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Sunday, June 8, 2025

खरोष्ठी लिपि (Kharosthi Script)

खरोष्ठी लिपि (Kharosthi Script) प्राचीन भारत की एक प्रमुख लिपि है जो मुख्यतः उत्तर-पश्चिम भारत (विशेषतः गांधार क्षेत्र - आज का पाकिस्तान और अफगानिस्तान का कुछ भाग) में प्रचलित थी। यह लिपि ब्राह्मी लिपि के समकालीन थी, लेकिन उससे भिन्न और विशिष्ट विशेषताओं वाली है।

खरोष्ठी लिपि का परिचय:

पक्ष

विवरण

समय

लगभग 3री शताब्दी ईसा पूर्व से 3री शताब्दी ईस्वी तक

क्षेत्र

गांधार, तक्षशिला, पेशावर, स्वात, बलूचिस्तान, और मध्य एशिया तक

भाषा

प्राकृत (विशेष रूप से गांधारी प्राकृत)

लेखन दिशा

दाएँ से बाएँ (Right to Left) — यह भारत की कुछ गिनी-चुनी लिपियों में से है जो इस दिशा में लिखी जाती थी

मूल स्रोत

अरामी (Aramaic) लिपि से प्रभावित

प्रमुख उपयोग

अशोक के कुछ शिलालेख, बौद्ध धर्मग्रंथ, सिक्कों पर लेखन

 

प्रमुख विशेषताएँ:

  1. दाएँ से बाएँ लेखनब्राह्मी इसके विपरीत बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी।
  2. स्वरों का सीमित उपयोगस्वर चिह्नों की संख्या ब्राह्मी से कम थी।
  3. संयुक्ताक्षरों की न्यूनताखरोष्ठी में संयुक्ताक्षरों का बहुत कम प्रयोग होता था।
  4. लिपि का रूपअक्षर अरामी शैली के अनुसार कोणीय और सरल होते थे।

खरोष्ठी लिपि में प्रयुक्त कुछ अक्षर:

 

 खरोष्ठी लिपि का ऐतिहासिक महत्व:

  • बौद्ध धर्म के प्रचार में इस लिपि का अत्यधिक प्रयोग हुआ। गंधार क्षेत्र के बौद्ध धर्मग्रंथ खरोष्ठी में लिखे गए।
  • सिक्कों पर लेखनखासकर इंडो-ग्रीक राजाओं और कुषाण वंश के सिक्कों पर खरोष्ठी लिपि में लेख होते थे।
  • अशोक के शिलालेखअशोक ने उत्तर-पश्चिम भारत में खरोष्ठी लिपि का प्रयोग कर शिलालेख खुदवाए।

ब्राह्मी और खरोष्ठी का तुलनात्मक अंतर:

पक्ष

ब्राह्मी

खरोष्ठी

लेखन दिशा

बाएँ से दाएँ

दाएँ से बाएँ

मूल स्रोत

स्वदेशी/अज्ञात

अरामी लिपि से

प्रसार क्षेत्र

सम्पूर्ण भारत

उत्तर-पश्चिम भारत

संयुक्ताक्षर

अधिक

बहुत कम

प्रभाव

आधुनिक भारतीय लिपियाँ

समाप्त हो गई, आधुनिक लिपियों पर प्रभाव नहीं

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