लिखित
एवं मौखिक भाषा
भाषा
विचार करने, विचारों को
अभिव्यक्त करने तथा परस्पर विचार-विनिमय करने का साधन है। भाषा का विकास मानव
सभ्यता के आदिकालीन विकास से जुड़ा हुआ है। आदिमानवों द्वारा सर्वप्रथम भाषा के
मौखिक रूप का ही विकास किया गया, जिसमें माध्यम के रूप में ‘ध्वनि’ (तथा कुछ आंगिक संकेतों) का प्रयोग किया जाता
है। इसका कारण यह है कि ‘ध्वनि’ के
उत्सर्जन की सुविधा हमें नैसर्गिक रूप से प्राप्त है।
भाषा
का लिखित रूप मौखिक रूप का अनुकरण मात्र है। इसके अविष्कार का मुख्य कारण भाषा के
मौखिक रूप का अस्थायी होना है। बोलने के साथ ही भाषा की ध्वनियाँ बाहर आती हैं और
विलुप्त हो जाती है। मानव सभ्यता के विकास के साथ बढ़ते हुए ज्ञान को जब संरक्षित
करने की आवश्यकता महसूस हुई तो भाषा के लिखित रूप का विकास किया गया है। आरंभ में
लिखित रूप चित्रात्मक था। आज भी कुछ भाषाओं में चित्र लिपियों का प्रयोग देखा जा
सकता है। समय के साथ चित्रों की जगह प्रतीकों का प्रयोग आरंभ हुआ। ये प्रतीक मौखिक
भाषा के ध्वनि प्रतीकों के अनुकरणात्मक चित्र के रूप में बनाए जाते थे। इस
प्रतीकों के विकास के साथ ही भाषा के लिखित रूप और लिपि का विकास हुआ।
लिखित एवं मौखिक भाषा में संबंध
·
मौखिक
भाषा ही भाषा का मूल रूप है। लिखित द्वारा उसका अनुकरण किया जाता है।
·
लिखित
और मौखिक दोनों रूपों में शब्द और वाक्य सीमाओं की पहचान की जा सकती है।
·
प्रायः
लिपियों में संबंधित भाषा के सभी ध्वनि प्रतीकों के लिए लिपि चिह्न
देने का प्रयास किया जाता है। ऐसा नहीं होने पर भी लिपि चिह्नों के संयोजन और कुछ
अन्य प्रतीकों का प्रयोग करके लिखित रूप को मौखिक रूप का प्रतिनिधित्व प्रदान किया
जाता है।
लिखित
एवं मौखिक भाषा में अंतर
और पढ़ें-
भाषा और लिपि-2
अंग्रेजी में विस्तार से पढ़ने के लिए स्रोत-
https://www.omniglot.com/writing/writingvspeech.htm
भाषा और लिपि-2
अंग्रेजी में विस्तार से पढ़ने के लिए स्रोत-
https://www.omniglot.com/writing/writingvspeech.htm
No comments:
Post a Comment