आशुलिपि (Stenography)
आशुलिपि एक ऐसी
लेखन विधि है जिसमें कम समय में अधिक मात्रा में बातचीत या भाषण को लिखित रूप में
बदला जा सकता है। यह एक संक्षिप्त, प्रतीकात्मक लेखन प्रणाली है, जिसमें शब्दों और वाक्यों को विशेष चिह्नों और संक्षिप्त रूपों के माध्यम से
लिखा जाता है। 
आशुलिपि सामान्य
लेखन की तुलना में कई गुना तेज होती है। इसकी गति 100-150 शब्द/मिनट से भी अधिक हो
सकती है। इसमें शब्दों को लघु प्रतीकों और रेखाओं द्वारा दर्शाया जाता है, जिसमें हर ध्वनि या शब्द
के लिए विशिष्ट चिन्ह या रेखाएँ होती हैं। साथ ही इसकी अपनी व्याकरण, संक्षेपण नियम और अभ्यास
विधियाँ होती हैं। यह लिप्यंतर योग्य होती है। अर्थात आशुलिपि से सामान्य भाषा में
पुनः लिखा जा सकता है ।
 आशुलिपि का उद्देश्य
§ 
भाषण या वार्ता को
वास्तविक समय में नोट करना
§ 
न्यायालय, संसद, प्रेस वार्ता, या व्याख्यानों में
रिकॉर्डिंग
§ 
त्वरित और सटीक लिखित
अभिलेख बनाना
प्रमुख आशुलिपि
प्रणालियाँ
|  प्रणाली        |  प्रयोग क्षेत्र  |  लिपि आधारित     |  विशिष्टता                      | 
|  पिटमैन (Pitman)  |  भारत, UK     |  रोमन लिपि      |  ध्वनि आधारित, रेखाओं की मोटाई और दिशा
  महत्त्वपूर्ण  | 
|  ग्रेग्ग (Gregg)  |  अमेरिका     |  रोमन लिपि      |  वक्र रेखाओं का प्रयोग, अधिक तरलता          | 
|  भारतीय आशुलिपि  |  भारत       |  देवनागरी पर आधारित  |  हिंदी, मराठी, संस्कृत के लिए अनुकूल         | 
 भारत में आशुलिपि
भारत सरकार
द्वारा हिंदी आशुलिपि के लिए भी मानक प्रणाली विकसित की गई है।
राजभाषा विभाग
द्वारा आशुलिपिकों की नियुक्ति की जाती है।
प्रमुख संस्थान:
 राष्ट्रीय आशुलिपि
संस्थान, दिल्ली
 राज्य स्तरीय आशुलिपि
प्रशिक्षण केंद्र
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