डॉ. धनजी प्रसाद-
हिंदी संबंधवाची रचनाओं का आर्थी विश्लेषण
शोध प्रबंंध से...
प्रस्तुत शोधकार्य में प्रस्तावित आर्थी संबंध एवं उनके उपवर्ग निम्नलिखित हैं :
(1) स्वामित्व संबंध
क का ख => क स्वामी ख
(अ) क
ख
+व्य./जा.सं. +वस्तु (ar)
(ar = artifact)
उदाहरण :
Ø राम का पैसा/बगीचा/घर/खेत
Ø राम की कलम/कुर्सी/फसल
Ø राम के कपड़े/मोबाइल/रुपये
Ø लड़के की कमीज/कॉपी/छड़ी
Ø लड़की की साइकिल/कुर्सी
नोट : जब ‘क’ के स्थान पर सांदर्भिक स्थिति सूचक शब्दों का प्रयोग होता है तब घटक शब्दों का क्रम पलट देने पर भी स्वामित्व संबंध निर्मित होता है किंतु स्वामित्व का क्रम बदलकर ‘ख’ स्वामी ‘क’ हो जाता है।
उदाहरण :
Ø मालिक का घर {स्वामित्व संबंध} [क स्वामी ख]
Ø घर का मालिक {स्वामित्व संबंध} [ख स्वामी क]
Ø दुकानदार की दुकान {स्वामित्व संबंध} [क स्वामी ख]
Ø दुकान का दुकानदार {स्वामित्व संबंध} [ख स्वामी क]
(आ)
क ख
- मानव + वस्तु
उदाहरण :
Ø सरकार का पैसा
Ø भारत का पैसा, भारत सरकार का पैसा
नोट : इस प्रकार की रचनाओं में संदर्भ आधारित संदिग्धार्थकता प्राप्त होती है, जैसे : यदि ‘उत्तर प्रदेश का पैसा’ कहा जाए तो इसके दो अर्थ संभव हैं – ‘केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश को दिया जाने वाला पैसा’ (=उद्देश्य/लाभग्राही) अथवा ‘उत्तर प्रदेश के पास उपलब्ध/उत्तर प्रदेश द्वारा दिया गया पैसा’ (= स्वामित्व)।
(इ)
क ख
+व्य./जा.सं. + व्य./जा.सं.
उदाहरण :
Ø रामू का नौकर
Ø कुलपति का पी.ए.
Ø राजा का मंत्री
इन उदाहरणों में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें स्वामित्वबोध क्रमश: घटता जाता है।
इन नियमों को तार्किक रचना में विभिन्न प्रतीकों के माध्यम से इस प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं-
R.1.
If
X
= ‘h10’ ॥ ‘h10(P)’ ॥ ‘ir4’ // ‘मानव’ ॥ ‘मानव (P)’ ॥ ‘पदनाम’
&& Y= ‘a3’ //
‘वस्तु2’
But
Y != ‘m4’ //‘परिवर्तित स्थान’
Then
“X स्वामी Y”
R.2.
If
X
= ‘cn11’ ॥ ‘in3’ //‘देश’ ॥ ‘संस्थान/संगठन’
&& Y= ‘a3’ //‘वस्तु2’
But
Y != ‘m4’ //‘परिवर्तित स्थान’
Then
“X स्वामी Y”
R.3.
If
X
= ‘h10’ ॥ ‘h10(P)’ ॥ ‘ir4’ // ‘मानव’ ॥ ‘मानव (P)’ ॥ ‘पदनाम’
&& Y= ‘ir4’ //‘पदनाम’
Then
“X स्वामी Y”
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