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Tuesday, December 1, 2020

वाक्य रचना के अनिवार्य और ऐच्छिक घटक

1. वाक्य

वाक्य भाषा की मूलभूत संप्रेषणात्मक इकाई है। वाक्य में घटकों का स्वरूप और वाक्य द्वारा अभिव्यक्त सूचना के आधार पर मूलतः इसके दो वर्ग किए जा सकते  हैं- (1) मुख्य क्रिया युक्त वाक्य (2) मुख्य क्रिया हीन वाक्य। यहाँ पर मुख्य क्रिया’ (main verb) शब्द का तात्पर्य कोशीय क्रिया’ (lexical verb) से है। दूसरे शब्दों में इन वर्गों को क्रियाप्रधान वाक्य और कोप्यूला वाक्य भी कह सकते हैं, जैसा कि सूरजभान सिंह द्वारा हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण (2000) में कहा गया है।

रचना की दृष्टि से वाक्य में कुछ प्रकार्य-स्थान (slots) होते हैं। इन प्रकार्य-स्थानों पर संज्ञा पदबंध और अन्य प्रकार के पदबंध आवश्यकतानुसार आते हैं और वाक्य की रचना करते हैं। क्रिया वाक्य का केंद्र होती है। किसी एक वाक्य की रचना के लिए वह मुख्य क्रिया और कोप्यूला क्रिया (केवल सहायक क्रिया) दोनों में से किसी एक प्रकार की होती है। इसके अलावा अन्य प्रकार्य-स्थानों पर आने वाले विभिन्न पदबंधों के माध्यम से वाक्य बनता है। वाक्य के घटक के रूप में इन पदबंधों के दो वर्ग किए जा सकते हैं- अनिवार्य और ऐच्छिक।

2. वाक्य रचना के अनिवार्य घटक

वाक्य का केंद्र क्रिया होती है। अतः किसी भी वाक्य में क्रिया मूलभूत अनिवार्य घटक होती है। वह व्यक्त या अनुक्त दोनों में से किसी भी प्रकार की हो सकती है। जैसे-

मोहन घर जाएगा।

इस वाक्य में जाएगा मुख्य क्रिया है, जो व्यक्त रूप में वाक्य में आई ही है। इसी प्रकार-

मोहन घर जाएगा और रमेश भी।

इस वाक्य में रमेश भी के बाद जाएगा क्रिया अनुक्त है।

वाक्य में क्रिया के अलावा वे सभी घटक जिनकी क्रिया के संपादन हेतु आवश्यकता पड़ती है, अनिवार्य घटक कहलाते हैं। किसी वाक्य में कितने घटक अनिवार्य होंगे? यह क्रिया के रूप और अर्थ  पर निर्भर करता है। क्रिया और अनिवार्य घटकों को मिलाकर वाक्य-साँचे (Sentence frames) बनाए जाते हैं। सूरजभान सिंह द्वारा हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण (2000) में हिंदी के वाक्य-साँचे विस्तार से दिए गए हैं। उनमें से कुछ साँचों के आधार पर वाक्य के अनिवार्य घटकों को इस प्रकार से समझ सकते हैं- 


इनमें हम देख सकते हैं कि कोप्यूला वाक्यों में तीन अनिवार्यों घटकों की आवश्यकता है-

सं.प. (मुख्य पदबंध)       +          सं.प. (पूरक पदबंध)       +          कोप्यूला क्रिया

(घटक-01)                                 (घटक-02)                                 (घटक-03)

मोहन                                         डॉक्टर                                       है

मोहन डॉक्टर है एक कोप्यूला वाक्य है, जिसमें तीनों अनिवार्य घटक आए हुए हैं। यदि इनमें से किसी भी एक अनिवार्य घटक को कम कर दिया जाए, तो निम्नलिखित वाक्य निर्मित होंगे-

·       मोहन है।

·       डॉक्टर है।

इनमें से कोई भी वाक्य एक पूर्ण कोप्यूला वाक्य नहीं है, क्योंकि कोप्यूला वाक्य निर्मित करने के लिए आवश्यक तीनों अनिवार्य घटक नहीं आए हैं।

इसी प्रकार अकर्मक क्रिया वाले वाक्यों में अकर्मक क्रिया और कर्ता अनिवार्य घटक होते हैं। अतः ऐसे वाक्यों का वाक्य-साँचा इस प्रकार बनेगा-

सं.प. (कर्ता पदबंध)        +          अकर्मक क्रिया

(घटक-01)                                 (घटक-02)                                

मोहन                                         चला

सीता                                         नाचती है

सकर्मक क्रिया वाले वाक्यों में सकर्मक क्रिया’, ‘कर्ता और कर्म अनिवार्य घटक होते हैं। अतः ऐसे वाक्यों का वाक्य-साँचा इस प्रकार बनेगा-

सं.प. (कर्ता पदबंध)        +          सं.प. (कर्म पदबंध)         +          सकर्मक क्रिया

(घटक-01)                                 (घटक-02)                                 (घटक-03)

राम                                           आम                                          खाता है

मोहन                                         किताब                                       पढ़ता है

इन वाक्यों में तीनों अनिवार्य घटक आए हुए हैं। इनकी जगह निम्नलिखित वाक्य अपूर्ण माने जाएँगे-

·       राम खाता है।

·       मोहन पढ़ता है।

3. वाक्य रचना के ऐच्छिक घटक

क्रिया वाक्य का केंद्र होती है। उसके स्वरूप के अनुसार कर्ता, सहकर्ता, कर्म, मुख्यपद और पूरक पद अनिवार्य घटक होते हैं, जिनकी उदाहरण सहित चर्चा ऊपर की जा चुकी है। इनके अलावा कुछ अन्य प्रकार्य-स्थानों (slots) की स्थिति इस प्रकार से होती है कि उनसे संबंधित सूचना देने वाले घटक वाक्य में आ भी सकते हैं और नहीं भी आ सकते हैं।  ऐसे घटकों को वाक्य रचना के ऐच्छिक घटक कहते हैं। इन घटकों से संबंधित सूचना या तो श्रोता को पता होती है या वह संदर्भ से अनुमान कर लेता है। उदाहरण के लिए अधिकरण’ (Locative) से संबंधित सूचना लगभग सभी प्रकार के वाक्यों में ऐच्छिक घटक के रूप में होती है, चाहे वह स्थानाधिकरण (अधिकरण-स्थान) की बात हो या समयाधिकरण की बात हो जैसे-

मैं बैठा हूँ। => अनिवार्य घटक (कर्ता  + क्रिया)

मैं कुर्सी पर बैठा हूँ। => अनिवार्य घटक (कर्ता  + क्रिया); ऐच्छिक घटक (अधिकरण- स्थान)

आज मैं कुर्सी पर बैठा हूँ। => अनिवार्य घटक (कर्ता  + क्रिया); ऐच्छिक घटक (अधिकरण-समय + अधिकरण-स्थान)

वाक्य के ऐच्छिक घटकों के नहीं आ सकने की स्थिति में भी व्याकरण दृष्टि से वाक्य अर्थपूर्ण और संप्रेषणीय बना रहता है। अतः ऐच्छिक घटक वे घटक हैं, जो वाक्य में अतिरिक्त सूचनाएँ जोड़ने का काम करते हैं किंतु उनके नहीं होने पर भी वाक्य व्याकरण और अर्थ की दृष्टि से व्यवहार के योग्य रहता है। इसके विपरीत अनिवार्य घटक वे घटक हैं, जिनके नहीं होने पर वाक्य निर्मित ही नहीं होगा। केवल क्रिया और ऐच्छिक घटकों से वाक्य नहीं बनाया जा सकता, जैसे-

मैं कुर्सी पर बैठा हूँ। => अनिवार्य घटक (कर्ता  + क्रिया); ऐच्छिक घटक (अधिकरण- स्थान)

इस वाक्य में मैं और बैठा हूँ अनिवार्य घटक हैं। इनमें से किसी भी घटक को निकाल देने पर वाक्य नहीं बनेगा-

मैं कुर्सी पर

कुर्सी पर बैठा हूँ।

जबकि कुर्सी पर ऐच्छिक घटक है, अतः इसे निकाल देने पर भी वाक्य ठीक और संप्रेषणीय रहेगा-

मैं बैठा हूँ।


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