विन्यासक्रमी और सहचारक्रमी संबंध
सस्यूर ने कहा कि
भाषा भाषिक इकाइयों के बीच प्राप्त विभिन्न प्रकार के संबंधों पर आधारित होती है।
इन संबंधों को दो प्रकार से देखा जा सकता है- विन्यासकर्मी और सहचारक्रमी।
विन्यासक्रमी संबंध
शब्दों या पदों, पदबंधों, वाक्यों
में आने वाली किसी भी भाषिक इकाई का अपने दोनों ओर की अन्य भाषा इकाइयों के साथ
होता है, जैसे-
मोहन घर जाता है।
इसमें ‘मोहन’ का ‘घर’ से, ‘घर’ का ‘मोहन और जाता’ से, ‘जाता’ का ‘घर और है’ से
विन्यास क्रमी संबंध है।
सहचारक्रमी संबंध
इससे अलग होता है। यह वाक्य में किसी प्रकार्य-स्थान पर आ सकने वाले उन सभी
संभावित शब्दों के बीच होता है, जो किसी
वाक्य-रचना में उसी रूप में आ सकें और वाक्य का अर्थ या स्वरूप प्रभावित न हो।
उदाहरण के लिए ‘मोहन घर जाता है’ वाक्य में ‘मोहन’ की
जगह ‘रमेश, श्याम बच्चा, बूढ़ा, लड़का’ आदि
कोई भी शब्द आ सकता है, तो ये आपस में सहचारक्रमी संबंध
में हैं। इसी प्रकार ‘घर’ की
जगह ‘स्कूल, अस्पताल, बाजार, ऑफिस, दुकान, मंदिर’ आदि शब्द आ सकते हैं, इसलिए ये आपस में सहक्रमी संबंध में हैं। इसी प्रकार ‘जाता’ की जगह आता, पहुँचता’ आदि शब्द आ सकते हैं। ‘है’ की जगह ‘था, होगा’ आदि शब्द आ सकते हैं। ये सभी आपस में सहक्रमी संबंध में हैं।
सस्यूर की सभी अवधारणाओं
को इस लिंक पर पढ़ें-
https://lgandlt.blogspot.com/2018/03/1857-1913.html
कुछ उदाहरण
विन्यासकर्मी और सहचारक्रमी संबंधों
के कुछ उदाहरण इस प्रकार प्रस्तुत कर सकते हैं-
वाक्य-1
मोहन
घर जाता
है
विन्यासक्रमी संबंध
सहचारक्रमी संबंध
मोहन घर जाता है
रमेश स्कूल पहुँचता था
श्याम अस्पताल देखता होगा
बच्चा बाजार .... ….
बूढ़ा ऑफिस .... ….
..................................
वाक्य-2
लड़का रोटी खाता है
विन्यासक्रमी संबंध
सहचारक्रमी संबंध
लड़का
रोटी
खाता
है
रमेश
आम
रखता
था
श्याम
मिठाई
लेता
होगा
बच्चा
प्याज
खरीदता ….
बूढ़ा
पिज्जा
उठाता
….
आदमी …. …. ….
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