शैली क्या है? (What is Style)
शैली शब्द का प्रयोग हम अपने जीवन में विभिन्न अर्थों
में करते हैं। हम इसे भिन्न-भिन्न व्यवहार क्षेत्र के अनुसार इसका
प्रक्षेत्र-आधारित (domain specific) संदर्भ से समझते हैं। अतः शैली का क्षेत्र बहुत व्यापक और विविध है। हम अपने
जीवन क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की विशिष्ट शैलियों की बात करते हैं, जैसे-
·
पेंटिंग में
·
स्थापत्य कला में – दक्षिणी शैली, ईरानी शैली
·
बालों में - हेयर स्टाइल
आदि
जब हम शैलीविज्ञान की बात भाषाविज्ञान के संदर्भ में
करते हैं तो शैली का संबंध व्यापक रूप से भाषा के साथ और विशिष्ट रूप में साहित्य
के साथ होता है। यदि एक से अधिक वाक्य अर्थ की दृष्टि से समान होते हुए भी
संरचनात्मक रूप से भिन्न हो वे वाक्य शैलीगत रूप से भिन्न होते हैं। अर्थात जब एक
ही अर्थ के लिए एक से अधिक वाक्य उपलब्ध होते हैं, तो उनमें से किसी एक का चयन ‘शैली’ के लिए आधार उत्पन्न करता है।
जैसे- समय पूछने के लिए हम इनमें से किसी भी वाक्य का प्रयोग कर सकते हैं-
·
कितने बजे हैं?
·
कितने बज गए?
·
कितना समय हुआ है?
·
कितना टाइम हुआ है?
·
टाइम कितना हुआ?
·
समय कितना हुआ?
·
कृपया समय बताइए।
·
अरे, जल्दी समय बताओ।
यही बात अन्य विचारों, भावों और अर्थ के विविध रूपों और
अभिव्यक्तियों के संदर्भ में भी लागू होती है। प्रत्येक विचार को कहने के लिए हम
उपलब्ध विविध प्रकार के शब्दों और वाक्यों में से किसी एक प्रकार का चयन करते हैं।
चयन की इस प्रक्रिया में जब कोई pattern बनने लगता है, तो उसे ही शैली कहते हैं, जैसे- शब्द चयन और प्रयोग की
दृष्टि से हिंदी की दो शैलियाँ प्रचलित हैं- उर्दूनिष्ठ शैली और संस्कृतनिष्ठ
शैली। ये शैलियाँ किसी वाक्य में शब्दों के चयन और प्रयोग पर मानी जाती हैं, जैसे-
·
आज आए भूकंप में बहुत सारे लोगों के प्राण गए।
·
आज आए जलजले में बहुत लोग हताहत हुए।
ये दोनों वाक्य हिंदी के ही हैं लेकिन पहला वाक्य
संस्कृतनिष्ठ शैली में लिखा हुआ है, जबकि दूसरा वाक्य उर्दू शैली में लिखा हुआ है। इसी प्रकार शैली विविध रूपों
में काम करती है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी शैली हो सकती है, विशेषकर लेखकों की अपनी शैली होती
ही है, जिसे हम
लेखक के नाम से ही संबोधित करते हैं, जैसे- प्रेमचंद की शैली, जयशंकर प्रसाद की शैली आदि।
अतः स्पष्ट है कि यदि हम एक बात को
कहने के लिए कई विकल्पों में से एक को चुनते हैं तो वह एक प्रकार की शैली कहलाती
है। इसलिए एक वाक्य में कह सकते हैं-
“शैली चयन है” (Style is choice)
यह शैली की एक व्यापक परिभाषा है- भाषा के संदर्भ में
भी और भाषा के बाहर भी। भाषा के की दृष्टि से कहें तो- लेखन अथवा वाचन में कुछ
विशेष प्रकार के शब्दों, पदबंध या वाक्य रचनाओं को चुनते हुए किया जाने वाला विशिष्ट प्रयोग शैली है।
अर्थ का संबंध ‘क्या’ के साथ होता है, जबकि शैली का संबंध ‘कैसे’ के साथ होता है। अर्थ में हम यह
देखते हैं कि ‘वक्ता ने
क्या कहा?’ और शैली की
दृष्टि से हम यह देखते हैं कि ‘वक्ता ने कैसे कहा?’ वाक्यों के शैलीगत अर्थ भी होते हैं। कई वाक्यों का
सामान्य अर्थ एक ही होता है, किंतु शैलीगत अर्थ भिन्न भिन्न होते हैं।
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