हिंदुस्तान से साभार
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आप सोचेंगे और कंप्यूटर दे देगा जानकारी, दिमाग-कंप्यूटर का होगा सीधा संपर्क
जल्द ही आपके सोचने भर से कंप्यूटर स्क्रीन पर हर सूचना हाजिर होगी। यह कोई विज्ञान कथा नहीं बल्कि अविष्कारक रे कुर्जेवइल का दावा है जिन्होंने इस दिशा में पहली सफलता हासिल कर ली है। उन्होंने कहा कि एक दशक के भीतर ऐसी तकनीक विकसित कर ली जाएगी जिससे कंप्यूटर दिमाग में आए विचार को पढ़ने में सक्षम हो जाएंगे।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में प्रोफेसर कुर्जेइल ने जर्नल फ्रंटियर्स इन न्यूरोसाइंस में प्रकाशित शोधपत्र में लिखा न्यूरल नैनोरोबोट्स के जरिये मानव मस्तिष्क के ‘नियोकॉर्टेक्स’ को क्लाउड कंप्यूटिंग के कृत्रिम नियोकॉर्टेक्स से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि नियोकॉर्टेक्स दिमाग का सबसे छोटा पर सबसे स्मार्ट हिस्सा होता है।
वरिष्ठ शोधकर्ता रॉबर्ट फ्रेटियस ने कहा, न्यूरल नैनोरोबोट सीधे और वास्तविक समय में दिमाग में आने वाले विचारों की निगरानी करेगा और कोशिका से आने वाले संदेशों को नियंत्रित करेगा। उन्होंने कहा यह उपकरण इंसान की धमनियों में चलेगा और खून और दिमाग के अवरोधों को पार करने के लिए खुद ही स्थान बदल लेगा। यह रोबोट बिना तार के कूटबद्ध (इनकोडेड) संदेश क्लाउड आधारित कंप्यूटर नेटवर्क को देगा ताकि आदमी के सोचने के साथ ही वास्तविक समय में सूचना प्राप्त हो जाए।
मुट्ठी में होगा जहां
शोध दल में शामिल नूनो मार्टिन ने कहा कि इस तकनीक से जहां व्यक्ति को असानी से सूचना मिलेगी वहीं संपूर्ण मानव ज्ञान तक भी सुलभ पहुंच बनेगी क्योंकि दुनिया की तमाम जानकारी क्लाउड कंप्यूटिंग में दर्ज है। उन्होंने कहा कि इससे लोगों की पढ़ने और बुद्धिमता क्षमता में भी वृद्धि होगी।
पहली सफलता मिली
मार्टिन ने कहा कि प्रायोगिक तौर पर मानव ‘ब्रेननेट’ प्रणाली का सफल परीक्षण किया है। उन्होंने कहा, प्रयोग के दारैान खोपड़ी से इलेक्ट्रिक सिगनल और प्राप्तकर्ता की खोपड़ी से चुंबकीय उत्तेजन को रिकॉर्ड कर संदेश का आदान प्रदान किया गया। मार्टिन ने कहा कि अब न्यूरल रोबोट को विकसित किया जा रहा है जो एक साथ असंख्य लोगों के दिमाग में पैदा होने वाले विचारों को पढ़ सके।
सुपर कंप्यूटर सक्षम
शोधकर्ताओं के मुताबिक मौजूदा समय में मौजूद सुपर कंप्यूटर पर्याप्त तेजी से न्यूरल डाटा (दिमाग में आने वाले विचार) और क्लाउड डाटा के बीच संदेश के आदान-प्रदान करने में सक्षम हैं। बस इस प्रक्रिया के लिए परिष्कृत तकनीक विकसित करने की जरूरत है। एक तरीका मैग्नेटोइलेक्ट्रिक नैनोपार्टिकल्स को संदेश के आदान-प्रदान के माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जाए।
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