भारतीय लिपियों की जननी | 
ब्राह्मी लिपि से
उत्पन्न प्रमुख लिपियाँ
ब्राह्मी लिपि को
भारत की मूल लिपि माना जाता है, जिससे कई क्षेत्रीय लिपियाँ निकलीं:
| लिपि | क्षेत्र | वर्तमान उपयोग | 
| देवनागरी | उत्तर भारत | हिंदी, संस्कृत, मराठी, कोंकणी | 
| गुप्त लिपि | प्राचीन मध्य भारत | अब प्राचीन ग्रंथों में | 
| कुषाण लिपि | उत्तर-पश्चिम
  भारत | इतिहासिक
  अभिलेखों में | 
| बंगाली-असमिया
  लिपि | पूर्व भारत | बंगाली, असमिया भाषाओं
  के लिए | 
| तमिल लिपि | दक्षिण भारत | तमिल भाषा | 
| कन्नड़ लिपि | दक्षिण भारत | कन्नड़ भाषा | 
| तेलुगु लिपि | दक्षिण भारत | तेलुगु भाषा | 
| मलयालम लिपि | दक्षिण भारत | मलयालम भाषा | 
 भारत में प्रमुख लिपियों का इतिहास
- देवनागरी लिपि
- ब्राह्मी से विकसित होकर लगभग 7वीं शताब्दी में
      प्रचलित हुई।
- संस्कृत और हिंदी के लिए मुख्य
      लिपि।
- तामिल लिपि
- दक्षिण भारत की सबसे प्राचीन लिपि।
- तामिल भाषा की सांस्कृतिक विरासत को
      दर्शाती है।
- ब्राह्मी से विकृत कई लिपियाँ
- बंगाली-असमिया, गुजराती, उडिया, पंजाबी (गुरुमुखी), मैथिली आदि।
 
 
 
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